क्या प्रभारी प्रधानाध्यपक कर सकता है नियमित प्रधानाध्यापक के समान वेतन और भत्तों की मांग
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इलाहाबाद हाई कोर्ट का दिया फैसला बनेगा नजीर
अहम् फैसला |
क्या एक प्रभारी प्रधानाध्यापक जो अपने स्कूल में कार्यवाहक प्रधानाध्यापक के पद रहकर प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी वहन कर रहा है उसे एक नियमित प्रधानाध्यापक के समान वेतन और भत्तों का भुगतान किया जा सकता है , सुनने में ये तार्किक लग सकता है क्योंकि नियमित प्रधानाध्यापक के ना होने से वह व्यक्ति दो पदों की जिम्मेदारी भी तो वहन कर रहा है एक उसका मूल पद जिस पर वह नियुक्त हुआ है और दूसरा प्रभारी प्रधानाध्यापक का पद जिस पर वह कार्यवाहक के रुप में जिम्मेदारी निर्वाह कर रहा है |
इस सम्बन्ध में त्रिपुरारी दुबे और एक अन्य याची की अपील पर सुनवाई करते हुए इलाहबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने याची के पक्ष में अपना आदेश दिया है, याची का तर्क है कि उसकी मूल नियुक्ति 2005 में हुई है और वह उच्च प्राथमिक स्कूल में कार्यवाहक प्रधानाध्यापक के रुप में 2014 से लगातार कार्य कर रहा है क्योंकि इस स्कूल में कभी भी विभाग द्वारा नियमित प्रधानाध्यापक की नियुक्ति नहीं की गयी है और वह एक लम्बे समय से कार्यवाहक प्रधानाध्यापक के पद पर कार्य कर रहा है इसलिए इस पद पर कार्य करने के लिए याची को इस पद वेतन भी दिया जाना चाहिए दूसरी और शिक्षा विभाग के अधिकारी तर्क देते है कि याची प्रधानाध्यापक पद के लिए अर्ह नहीं है इसलिए उसे नियमित प्रधानाध्यापक के पद का वेतन नहीं दिया जा सकता है , याची की और से अपने दावे के समर्थन में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कई वादों की नजीरें पेश की गयी , माननीय हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को लम्बे समय तक सुना और बाद में याची की दलीलों से सहमत होते हुए विभाग को याची को 31 मई 2014 से प्रधानाध्यापक पद का वेतन और भत्ते देने का निर्देश दिया है |
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