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अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice, ICJ) नीदरलैंड का हेग

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice, ICJ) नीदरलैंड का हेग

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice, ICJ) संयुक्त राष्ट्र का प्रधान न्यायिक अंग है, जिसकी स्थापना 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत की गई थी। इसका मुख्यालय हेग, नीदरलैंड्स में स्थित है। ICJ का मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच कानूनी विवादों का शांतिपूर्ण समाधान करना और अंतर्राष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का विकास और स्पष्टीकरण करना है। इसमें 15 न्यायाधीश होते हैं, जो नौ वर्षों के लिए चुने जाते हैं और इन्हें पुनः चुना जा सकता है। न्यायाधीशों का चयन संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद द्वारा किया जाता है, जिसमें दोनों निकायों में बहुमत की आवश्यकता होती है ।

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का इतिहास और संरचना

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का गठन 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत हुआ था, और यह 1946 में प्रभावी हुआ। ICJ का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय विवादों को सुलझाना और अंतर्राष्ट्रीय कानून के विभिन्न मुद्दों पर सलाहकार राय देना है। इसका मुख्यालय हेग, नीदरलैंड्स में स्थित है, और इसे वि​ ​CJ में 15 न्यायाधीश होते हैं, जिन्हें नौ वर्षों के लिए चुना जाता है। ये न्यायाधीश विभिन्न कानूनी प्रणालियों और संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिससे न्यायालय में विविधता और संतुलन सुनिश्चित होता है। न्यायाधीशों का चयन संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद द्वारा किया जाता है, जिसमें दोनों निकायों में बहुमत की आवश्यकता होती है। न्यायालय के निर्णय बाध्यकारी होते हैं, लेकिन इनके प्रवर्तन का कोई सीधा साधन नहीं है, इसलिए सदस्य देशों की स्वेच्छा पर निर्भर करता है कि वे न्यायालय के आदेशों का पालन करें।

दलवीर भंडारी: अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में भारत का प्रतिनिधित्व

जस्टिस दलवीर भंडारी का जन्म 1 अक्टूबर 1947 को जोधपुर, राजस्थान में हुआ था। उन्होंने जोधपुर विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा प्राप्त की और फिर नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी, शिकागो से कानून की डिग्री प्राप्त की। अपने करियर की शुरुआत में, भंडारी ने कई वर्षों तक भारत में कानूनी अभ्यास किया और बाद में राजस्थान उच्च न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने।

shree Dalveer singh bhandari 


2005 में, भंडारी को भारत के सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्त किया गया, जहाँ उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय दिए। उनकी न्यायिक उत्कृष्टता और कानून के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। 2012 में, भंडारी को ICJ में नियुक्त किया गया, जहाँ उन्होंने कई महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय विवादों में भाग लिया।

ICJ में दलवीर भंडारी की भूमिका और योगदान

ICJ में दलवीर भंडारी की भूमिका महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय दिए हैं, जिनमें मानवाधिकार, अंतर्राष्ट्रीय विवाद और पर्यावरणीय कानून शामिल हैं। उनके योगदान ने अंतर्राष्ट्रीय कानून के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2017 में, उन्हें फिर से चुना गया, और यह चुनाव भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक जीत थी। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में 193 में से 183 वोट और सुरक्षा परिषद में सभी 15 वोट प्राप्त किए।

न्यायालय की संरचना और कार्यप्रणाली

ICJ के न्यायाधीश स्वतंत्र होते हैं और उन्हें किसी भी सरकार से निर्देश प्राप्त नहीं होते। न्यायालय में 15 न्यायाधीश होते हैं, जो नौ वर्षों के लिए चुने जाते हैं और इन्हें पुनः चुना जा सकता है। न्यायाधीशों का चयन संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद ​​। न्यायालय का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष न्यायाधीशों के बीच से चुने जाते हैं और इनका कार्यकाल तीन वर्षों का होता है। न्यायालय का मुख्यालय हेग में स्थित है और इसके निर्णय बाध्यकारी होते हैं, लेकिन इनके प्रवर्तन का कोई सीधा साधन नहीं है।

महत्वपूर्ण मामलों में भंडारी की भूमिका

ICJ में भंडारी ने कई महत्वपूर्ण मामलों में भूमिका निभाई है। उदाहरण के लिए, उन्होंने मानवाधिकारों के संरक्षण के मामलों में महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं। इसके अलावा, उन्होंने पर्यावरणीय कानून और अंतर्राष्ट्रीय विवादों के मामलों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके निर्णय अंतर्राष्ट्रीय​ में महत्वपूर्ण रहे हैं और उन्होंने कई जटिल कानूनी मुद्दों को सुलझाने में मदद की है ।

भारत के लिए कूटनीतिक महत्व

भंडारी की नियुक्ति और पुनर्नियुक्ति भारत के लिए कूटनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रही है। यह भारत के बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव का प्रमाण है और यह दिखाता है कि भारतीय न्यायाधीशों को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सम्मान और मान्यता प्राप्त हो रही है। भंडारी की नियुक्ति ने भारत के लिए एक मजबूत न्यायिक उपस्थिति स्थापित की है और यह देश के कानूनी और न्यायिक प्रणाली की प्रतिष्ठा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

निष्कर्ष

जस्टिस दलवीर भंडारी का ICJ में योगदान न केवल भारत के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह अंतर्राष्ट्रीय न्याय प्रणाली के लिए भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उनकी नियुक्ति और उनके कार्यकाल ने यह साबित किया​ ​न्यायाधीश वैश्विक मंच पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और अंतर्राष्ट्रीय न्याय को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं । भंडारी के कार्यकाल ने अंतर्राष्ट्रीय कानून के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और यह सुनिश्चित किया है कि न्याय और कानून के सिद्धांतों का सम्मान किया जाए।

इस प्रकार, दलवीर भंडारी का योगदान और उनकी भूमिका ICJ में भारत के लिए महत्वपूर्ण है और यह देश के अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक मंच पर एक मजबूत उपस्थिति को दर्शाता है। उनकी सफलता में उनके परिवार और देश का महत्वपूर्ण योगदान है। उनके पिता भी एक प्रतिष्ठित न्यायाधीश थे, जिन्होंने उन्हें न्याय और कानून के प्रति प्रेरित किया। भंडारी की इस यात्रा में उनके परिवार का समर्थन और उनके अपने कठोर परिश्रम का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।​


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