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अक्तूबर 15, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए विभागीय आय व्ययक तैयार किये जाने के सम्बन्ध में

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वित्तीय वर्ष 2025-26  के लिए विभागीय आय व्ययक  पेज 01  पेज 02  YOU MAY ALSO LIKE IT- हिममेधा ब्लॉग उत्तराखण्ड में शिक्षकों को दुर्गम की सेवाओं का दोगुना लाभ मिलना शुरू  इस पड़ौसी राज्य में अब सहायक अध्यापक भी बन सकेंगे प्रधानाचार्य  प्रोजेक्ट कार्य सामाजिक विज्ञान- यूरोप में समाजवाद और रुसी क्रांति  सीबीएसई परीक्षा में स्कूल ने गलती से छात्रा को दे दिए जीरो मार्क्स, अब कोर्ट ने लगाया 30 हजार रूपये का जुर्माना  उत्तराखण्ड बोर्ड ने घोषित की प्रैक्टिकल और बोर्ड परीक्षा की डेट

JEE मेन परीक्षा अब ये बोर्ड़ कराएगा

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जानियें क्या है JEE एपेक्स बोर्ड  JEE  मेन परीक्षा भारत शिक्षा मंत्रालय ने JEE मेन परीक्षा को लेकर एक नया अपडेट दिया है कि अब JEE मेन परीक्षा को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानि NTA नहीं कराएगी बल्कि इसकी जिम्मेदारी एक नए बोर्ड को दे दी गयी है अब ये नया बोर्ड ही JEE मेन परीक्षा और IIT में नामांकन को लेकर परीक्षा आयोजित करेगा | JEE मेन परीक्षा और IIT की परीक्षा कराने वाले इस बोर्ड का नाम JAB रखा गया गया है JAB का अर्थ होगा JEE एपेक्स बोर्ड , इस बोर्ड के चेयरमैन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी जो एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है जिसे बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी भी कहा जाता है के कुलपति प्रोफेसर एस के जैन साहब को बनाया गया है॥ नोटिफिकेशन के अनुसार  JEE एपेक्स बोर्ड को प्रवेश परीक्षा को आयोजित करने के लिए पालिसी नियम और रेगुलेशन को निर्धारित करने का सम्पूर्ण अधिकार होगा ,  JEE एपेक्स बोर्ड को प्रवेश परीक्षा आयोजित करने में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी प्रशासनिक और लॉजिस्टिक मदद देगी, साथ साथ NTA ही  JEE एपेक्स बोर्ड को एक स्थायी सचिवालय भी उपलब्ध कराएगी |  ज्ञात रहे कि  JEE  मेन परीक्षा का शेडूअल जारी हो चु

जगन्नाथ पूरी मंदिर में लगभग 92 करोड़ का सोना , बीते 45 साल से नहीं खुला खजाना

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12 वी सदी के मंदिर का खजाना खुलवाने पर अड़ी कांग्रेस जगन्नाथ पूरी मंदिर देहरादून से जगन्नाथ पुरी मंदिर की दूरी लगभग 1,800 किलोमीटर (या 1,118 मील) है। यह जगन्नाथ पुरी ओडिशा राज्य के पूर्वी तट पर स्थित है।जगन्नाथ पुरी मंदिर भारत के उड़ीसा राज्य में स्थित है और यह एक प्रमुख हिन्दू धर्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ (भगवान कृष्ण के एक रूप) को समर्पित है।जगन्नाथ पुरी मंदिर का निर्माण 12वीं सदी में शुरू हुआ था और इसका पूरा निर्माण कार्य 12वीं से 13वीं सदी के बीच में सम्पन्न हुआ था। इसलिए, यह मंदिर एक प्राचीन हिन्दू मंदिर है और इसका इतिहास महत्वपूर्ण है | जगन्नाथ पुरी मंदिर का निर्माण किसी व्यक्ति द्वारा नहीं किया गया है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ की पूजा के लिए बनाया गया था और इसका निर्माण भक्तों और समुदाय के संयोजन से हुआ था। इसके निर्माण का आदान-प्रदान भगवान के भक्तों और राजा अनंगभीम द्वितीय द्वारा किया गया था।जगन्नाथ पुरी मंदिर में "लिटन दान" (यानी सोना या चांदी के आभूषणों का दान) की परंपरा बहुत प्राचीन है और यह मंदिर के महत्वपूर्ण धार्मिक अद्यात्मिक क्रियाकलाप में शामिल है। मं

