विद्यालय समय सारिणी,अवकाशों में प्रस्तावित संशोधनों पर अध्यापकों के सुझाव आमंत्रित

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अभिभावकों , छात्रों और संस्थाध्यक्षों से भी मांगे गए सुझाव  सुझाव आमंत्रित  YOU MAY ALSO LIKE IT- हिममेधा ब्लॉग उत्तराखण्ड में शिक्षकों को दुर्गम की सेवाओं का दोगुना लाभ मिलना शुरू  इस पड़ौसी राज्य में अब सहायक अध्यापक भी बन सकेंगे प्रधानाचार्य  प्रोजेक्ट कार्य सामाजिक विज्ञान- यूरोप में समाजवाद और रुसी क्रांति  सीबीएसई परीक्षा में स्कूल ने गलती से छात्रा को दे दिए जीरो मार्क्स, अब कोर्ट ने लगाया 30 हजार रूपये का जुर्माना  उत्तराखण्ड बोर्ड ने घोषित की प्रैक्टिकल और बोर्ड परीक्षा की डेट

केंद्र सरकार ने राज्य में स्कूलों में प्रवेश की आयुसीमा को लेकर किया आदेश, कई राज्यों ने किया विरोध

उम्र सीमा अलग होने से नामांकन अनुपात गणना में होती है गड़बड़ी 

स्कूलों में प्रवेश की आयुसीमा 

भारत में सामान्यतः अप्रैल में नए शैक्षिक सत्र की शुरुवात होती है जिसके लिए प्रवेश प्रक्रिया नवंबर से ही शुरू हो जाती है | एडमिशन की उम्र को लेकर केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को सतर्क किया है कि प्रवेश की उम्र सीमा सभी राज्यों में एक समान रखी जाए इसके अंतर्गत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को बालवाटिका और कक्षा 01 में एड्मिशन के लिए उम्र सीमा क्रमशः तीन वर्ष से अधिक, छः वर्ष रखने को कहा है | 

अभी तक कई राज्यों में पहली कक्षा में प्रवेश को लेकर कोई निश्चित उम्र सीमा नहीं है इसमें अलग अलग राज्यों में अलग अलग उम्र सीमा है जबकि स्कूली शिक्षा में शामिल बालवाटिका में प्रवेश के लिए अभी तक भी कोई उम्र सीमा नहीं तय की गयी है प्रत्येक राज्य अपने अपने अनुसार बालवाटिका में प्रवेश देते है , लेकिन अब केंद्र सरकार ने भारत में नयी शिक्षा नीति 2020 लागू होने के बाद पहली कक्षा में 6 वर्ष न्यूनतम उम्र रखने की बात कही है | 

भारत के केंद्र शासित राज्यों सहित 22 राज्यों में पहली कक्षा में प्रवेश उम्रसीमा 6 वर्ष ही निर्धारित है जबकि 14 राज्यों में (दिल्ली ,गुजरात ,कर्णाटक और केरल सहित) ये सीमा पांच से साढ़े पांच वर्ष है लेकिन पिछले साल से गुजरात ,कर्णाटक और असम में इसे छह वर्ष कर दिया गया है | 

ये राज्य कर रहे है विरोध -

स्कूली शिक्षा को अब 10 +2 की व्यवस्था से निकालकर अब 5 +3 +3 +4 में परिवर्तित किया गया है जिसमे शुरुवाती पांच वर्ष को फाउंडेशन स्टेज कहा जाता है लेकिन आंध्रा प्रदेश ,तेलंगाना और केरल जैसे राज्य अभी भी पहली कक्षा में उम्र सीमा पांच से साढ़े पांच वर्ष तक ही रखने को अड़े हुए है, जबकि केंद्र का तर्क है इसके कारण नामांकन अनुपात की गणना में गड़बड़ी होती है और ऐसे अभिभावक जो अपनी नौकरी के कारण एक राज्य से दूसरे राज्य शिफ्ट होते रहते है के बच्चो को सबसे अधिक दुष्परिणाम भुगतना पड़ता है | 

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