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जून 2024 में भीषण गर्मी के लिए रहे तैयार- अल नीनो प्रभाव

डूब सकती है भारत सहित विश्व की 3 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी 

अल नीनो प्रभाव 


 नीनो साइंस के शोध के अनुसार भारत सहित कई  देशों में इस बार सूखे की दशा बन सकती है अल नीनो के कारण 1982 -83 और 1997 में कुल मिलाकर 11 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान देखा गया था इसका असर 2016 में भी देखा गया था 2016 के वर्ष  को अब तक सबसे गर्म वर्ष के रूप में जाना जाता है | 

अल नीनो क्या है भारत पर इसका क्या प्रभाव है-

एल नीनो एक ग्लोबल मौसमी घटना है जो मुख्य रूप से प्रशांत महासागर में होती है और सामुद्रिक और आबादी क्षेत्रों पर प्रभाव डालती है। यह वार्षिक तापमान, वर्षा और हवा की व्यवस्था पर प्रभाव डालती है।

एल नीनो के दौरान प्रशांत महासागर के सतही जल का तापमान असामान्य रूप से बढ़ जाता है और इसके परिणामस्वरूप वायुमंडलीय परिवर्तन होते हैं। इसका प्रमुख परिणाम है कि एल नीनो वर्षा प्रणाली पर प्रभाव डालता है और विभिन्न भागों में अनियमित वर्षा के कारण प्राकृतिक आपदाओं का कारण बन सकता है।

भारत पर एल नीनो का प्रभाव विभिन्न तरह से दिख सकता है। एक उदाहरण है कि एल नीनो के दौरान भारतीय मानसून प्रणाली पर प्रभाव डालता है और वर्षा की मात्रा और वितरण में अस्थिरता पैदा करता है। इसके परिणामस्वरूप, एल नीनो के साथ वर्षा की कमी या अधिकता हो सकती है, जिससे सूखा या बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसके अलावा, एल नीनो के दौरान भारतीय तटों पर तेज तूफानों की संभावना भी बढ़ जाती है।

यह महत्वपूर्ण है कि एल नीनो के प्रभाव का अनुमान लगाना कठिन होता है, क्योंकि इसकी दिनों की संख्या, अवधि और इंटेंसिटी अविश्वसनीय रूप से बदल सकती हैं। इसलिए, भारत के वैज्ञानिक और मौसम विज्ञानी नियमित रूप से इसे मॉनिटर करते हैं और इसके प्रभावों का अध्ययन करते हैं ताकि उचित चेतावनी दी जा सके और इसके संभावित परिणामों से निपटने के लिए तैयारी की जा सके।

अल नीनो और चक्रवात में क्या अंतर है


एल नीनो (El Niño) और चक्रवात (Cyclone) दो अलग-अलग मौसम घटनाओं को दर्शाते हैं। इन दोनों के बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं।

एल नीनो एक मौसमी घटना है जो प्रशांत महासागर में होती है। इसके दौरान प्रशांत महासागर के सतही जल का तापमान असामान्य रूप से बढ़ जाता है, जिससे वायुमंडलीय परिवर्तन होते हैं और विभिन्न भागों में अनियमित वर्षा और मौसम परिवर्तन का कारण बनता है। एल नीनो के दौरान मौसमी प्रणालियों पर प्रभाव पड़ता है और विभिन्न क्षेत्रों में अस्थिरता का कारण बनता है। यह वर्षा की मात्रा, वर्षा का वितरण और तापमान पर प्रभाव डालता है।

चक्रवात एक तेज वातावरणिक संघटना है जो ऊर्जा के बल पर गतिशील होती है। यह समुद्री क्षेत्रों में होने वाले प्रवाहों के कारण उत्पन्न होता है। चक्रवात एक प्रकार का मौसमी मंडल होता है जिसका केंद्र मेंद्रित चक्रवाती क्षेत्र होता है। चक्रवात में हवा घूमती है और अपने आंतरिक केंद्र की ओर प्रवृत्ति करती है। यह तेज वायुमंडलीय घटना होता है जिसके कारण तेज हवाएं, तूफानी बादल और तेज़ वायुसंचार उत्पन्न होते हैं। चक्रवात सामान्य रूप से एक क्षेत्रीय मौसमी प्रभाव होता है और उसका प्रभाव चक्रवाती क्षेत्र के आस-पास के क्षेत्रों तक सीमित रहता है।

इस तरह, एल नीनो और चक्रवात दो अलग-अलग मौसमी प्रभाव हैं जो अलग-अलग कारणों से उत्पन्न होते हैं और विभिन्न मौसम प्रणालियों पर अपना प्रभाव डालते हैं।


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