वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए विभागीय आय व्ययक तैयार किये जाने के सम्बन्ध में

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वित्तीय वर्ष 2025-26  के लिए विभागीय आय व्ययक  पेज 01  पेज 02  YOU MAY ALSO LIKE IT- हिममेधा ब्लॉग उत्तराखण्ड में शिक्षकों को दुर्गम की सेवाओं का दोगुना लाभ मिलना शुरू  इस पड़ौसी राज्य में अब सहायक अध्यापक भी बन सकेंगे प्रधानाचार्य  प्रोजेक्ट कार्य सामाजिक विज्ञान- यूरोप में समाजवाद और रुसी क्रांति  सीबीएसई परीक्षा में स्कूल ने गलती से छात्रा को दे दिए जीरो मार्क्स, अब कोर्ट ने लगाया 30 हजार रूपये का जुर्माना  उत्तराखण्ड बोर्ड ने घोषित की प्रैक्टिकल और बोर्ड परीक्षा की डेट

क्या विदेशी ताकतों ने चुनाव में मोदी को रोकने की कोशिश की- ट्विटर पर छिड़ी बहस

डिसइन्फो लैब की रिपोर्ट के थ्रेड्स ने मचाई खलबली 

डिसइंफ़ो रिपोर्ट 

मोदी की चुनावी जीत से पहले एग्जिट पोल के बाद यूरोपीय देश खासकर पश्चिमी मीडिया काफी नेगेटिव बाते प्रकाशित कर रहे थे ऐसे आधार बनाने के प्रयास हो रहे थे जिनसे सरकार के विरुद्ध वातावरण बन सकें , इंटरनेट पर ऐसे नरेटिव की बाढ़ आ गई थी , अब चुनाव नतीजों के बाद कुछ ऐसी रिपोर्ट सामने आई है कि इस चुनाव को विदेशी ताकतों ने प्रभावित करने की कोशिश की है क्योंकि वे नहीं चाहते है कि भारत में एक मजबूत प्रधानमंत्री के रूप में तीसरी बार नरेंद्र मोदी सत्ता में आये | 

प्लेटफॉर्म पर एक यूजर अभिजीत मजूमदार के एक पोस्ट के बाद हंगामा मचा हुआ है इस पोस्ट में मजूमदार ने लिखा कि इस लोकसभा चुनाव में सोशल मिडिया , हेनरी लुइस फाउंडेशन , सोरोस  , यूएस डीप डिपार्टमेंट, क्रिस्टोफ जैफरलॉट, एंड्रू त्रुस्की और ग्लोबल फंडिंग जैसी ताकतों ने मोदी की जीत को रोकने की कोशिश की है अपने इस दावे के साथ मजूमदार ने डिसइंफ़ो लैब के ट्विटर हैंडल से किये गए कई पोस्ट के थ्रेड्स भी शेयर किये है | डिसइंफ़ो लैब ने एक पूरी रिपोर्ट बनाई है इस पर जिसका शीर्षक है एक्सोजड़-मिलियंस ऑफ़ डॉलर फंडेड तो इम्पैक्ट इंडियन इलेक्शन रिजल्ट | 

डिसइंफ़ो लैब यूरोप की एक गैर सरकारी संस्था है जो ये दावा करती है कि वो पश्चिमी देशों में सूचनाओं से छेड़छाड़ करने वाली मीडिया संस्थाओं पर नजर रखती है और उनकी रिपोर्ट को सार्वजनिक करती है इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ मिडिया आउटलेट्स को फंडिंग भी की गई है और भारत के वोटर्स का दिमाग बदलने की कोशिश की गई है इसके लिए काफी किस्म की न्यूज़ और आर्टिकल्स बनाये गए , भारत को जाति आधार पर बांटने वाला कास्ट सेसंस का नरेटिव भी फ्रांस से ही आया है इसमें आगे कहा गया कि क्रिस्टोफ जैफ्रेलॉट के सहयोगियों ने ये बात फ़ैलाने की कोशिश की कि भारत की राजनीती में निचली जातियों की हिस्सेदारी काफी कम है क्रिस्टोफ जैफ्रेलॉट ने 2021 में एक पेपर लिखा था जिसका शीर्षक था भारत में कास्ट सेसंस की आवश्यकता , और इसके बाद ही भारत मे राजनीति के स्तर पर जाति गणना पर चर्चा होनी शुरू हुई थी क्योंकि भारत की राजनीति में इस तरह का दबाव बनाया गया था , डिसइंफ़ो लैब की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी संस्था हेनरी लुइस फाउंडेशन ने क्रिस्टोफ जैफ्रेलॉट को भारी फंडिंग भी की है इसके अतिरिक्त 2023 में भी मोदी सरकार के खिलाफ सोरोस पर भी साजिश के आरोप लगे थे | 

एक दूसरे का दूसरे देश की राजनीति और चुनाव को प्रभावित करने का ये खेल अब कोई नया नहीं रह गया है प्रत्येक ताकतवर देश अपने हितों की सुरक्षा को लेकर दूसरे देश के चुनाव को अपने हिसाब से मोड़ने की कोशिश करता है चाहे वो चीन हो या यूरोपीय देश | 


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