उच्च शिक्षा को सुधारेगी-मल्टीपल एन्ट्री -एग्जिट सिस्टम

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जाने क्या है मल्टीपल एन्ट्री -एग्जिट सिस्टम   मल्टीपल एन्ट्री -एग्जिट सिस्टम  NEP  2020 के अंतर्गत सरकार उच्च शिक्षा में एक और परिवर्तन करने जा रही है जिसके लिए अमेरिका के शिक्षा मॉडल से प्रेरणा ली गयी है इसे  मल्टीपल एन्ट्री -एग्जिट सिस्टम या MEES का नाम दिया गया है|इसके द्वारा छात्र को पढाई के साथ साथ कमाई करने के अवसर भी मिल सकेंगे और ड्रॉप आउट छात्रों की संख्या भी कम हो सकेगी |  मल्टीकपल एन्ट्री -एग्जिट सिस्टम को आप इस सरल उदाहरण से समझ सकते है यदि कोई छात्र किसी चार वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रम में अपना नामांकन करता है और एक वर्ष के बाद या दो वर्ष के बाद उसे किसी कारण से अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ जाती है तो भी उसे प्रमाण पत्र या डिप्लोमा दिया जायेगा जिसके आधार पर वह बाद में भी अपनी पढ़ाई को जारी रख सकता है , अगर अंडर ग्रेजुएट छात्र एक वर्ष की पढ़ाई के बाद अपना कोर्स छोड़ता है तो उसे एक वर्ष का प्रमाण पत्र दिया जायेगा ,इसी प्रकार से दो वर्ष की पढ़ाई के बाद उसे डिप्लोमा दिया जायेगा , तीन वर्ष के बाद उसे डिग्री के दी जाएगी और चार वर्ष के बाद ऑनर्स दी जाएगी , इस प्रकार छात्र अगर दो

स्कूलों की पंजिका में छात्रों के नाम के सामने उनकी सामाजिक पृष्टभूमि ना लिखें ?

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मुख्य विकास अधिकारी ने दिए निर्देश  SCHOOL EDUCATION  अभी हाल ही में पिछले हफ्ते  मुख्य विकास अधिकारी ने चम्बा में स्थित एक बालिका राजकीय इण्टर कॉलेज का औचक निरीक्षण किया तो उन्होंने एक बहुत महत्वपूर्ण तथ्य को सामने रखा, जहाँ पर सामाजिक भेदभाव होने की सम्भावना हमेशा बनी रहती है,  मुख्य विकास अधिकारी जी ने यहाँ तक कहा कि ऐसा करने के लिए कोई शासनादेश भी आजतक जारी नहीं किया गया है , बल्कि अनजाने में ही ये एक परम्परा बना दी गयी है जिसे नितांत रूप से परिवर्तित करना चाहिए क्योंकि इससे सामाजिक भेदभाव परिलक्षित होता है |  भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15:  इसमें यह व्यवस्था की गई है कि राज्य किसी नागरिक के प्रति केवल धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान को लेकर विभेद नहीं करेगा और जातिगत भेदभाव उत्पन होने की परिस्थितयों को भी नियंत्रित करेगा ।   उन्होंने सख्त शब्दों में कहा कि छात्र उपस्थिति पंजिका में किसी छात्र अथवा छात्रा के नाम के सम्मुख उसके धर्म ,उसकी जाति और सम्प्रदाय या सामाजिक पृष्टभूमि सम्बन्धी कोई भी जानकारी या सूचना अंकित नहीं की जानी चाहिए क्योंकि इससे उसके साथ सामाजिक भेदभाव होने

उत्तराखण्ड देश का दूसरा राज्य बनेगा ,जहाँ MBBS की पढ़ाई होगी हिंदी में

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अब हिंदी माध्यम से करें MBBS की पढ़ाई  हिंदी माध्यम से  MBBS   उत्तराखण्ड के चारो मेडिकल कॉलेजेस में MBBS की पढ़ाई का माध्यम अब अंग्रेजी के साथ साथ हिन्दी भी बनेगा और उत्तराखंड भारत वर्ष का मात्र दूसरा ऐसा राज्य होगा जहाँ पर MBBS की  पढ़ाई  हिन्दी में भी होगी , अब तक मध्य प्रदेश ही एकमात्र हिंदी माध्यम में MBBS की डिग्री देना वाला राज्य था | इसके लिए उत्तराखंड सरकार ने दो सदस्य वाली समिति भी गठित कर दी है |  भारत में MBBS (बैचलर ऑफ मेडिसिन और सर्जरी) की पढ़ाई का पहला पूरा कोर्स 1956 में शुरू हुआ था, जब सरकार ने Medical Council of India (MCI) की स्थापना की और MBBS की पढ़ाई को मान्यता दी. इससे पहले, भारत में चिकित्सा की पढ़ाई कई अलग-अलग प्रकार की संस्थाओं और महाविद्यालयों में की जाती थी, और अलग-अलग राज्यों में विभिन्न अध्याय थे . उत्तराखंड प्रदेश में इस सत्र के लिए MBBS की पढ़ाई हिन्दी में करने के लिए छात्रों को मध्य प्रदेश का पाठ्यक्रम ही पढ़या जाएगा क्योंकि इतने कम समय में नए प्रकाशक पुस्तकें उपलब्ध नहीं करा सकते है लेकिन अगले सत्र से उत्तराखंड को नए प्रकाशकों की MBBS हिंदी माध्यम की पुस्त

