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वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए विभागीय आय व्ययक तैयार किये जाने के सम्बन्ध में

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वित्तीय वर्ष 2025-26  के लिए विभागीय आय व्ययक  पेज 01  पेज 02  YOU MAY ALSO LIKE IT- हिममेधा ब्लॉग उत्तराखण्ड में शिक्षकों को दुर्गम की सेवाओं का दोगुना लाभ मिलना शुरू  इस पड़ौसी राज्य में अब सहायक अध्यापक भी बन सकेंगे प्रधानाचार्य  प्रोजेक्ट कार्य सामाजिक विज्ञान- यूरोप में समाजवाद और रुसी क्रांति  सीबीएसई परीक्षा में स्कूल ने गलती से छात्रा को दे दिए जीरो मार्क्स, अब कोर्ट ने लगाया 30 हजार रूपये का जुर्माना  उत्तराखण्ड बोर्ड ने घोषित की प्रैक्टिकल और बोर्ड परीक्षा की डेट

मोटे अनाज की और लौटती दुनिया - मण्डुआ या रागी

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मोटे अनाज की और लौटती दुनिया - मण्डुआ या रागी               मण्डुआ या रागी - एक परिचय - मण्डुआ को मंडुआ या कोदा या रागी के नाम से भी जाना जाता है , सामान्यतः इसका उपयोग अनाज के रूप में किया जाता है क्योकि ये न सिर्फ खाने में मजेदार होता है बल्कि बहुत ही पौष्टिक भी होता है | मंडुआ  को प्रायः गेहूं के आटे में मिलाकर खाया जाता है , भारत देश में मंडुआ से कई प्रकार के व्यंजन भी तैयार किये जाते है जैसे मंडुआ रोटी , रागी से उपमा ,श्रुआ ,बिस्किट ,डोसा,हलुआ ,मोदा ,लड्डु आदि | मंडुआ का पौधा 1 मीटर तक ऊँचा होता है ,इसके फल गोलाकार अथवा चपटे तथा झुर्रीदार और एक ओर से चपटे होते है इसका वानस्पतिक नाम Eleusine coracana में Linn,Gaertn syn-cynosurus coraanus linn है और यह पौधा Poaceae कुल का है , हिंदी में इसे मकरा ,मंडल ,रोतका भी कहा जाता है ,गढ़वाली में इसे मंडुआ या कोदा  और संस्कृत में मधूलिका , नर्तक या भूचरा के नाम से जाना जाता है , अंग्रेजी में इसे Coracan millet भी कहते है |    सामान्य रूप से लोग रागी या मंडुआ को मोटे अनाज के रूप में ही जानते है और उपयोग करते है पुरे भारत में इसकी खेती लगभग 2300