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मई 31, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए विभागीय आय व्ययक तैयार किये जाने के सम्बन्ध में

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वित्तीय वर्ष 2025-26  के लिए विभागीय आय व्ययक  पेज 01  पेज 02  YOU MAY ALSO LIKE IT- हिममेधा ब्लॉग उत्तराखण्ड में शिक्षकों को दुर्गम की सेवाओं का दोगुना लाभ मिलना शुरू  इस पड़ौसी राज्य में अब सहायक अध्यापक भी बन सकेंगे प्रधानाचार्य  प्रोजेक्ट कार्य सामाजिक विज्ञान- यूरोप में समाजवाद और रुसी क्रांति  सीबीएसई परीक्षा में स्कूल ने गलती से छात्रा को दे दिए जीरो मार्क्स, अब कोर्ट ने लगाया 30 हजार रूपये का जुर्माना  उत्तराखण्ड बोर्ड ने घोषित की प्रैक्टिकल और बोर्ड परीक्षा की डेट

पानी से सेहत - एक प्राकृतिक निःशुल्क उपहार

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पानी के  साथ  सेहत  - एक प्राकृतिक निःशुल्क उपहार        स्वास्थ्य और पानी  -                             हमारे पूर्वज कहते थे कि स्वस्थ रहना है तो प्रकृति के साथ रहे ,ये ही बात वैदिक ग्रन्थों में भी कही गयी है , इसी बात को लेकर आज हम बात करते है पानी के पीने तरीके के बारे में, हममे से अधिकांश लोग पानी को एक ही सांस गटगट करके पी जाते है ग्रंथो के अनुसार ऐसा करके आप अनचाहे  ही आप पेट व् घुटनों की समस्या को निमंत्रण दे रहे है आदि सहिंताओं व् पूर्वजो के अनुसार पानी को एकबार एक घूंट मुँह में भर ले फिर उसे धीरे धीरे तीन बार छोटी छोटी  घूंट में बांटकर गले से  नीचे उतारे, और हमेशा याद रहे कि पानी पीते समय अपने घुटने मोड़कर बैठे कभी भी खड़े होकर पानी न पीयें , ऐसा करने से आप पेट व् घुटनों की समस्यांओ से काफी हद तक छुटकारा पा सकते है . पानी पीने का गलत तरीका  पानी पीने का सही तरीका     आर ओ  का पानी कितना सही-                                           प्राचीन समय में हमारे पूर्वज बहती हुई नदी का पानी पीकर भी स्वस्थ  जीवन जीते थे , उनका मानना था कि बहता हुआ पानी हमेशा शुद्ध होता है

आ रहा है हिमयुग

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पृथ्वी पर आ रहा है हिमयुग             हिमयुग  का अर्थ -                              हिमयुग  का  अर्थ है कि धरातल पर बर्फ की मोटी चादर का  बिछ जाना,ऐसी दशा जिसमे लम्बे समय तक के लिए महाद्वीपों पर हिमानी व ग्लेशियर फैल जाये वायुमंडल में तापमान माइनस में पहुँच जाये और सर्दियों की अवधि बहुत लम्बी हो जाये ऐसे में चारों तरफ बर्फ ही बर्फ हो जाएगी  , बर्फ की ये परत कभी कभी तो वर्षो तक जमी रह सकती  है , इस प्रकार की परत पर किसी भी प्रकार की फसलें  नहीं उग पाती है जिसके कारण खाद्यान की बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है और मानव जीवन पर गंभीर संकट आ सकता है , खाद्य श्रृंखला भी प्रभावित होती है , पशु और पक्षियों पर भी जीवन का संकट आ जाता है     |                यूरोप में हिमयुग आगमन-                                                                वर्ष 1790  से 1830 के बीच   सूर्य सोलर मिनिमम से गुजरा  इसी  दौरान  पूरा  यूरोप बर्फ की घनी चादर से ढक गया था  महीनो तक सूरज दिखाई नहीं दिया था फसले  खराब हो  गयी थी , भूखमरी की हालत हो गयी थी ,इसे  डेल्टन मिनिमम  कहा गया था ,वैज्ञानिकों के अनुसार ये एक

समन्वय, समायोजन - प्रकृति व् मानव

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 समन्वय ,समायोजन -प्रकृति  व् मानव                                                                  आज हम  आपकी नजर   अमेरिका मे घटी एक घटना की ओर ले जाना चाहते है  कि  कैसे प्रकृति की नाराजगी से उपजा कोरोना के कारण  संसार के सबसे बड़े विकसित देश में आर्थिक  कारणों से हो रहे प्रदर्शन से जॉर्ज नाम के एक प्रदर्शनकारी को पुलिस ने नियंत्रण करने के उद्देशय से पकड़ा लेकिन दुर्भाग्यवश उसकी मौत हो गयी ,जिसके बाद प्रदर्शनकारी उग्र हो उठे ,       मुद्दे की बात -                              असली बात अब शुरू होती है , पुलिस ने समन्वय व् सदभावना दिखाते हुए जिस प्रकार से माफी मांगी व् खेद प्रकट किया वो हम सबको एक सबक दे गया कि  हमे प्रकृति  के साथ वैसे समन्वय बैठाना है जैसे पुलिस ने बैठाया है , गलती होना बुरा नहीं है , बुरा है उस गलती से सीख़ न लेना , आइए हम सब फिर से एक बार अपने पर्यावरण को पेड़ पौधों से आच्छादित करे और एक समन्वित समायोजित व् सेहतमंद परिवेश बनाये , जीवन का आनंद लें  समन्वय व समायोजन क्यों है जरूरी -                                                         समृद्ध  शांत  व  सुख