इजराइल का मुख्य धर्म यहूदी कितना अलग है हिन्दू धर्म से

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पढ़े- यहूदी कैसे करते है पूजा पाठ  यहूदी धर्म यहूदी धर्म के प्रमुख ग्रंथ तनाख होते हैं, जिनमें तोराह (तौरात) नामक पांच पुस्तकें शामिल हैं। इन पुस्तकों में यहूदी धर्म के मौलिक धार्मिक और नैतिक नियमों का विस्तार से वर्णन किया गया है। यहूदी धर्म की अहम प्रतीक्ता अब्राहम के साथ जुड़ी हुई है, जो एक पूराणिक व्यक्ति थे और यहूदी धर्म के प्रमुख पिता माने जाते हैं। तोराह में अब्राहम, इसहाक, और याकूब के जीवन के कई घटनाएं और उनके आचरणों का वर्णन होता है। यहूदी धर्म में पूजा का तरीका हिन्दू धर्म और कुछ अन्य धर्मों की तरह नहीं होता है, और इसमें देवता की मूर्ति पूजा नहीं होती है। यहूदी धर्म की पूजा का मूल उद्देश्य ईश्वर के प्रति भक्ति और आभार व्यक्त करना होता है। यहूदी पूजा के कुछ मुख्य प्राथमिक तत्व हैं: तफिलीन (Tefillin): यहूदी पुरुष अक्षरियों में तफिलीन का प्रयोग करते हैं। तफिलीन एक प्रकार की बँड या बॉक्स होते हैं जिनमें यहूदी पुराणिक ग्रंथों से चुने गए पासेज लिखे होते हैं। इसे पुरुष अपने बाहु के कुछ खास हिस्सों पर बांधते हैं और इसके साथ ध्यान और प्रार्थना करते हैं। यहूदी धर्म में पूजा कैसे होती है

NEW EDUCATION POLICY- अब हर छात्र का बनेगा अपार आई डी कार्ड

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ऑटोमेटेड परमानेंट ऐकडेमिक अकाउंट - अपार आई डी हर छात्र का बनेगा अपार आई डी कार्ड  नयी  शिक्षा नीति के अंतर्गत केंद्र सरकार छात्रों के लिए एक नयी योजना लेकर आ रही है जिससे एक क्लिक पर  स्वंय छात्र  या कोई भी कॉलेज या विश्वविद्यालय किसी भी छात्र की अकादमिक जानकारी यथा छात्र का नाम, पिता का नाम ,माता का नाम  ,उसका एड्रेस ,जन्मतिथि , छात्र की फोटो ,डिग्री या स्कूल शिक्षा ,एजुकेशन लोन ,स्कूलरशिप , खेलकूद की गतिविधियां , खेलकूद के प्रमाण पत्र और अवार्ड इसके साथ किसी छात्र ने कितने स्कूलों में अपनी पढ़ाई पूरी की है जैसी जानकारी ऑनलाइन और मात्र एक क्लिक पर उपलब्ध हो सकेगी | इसके साथ ही ये एक प्रकार का यूनिक पहचान पत्र भी होगा जिसे जरुरत होने पर कही भी अपनी पहचान साबित करने के लिए दिखाया जा सकेगा |  केंद्र सरकार सभी छात्रों को एक आवेदन प्रपत्र देगी जिसे  भरकर छात्र अपने और माता पिता के हस्ताक्षर के साथ जमा करेगा इसका एक सबसे बड़ा लाभ ये होगा कि यदि कोई छात्र भविष्य में अपना स्कूल परिवर्तित भी करता है तो अपार आई डी वही रहेगी जो पहले थी और छात्र की पूरी जानकारी दूसरे स्कूल तक आसानी से स्थानांतरित ह