वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए विभागीय आय व्ययक तैयार किये जाने के सम्बन्ध में

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वित्तीय वर्ष 2025-26  के लिए विभागीय आय व्ययक  पेज 01  पेज 02  YOU MAY ALSO LIKE IT- हिममेधा ब्लॉग उत्तराखण्ड में शिक्षकों को दुर्गम की सेवाओं का दोगुना लाभ मिलना शुरू  इस पड़ौसी राज्य में अब सहायक अध्यापक भी बन सकेंगे प्रधानाचार्य  प्रोजेक्ट कार्य सामाजिक विज्ञान- यूरोप में समाजवाद और रुसी क्रांति  सीबीएसई परीक्षा में स्कूल ने गलती से छात्रा को दे दिए जीरो मार्क्स, अब कोर्ट ने लगाया 30 हजार रूपये का जुर्माना  उत्तराखण्ड बोर्ड ने घोषित की प्रैक्टिकल और बोर्ड परीक्षा की डेट

उत्तराखंड राजकीय शिक्षक संघ ने की मांग प्रभारी प्रधानाचार्यों को भी मिले नियमित प्रधानाचार्य के वेतन और भत्ते

प्रधानाचार्यों की सीधी भर्ती को निरस्त कर प्रमोशन से भरे सभी पद सरकार 

अहम् फैसला 

क्या एक प्रभारी प्रधानाध्यापक जो अपने स्कूल में कार्यवाहक प्रधानाध्यापक के पद रहकर प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी वहन कर रहा है उसे एक नियमित प्रधानाध्यापक के समान वेतन और भत्तों का भुगतान किया जा सकता है , सुनने में ये तार्किक लग सकता है क्योंकि नियमित प्रधानाध्यापक के ना होने से वह व्यक्ति दो पदों की जिम्मेदारी भी तो वहन कर रहा है एक उसका मूल पद जिस पर वह नियुक्त हुआ है और दूसरा प्रभारी प्रधानाध्यापक का पद जिस पर वह कार्यवाहक के रुप में जिम्मेदारी निर्वाह कर रहा है | 

उत्तराखंड में लगभग 1007 इण्टर कॉलेजों में प्रभारी प्रधानाचार्यों को तैनात किया किया गया है जिनके ऊपर दोहरी जिम्मेदारी है , लेकिन सरकार दो पदों की जिम्मेदारी संभालने के बाद भी उन प्रभारी शिक्षकों को उनके मूल पद का ही वेतन दे रही है जिसे लेकर अब राजकीय शिक्षक संघ के महामंत्री रमेश चंद्र पैन्यूली ने इस व्यवस्था का विरोध किया है और कहा है कि शिक्षकों पर प्रभारी की जिम्मेदारी डालने की प्रवृत्ति गलत है इसलिए सरकार को नियमित प्रधानाचार्य की भर्ती प्रमोशन से करते हुए सभी पदों को भरना चाहिए और प्रधानचार्यों की सीधी भर्ती को निरस्त करना चाहिए , इसके साथ ही महामंत्री रमेश चंद्र पैन्यूली ने कहा कि प्रभारी शिक्षकों को जो प्रधानचार्य की जिम्मेदारी संभाल रहे है उन्हें प्रधानाचार्यों के पद के समान ही वेतन भत्ते भी मिलने चाहिए | 

इसी संदर्भ में हाल ही में त्रिपुरारी दुबे और एक अन्य याची की अपील पर सुनवाई करते हुए इलाहबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने  याची के पक्ष में अपना आदेश दिया है, याची का तर्क है कि उसकी मूल नियुक्ति 2005 में हुई है और वह उच्च प्राथमिक स्कूल में कार्यवाहक प्रधानाध्यापक के रुप में 2014 से लगातार कार्य कर रहा है क्योंकि इस स्कूल में कभी भी विभाग द्वारा नियमित प्रधानाध्यापक की नियुक्ति नहीं की गयी है और वह एक लम्बे समय से कार्यवाहक प्रधानाध्यापक के पद पर कार्य कर रहा है इसलिए इस पद पर कार्य करने के लिए याची को इस पद वेतन भी दिया जाना चाहिए दूसरी और शिक्षा विभाग के अधिकारी तर्क देते है कि याची प्रधानाध्यापक पद के लिए अर्ह नहीं है इसलिए उसे नियमित प्रधानाध्यापक के पद का वेतन नहीं दिया जा सकता है , याची की और से अपने दावे के समर्थन में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कई वादों की नजीरें पेश की गयी , माननीय हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को लम्बे समय तक सुना और बाद में याची की दलीलों से सहमत होते हुए विभाग को याची को 31 मई 2014 से प्रधानाध्यापक पद का वेतन और भत्ते देने का निर्देश दिया है | 


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