केदारनाथ घाटी में हेलीकाप्टर के शोर से मुक्त बनेंगे स्कूल
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जिलाधिकारी ने दिए सख्त निर्देश
केदारनाथ घाटी में हेलीकाप्टर |
जून 2013 की भयानक आपदा के बाद से केदारनाथ घाटी में हैलीकॉप्टर सेवा को पूरे जोर शोर से लागू किया गया था निःसंदेह ये बड़ी अच्छी ,आरामदायक और तीव्र सेवा है जिसने न केवल उत्तराखण्ड टूरिज़्म को बढ़ावा दिया है बल्कि रोजगार बढ़ाने के साथ साथ उत्तराखण्ड के राजस्व में भी वृद्धि की है लेकिन इसने स्थानीय लोगों की परेशानी को भी बढ़ाने का काम किया है | उत्तराखंड में केदारनाथ यात्रा मुख्यतः अप्रैल मई जून और जुलाई महीनों में अपने पीक पर होती है यहाँ रोज 180 विमान औसतन उड़ते है जिनसे 108 डेसीबल तक ध्वनि उत्पन होती है , जून महीने को छोड़ कर अप्रैल मई और जुलाई में छात्रो के स्कूल अपने शुरुवाती गति पकड़ने दौर में होते है और मई एवं जुलाई में तो मासिक परीक्षाएं भी सम्पादित होती है लेकिन इन महीनों में हैलीकॉप्टर के शोर से पूरी केदारघाटी के स्कूल त्रस्त हो जाते है ,विशेषरूप से राजकीय प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल देवर , प्राथमिक स्कूल मस्ता ,नारायणकोटी ,मैखंडा , खाट और खड़िआ स्कूल ,फाटा और शेरसी स्कूल इस समस्या से परेशान है लेकिन अब इस समस्या ये निजात मिलने वाली है |
जिलाधिकारी ने स्थानीय लोगों से बात कर हैलीकॉप्टर सेवा संचालित कर रही सात कंपनियों को अपने हेलिपैड के निकट स्थित स्कूलों में साउंडप्रूफ कक्षा कक्ष तैयार करवाने के निर्देश दिए है इसके लिए दो हफ्ते का समय दिया गया है आदेश का पालन नहीं करने पर हैलीकॉप्टर सेवा संचालित कर रही कंपनियों के लाइसेंस तीन वर्षों के लिए सस्पेंड करने की सिफारिश की जाएगी ,साथ साथ ये कंपनियां केदारघाटी के इन गॉवों में यात्राकाल की कुल कमाई का पांच प्रतिशत हिस्सा जनसुविधाओ के लिए भी देंगी |
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