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प्रोजेक्ट कार्य 6 - भारत में पाए जाने वाले खनिज पदार्थ और उनका वितरण

परियोजना कार्य -6 भारत में पाए जाने वाले खनिज पदार्थ और उनका वितरण 

खनिज पदार्थ 
लोहा अयस्क-

भारत में लोहा अयस्क की खोज और उसका प्राप्ति एक विशेष प्रक्रिया है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में वितरित खानों से अयस्क निकाला जाता है। यह अयस्क उपयोगकर्ताओं द्वारा लोहे बनाने में सहारा प्रदान करता है, जिससे विभिन्न उद्योगों में इसका उपयोग हो सकता है। यहां हम भारत में प्रमुख लोहा अयस्क खानों और उनके स्थानों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे:

1. बैलाडील्ली खदान, कर्नाटक:
कर्नाटक राज्य भारत के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित है और यहां बैलाडील्ली खदान एक प्रमुख लोहा अयस्क खान है। इस खदान से प्राप्त अयस्क का उपयोग लोहे बनाने के लिए किया जाता है।

2. दुर्ग, छत्तीसगढ़:
छत्तीसगढ़ राज्य भारत के मध्य भाग में स्थित है और यहां दुर्ग जिला में विभिन्न लोहा अयस्क खानें हैं। छत्तीसगढ़ का यह क्षेत्र लोहे के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

3. सिंगभूम, झारखण्ड :
झारखण्ड राज्य भारत के पूर्वी भाग में स्थित है और यहां सिंगभूम जिला एक प्रमुख लोहा अयस्क खान क्षेत्र है। इस जिले के कई स्थानों से अयस्क प्राप्त किया जाता है जो उद्योगों में उपयोग होता है।

4. गोआ:
गोआ भारत के पश्चिम तट पर स्थित है और यहां भी लोहा अयस्क की खोज और उत्पादन होता है। गोआ के खानों से अयस्क प्राप्त करके लोहा उत्पादन किया जाता है जो विभिन्न उद्योगों में उपयोग होता है।

5. नौगढ़, ओड़ीशा:
ओड़ीशा राज्य भारत के पूर्वी भाग में स्थित है और यहां नौगढ़ जिला लोहा अयस्क के लिए प्रसिद्ध है। इस जिले में कई अयस्क खानें हैं जो उद्योगों को लोहा आपूर्ति करती हैं।

6. भिलाई, छत्तीसगढ़:
छत्तीसगढ़ राज्य में भिलाई एक उद्योगीन शहर है, और यहां एक बड़ा लोहा उद्योग स्थित है जो अयस्क से लोहा बनाता है। भिलाई स्टील प्लांट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

7. राऊरकेला , ओड़ीशा:
ओड़ीशा में रौरकेल एक अन्य प्रमुख लोहा अयस्क क्षेत्र है जो उद्योगों को लोहा प्रदान करता है। रौरकेल स्टील प्लांट भी एक बड़ा उद्योग स्थल है जो लोहा अयस्क का प्रबंधन करता है।

8. बोकारो, झारखंड:
झारखंड राज्य में बोकारो एक अन्य महत्वपूर्ण स्थान है जहां लोहा अयस्क से लोहा बनाया जाता है। बोकारो स्टील प्लांट भारत में सबसे बड़ा लोहा निर्माण करने वाला स्थान है।

9. जामशेदपुर, झारखंड:
झारखंड में जामशेदपुर भी एक उद्योगीन शहर है जो लोहा अयस्क के प्रबंधन का केंद्र है। यहां विभिन्न उद्योगों में लोहा उत्पादन के लिए अयस्क का उपयोग किया जाता है।

10. हौग, कर्नाटक:
कर्नाटक राज्य में हौग भी एक प्रमुख लोहा अयस्क खान है जो उद्योगों को लोहा प्रदान करता है। यहां स्थित खदानों से अयस्क प्राप्त करके उद्योगों में उपयोग होता है।

इन स्थानों से अयस्क का प्राप्ति करने के बाद, यह धातु उद्योगों में भेजा जाता है जहां उसे विभिन्न तकनीकी प्रक्रियाओं से लोहा बनाया जाता है। यह लोहा फिर विभिन्न उद्योगों में उपयोग होता है, जैसे कि निर्माण, यांत्रिकी, औद्योगिक, और अन्य क्षेत्रों में। इसके माध्यम से, भारत लोहा अयस्क के उत्पादन में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना हुआ है, जो देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में मदद करता है।

तांबा खनिज -

भारत में तांबा, एक महत्वपूर्ण धातु है, जिसका उपयोग विभिन्न उद्योगों, औद्योगिक क्षेत्रों, और शिल्पकला में होता है। तांबा की खानों का पता लगाना और इसकी प्राप्ति करना भारत में विभिन्न क्षेत्रों में होता है, और इससे तांबे के विभिन्न उपयोगों के लिए सोर्स मिलता है। यहां हम भारत में प्रमुख तांबा खानों और उनके स्थानों की चर्चा करेंगे:

