वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए विभागीय आय व्ययक तैयार किये जाने के सम्बन्ध में

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वित्तीय वर्ष 2025-26  के लिए विभागीय आय व्ययक  पेज 01  पेज 02  YOU MAY ALSO LIKE IT- हिममेधा ब्लॉग उत्तराखण्ड में शिक्षकों को दुर्गम की सेवाओं का दोगुना लाभ मिलना शुरू  इस पड़ौसी राज्य में अब सहायक अध्यापक भी बन सकेंगे प्रधानाचार्य  प्रोजेक्ट कार्य सामाजिक विज्ञान- यूरोप में समाजवाद और रुसी क्रांति  सीबीएसई परीक्षा में स्कूल ने गलती से छात्रा को दे दिए जीरो मार्क्स, अब कोर्ट ने लगाया 30 हजार रूपये का जुर्माना  उत्तराखण्ड बोर्ड ने घोषित की प्रैक्टिकल और बोर्ड परीक्षा की डेट

पुरानी पेंशन स्कीम पर वित्त मंत्रालय का बड़ा अपडेट

पुरानी पेंशन स्कीम बनी 2024 के लिए बड़ा चुनावी मुद्दा 

पुरानी पेंशन स्कीम 


            गैर भाजपा शासित राज्यों में पुरानी पेंशन स्कीम 2024 चुनावी वर्ष के लिए एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है जिसको लेकर केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय ने एक नया अपडेट दिया है जिसके कारण सभी सरकारी कर्मचारियों में पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली को लेकर एक आशा की किरण जगी है ,वित्त मंत्रालय ने इसको लेकर एक कमिटी गठित की है जिसकी रिपोर्ट अभी आनी शेष है लेकिन एक खबर के अनुसार केन्द्र सरकार पुरानी पेंशन स्कीम के बदले में मिनिमम एश्योर्ड पेंशन की गॉरन्टी देने के लिए नेशनल पेंशन स्कीम के नियमों में बदलाव कर सकती है , वित्त मंत्रालय ने बताया कि गठित समिति सम्बंधित हितधारकों के साथ विचार विमर्श की प्रक्रिया में है जल्दी ही किसी ठोस नतीजे पर पंहुचा जा सकता है , रिपोर्ट की माने तो केंद्र सरकार नेशनल पेंशन स्कीम के नियमों में बदलाव करके सरकारी कर्मचारियों को उनकी अंतिम वेतन का 40 प्रतिशत से 45 प्रतिशत एश्योर्ड पेंशन की गॉरन्टी देने के फॉर्मूले पर काम कर सकती है यानि रिटायरमेंट की अंतिम सैलेरी के आधार पर कर्मचारियों की पेंशन तय की जा सकती है | 

विदित रहे कि इसी वर्ष 24 मार्च को संसद में वित्त मंत्री श्रीमति निर्मला सीतारमण ने वित्तीय बिल प्रस्तुत करते समय नई पेंशन स्कीम के रिव्यु के लिए एक कमिटी गठित करने का एलान किया था ,ये कमिटी इस बात पर रिपोर्ट देगी कि क्या पुरानी पेंशन स्कीम को वापस लागू करना चाहिए या नहीं , या कर्मचारियों के मांगे मानने से कितना वित्तीय बोझ सरकार पर पड़ेगा , इस कमिटी की अध्यक्षता वित्त सचिव टी वी सोमनाथन कर रहे है | 

पुरानी पेंशन स्कीम और नयी पेंशन स्कीम में क्या अंतर है 

भारत में सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम और नयी पेंशन स्कीम के बीच कई महत्वपूर्ण अंतर हैं। नीचे दिए गए बंदोबस्त में इन दोनों स्कीमों के मुख्य अंतरों का वर्णन किया गया है:

पुरानी पेंशन स्कीम:

  1. पुरानी पेंशन स्कीम में कर्मचारी की पेंशन की गणना उनके कार्यकाल में कमाई गई औसत वेतन और सेवानिवृत्ति के आधार पर की जाती है।
  2. पुरानी स्कीम में, पेंशन का भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है। सरकार निर्धारित योगदान के साथ कर्मचारी के पेंशन का भुगतान करती है।
  3. पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशनर की पेंशन बाद में सुविधाजनक मरने पर उनके पति/पत्नी या किसी और निर्धारित परिजन को मिलती है।
  4. पुरानी पेंशन स्कीम में 20 लाख रूपये तक ग्रेचुटी मिलती है |
  5. पुरानी पेंशन स्कीम में जनरल प्रोविडेंट फण्ड का प्रावधान है |
  6. पुरानी पेंशन स्कीम में भुगतान ट्रेजेरी के माध्यम से होता है |
  7. पुरानी पेंशन स्कीम में हर 6 महीने में मिलने वाले DA का भी प्रावधान है |

नई पेंशन स्कीम:

  1. नयी पेंशन स्कीम एक संदर्भ में "National Pension System" (NPS) के रूप में जानी जाती है। यह एक संगठित पेंशन योजना है जिसमें कर्मचारी निवेश के माध्यम से अपनी पेंशन को बढ़ा सकते हैं।
  2. नयी पेंशन स्कीम में, कर्मचारी अपनी सामरिक वेतन का निश्चित योगदान भुगतान करते हैं और उनकी पेंशन की राशि उनके निवेशों के परिणामस्वरूप प्राप्त होती है।
  3. इस स्कीम में, पेंशनर को पेंशन की राशि मासिक, त्रैमासिक या वार्षिक आधार पर मिलती है, जो कर्मचारी के निवेश के आधार पर निर्धारित की जाती है। पेंशन का पूरा भुगतान पेंशनर को ही मिलता है, और इसमें कोई वारिसी का हक नहीं होता है।
  4. नयी पेंशन स्कीम "National Pension System" (NPS) में पेंशन शेयर बाजार पर निर्भर करता है कम शेयर रिटर्न पर पेंशन की धनराशि भी कम हो सकती है ये ही कर्मचारियों के लिए सबसे बड़ी परेशानी का सबब है |

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