इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिया एक अभूतपूर्व निर्णय
|
अभूतपूर्व निर्णय |
सरकारी सेवा में रहते हुए यदि कोई कर्मचारी आगे भी पढाई करना चाहता है तो विभागीय अनुमति लेकर ऐसा किया जा सकता है ये स्टडी दो प्रकार से जारी रखी जा सकती है एक डिस्टेंस मोड में दूसरा रेगुलर मोड में | रेगुलर मोड में अध्ययन जारी रखने के लिए सरकारी कर्मचारी को स्टडी लीव की सुविधा दी जाती है लेकिन नियमतः वित्तीय पुस्तिका खंड 2 के नियम 146(ए) के प्रावधानों के अनुसार अध्ययन अवकाश केवल उन ही सरकारी कर्मचारी को दिया जा सकता है जिसकी सेवा कम से कम पांच साल पूरी हुई हो , फंडामेंटल नियम 84 में भी पांच वर्ष से कम सेवा अवधि वाले कर्मचारी को सामान्यतः अध्ययन अवकाश प्रदान नहीं किया जा सकता है |
इस पर इलाहबाद हाईकोर्ट ने निर्णय दिया है कि विशेष परिस्तिथियों में पांच वर्ष से कम सेवा अवधि वाले कर्मचारी को भी अध्ययन अवकाश दिया जा सकता है याची ने अपने प्रार्थना पत्र में लिखा कि सरकारी सेवा में आने से पूर्व उसकी पीएचडी के दो वर्ष हो चुके थे और तब वह सरकारी सेवा में आया अब उसे अपनी पीएचडी पूरा करने के लिए स्टडी लीव की आवश्यकता है लेकिन उसे सेवा में अभी पांच वर्ष नहीं हुए है इसलिए विभाग उसे स्टडी लीव नहीं दे रहा है इस मामले पर हाई कोर्ट का सकारात्मक निर्णय भविष्य में कई प्रकरणों में आधार बनेगा |
YOU MAY ALSO LIKE IT-
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
please do not enter any spam link in the comment box.