1. सिंगभूम, झारखण्ड:
राज्य में सिंगभूम जिला एक प्रमुख तांबा खान क्षेत्र है। यहां तांबा की खोज और उत्पादन की जाती है, जिसे भारत के विभिन्न हिस्सों में बेचा जाता है।

2. मालाजखंड, राजस्थान:
राजस्थान राज्य में मालाजखंड एक अन्य तांबा उत्पादन क्षेत्र है। यहां से प्राप्त तांबा राजस्थान के औद्योगिक सेंटर्स में भेजा जाता है जहां उसका उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है।

3. अदिलाबाद, तेलंगाना:
तेलंगाना राज्य के अदिलाबाद जिला में भी तांबा की खानें स्थित हैं। यहां के खानों से प्राप्त तांबा उद्योगिक क्षेत्रों में भेजा जाता है, जहां इससे विभिन्न उत्पादों का निर्माण किया जाता है।

4. मलजीगांव, महाराष्ट्र:
महाराष्ट्र राज्य में मलजीगांव भी एक महत्वपूर्ण तांबा उत्पादन क्षेत्र है। यहां से प्राप्त तांबा महाराष्ट्र के विभिन्न उद्योगों के लिए उपयोग होता है।

5. खेतडी , राजस्थान:
राजस्थान के खेत्री जिला में भी तांबा की खानें स्थित हैं। यहां से प्राप्त तांबा विभिन्न उद्योगों के लिए भेजा जाता है, जो इसे औद्योगिक उपयोग और निर्माण के लिए सामग्री के रूप में उपयोग करते हैं।

6. अजमेर, राजस्थान:
राजस्थान के अजमेर शहर में भी तांबा की खानें स्थित हैं जो राजस्थान के तांबा उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

7. भिलवाड़, राजस्थान:
राजस्थान के भिलवाड़ जिला में भी तांबा की खानें हैं, जो उद्योगिक क्षेत्रों और निर्माण क्षेत्रों को तांबे की आपूर्ति करने में मदद करती हैं।

8. जैसलमेर, राजस्थान:
राजस्थान के जैसलमेर शहर में भी तांबा की खानें स्थित हैं, जो इस राज्य को तांबे के उत्पादन में अहम बनाती हैं।

9. कूपर, सिंधुदुर्ग, महाराष्ट्र:
महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में कूपर गाँव में एक तांबा खान स्थित है, जो यहां से प्राप्त तांबा को विभिन्न स्थानों पर भेजा जाता है।

10. मालानवला, पंजाब:
पंजाब राज्य में मालानवला गाँव में तांबा की खानें स्थित हैं, जो इस क्षेत्र को तांबे के उत्पादन में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाती हैं।

इन स्थानों से प्राप्त तांबा उपयोगिता के अनुसार विभिन्न उद्योगों, शिक्षा, रसायन, औद्योगिक उत्पादों, आभूषण, और निर्माण क्षेत्रों में उपयोग होता है। तांबा एक साधारित मेटल होने के साथ-साथ, यह धातु भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं में एक महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करता है।

मैंगनीज खनिज -

मैंगनीज भूमि में पाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण खनिज है जो विभिन्न उद्योगों में उपयोग होता है। भारत में मैंगनीज के खनन के क्षेत्रों की सूची लंबी है और यह देश को इस खनिज के समृद्धि से लाभान्वित करता है। यहां हम भारत में मुख्य मैंगनीज खानों और उनके स्थानों की चर्चा करेंगे:

1. बैलाडील्ला , कर्नाटक:
कर्नाटक राज्य में बैलाडील्ली एक प्रमुख मैंगनीज खान है। यहां से प्राप्त मैंगनीज विभिन्न उद्योगों में उपयोग होता है, जैसे कि धातुओं के उत्पादन, रेलवे ट्रैक्स, और औद्योगिक उत्पादों में।

2. बैलासुर, कर्नाटक:
कर्नाटक के बैलासुर जिले में भी मैंगनीज खानें स्थित हैं जो इस खनिज के उत्पादन में योगदान करती हैं। यहां से निकलने वाला मैंगनीज रोजगार सृष्टि, औद्योगिक उत्पादन, और निर्माण के लिए उपयोग होता है।

3. बालाघाट, छत्तीसगढ़:
छत्तीसगढ़ राज्य में बालाघाट एक अन्य महत्वपूर्ण मैंगनीज खान क्षेत्र है। यहां से प्राप्त मैंगनीज छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करता है और औद्योगिक क्षेत्रों में उपयोग होता है।

4. कोटा, राजस्थान:
राजस्थान के कोटा जिले में भी मैंगनीज खानें हैं जो उद्योगिक क्षेत्रों और धातुओं के उत्पादन के लिए उपयोग होता है। यहां से प्राप्त मैंगनीज राजस्थान के उद्योगों को सजीवनी सामग्री प्रदान करता है।

5. नागपुर, महाराष्ट्र:
महाराष्ट्र के नागपुर जिले में भी मैंगनीज खनन होता है। यहां से प्राप्त मैंगनीज उद्योगिक क्षेत्रों, रेलवे इंजनियरिंग, और निर्माण में उपयोग होता है।

6. कुशालगढ़, ओड़ीशा:
ओड़ीशा राज्य के कुशालगढ़ जिले में भी मैंगनीज की खानें स्थित हैं जो इस क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। यहां से प्राप्त मैंगनीज ओड़ीशा की अर्थव्यवस्था में सुधार करने में मदद करता है।

8. टोंक, राजस्थान:
राजस्थान के टोंक जिले में भी मैंगनीज की खानें स्थित हैं जो यहां से प्राप्त होने वाले मैंगनीज को विभिन्न उद्योगों में उपयोगिता में लाते हैं।

10. बेलगाम, कर्नाटक:
कर्नाटक के बेलगाम जिले में भी मैंगनीज की खानें स्थित हैं जो इस क्षेत्र को मैंगनीज उत्पादन में मजबूत बनाती हैं।

इन स्थानों से प्राप्त मैंगनीज विभिन्न उद्योगों में उपयोग होता है, जैसे कि धातुओं के उत्पादन, बैटरी उद्योग, रेलवे इंजनियरिंग, औद्योगिक उत्पादों, और निर्माण में। यह खनिज भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण स्रोत है जो उद्यमिता और समृद्धि के क्षेत्रों में योगदान करता है।

कोयला -

कोयला, भारत में एक महत्वपूर्ण खनिज है जो देश की ऊर्जा संबंधी जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी खोज और खनन देशभर में कई क्षेत्रों में होता है और यह विभिन्न राज्यों में पाया जाता है।

झारखंड:
झारखंड भारत का एक प्रमुख कोयला खनन क्षेत्र है और यहां कई खानें स्थित हैं। धनबाद, रांची, देवघर, गिरिडीह, और भागलपुर झारखंड के मुख्य कोयला खनन क्षेत्रों में से कुछ हैं। यहां की खानें देश के ऊर्जा उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान करती हैं और यहां की कोयला को विभिन्न उद्योगों में उपयोग किया जाता है।

छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ भी भारत में एक प्रमुख कोयला उत्पादक राज्य है और यहां कई खानें स्थित हैं। कोरबा, रायपुर, बिलासपुर, सरिसा, और आमबिकापुर चट्टीसगढ़ के प्रमुख कोयला खनन क्षेत्रों में शामिल हैं। यहां की कोयला भी देश के ऊर्जा उत्पादन को समर्थन करती है और उद्योगों के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

मध्य प्रदेश:
मध्य प्रदेश भी कोयला उत्पादन में एक महत्वपूर्ण राज्य है। सिंगरौली, सतना, शाहडोल, और उमरिया मध्य प्रदेश के कोयला खनन क्षेत्रों में शामिल हैं। यहां की कोयला उद्योगों और ऊर्जा उत्पादन इकाइयों को आपूर्ति करती है और देश में ऊर्जा के क्षेत्र में विकसिति में योगदान करती है।

ओडिशा:
ओडिशा भी एक महत्वपूर्ण कोयला उत्पादक राज्य है और यहां कई खानें स्थित हैं। तलचेरू, सुंदरगढ़, जाजपुर, और अंगुल ओडिशा के प्रमुख कोयला खनन क्षेत्रों में शामिल हैं। यहां की कोयला भी उद्योगों और ऊर्जा उत्पादन इकाइयों को समर्थन करती है और यह देश की ऊर्जा सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण योगदान करती है।

तेलंगाना:
तेलंगाना भी कोयला के खनन क्षेत्रों के लिए जाना जाता है और इसमें कोयला की खानें शामिल हैं। यहां के खनन क्षेत्रों में क्यूड़ापाह, आसिफाबाद, रांगारेड्डी, और निजामाबाद शामिल हैं जो देश में ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।

महाराष्ट्र:
महाराष्ट्र में भी कोयला के खनन क्षेत्र हैं जैसे कि चंद्रपुर, यवतमाल, वर्धा, और नागपुर। यहां की कोयला उद्योगों और ऊर्जा इकाइयों को समर्थन करती है और देश के उद्योगों को ऊर्जा संबंधी जरूरतों को पूरा करने में मदद करती है।

राजस्थान:
राजस्थान में भी कुछ प्रमुख कोयला खनन क्षेत्र हैं जैसे कि बारमेर, चूरु, और कोटा। यहां की कोयला उद्योगों में भारतीय ऊर्जा संबंधी योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण योगदान करती है।

अंध्र प्रदेश:
अंध्र प्रदेश में कोयला के खनन क्षेत्रों की विशेषज्ञता है और इसमें कोयला की खानें स्थित हैं जैसे कि कोय्यागुडम, नेल्लूर, और कुड़ीपुदी। यहां की कोयला उद्योगों ने देश के ऊर्जा उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान किया है।

तमिलनाडु:
तमिलनाडु भी कोयला उत्पादन के लिए जाना जाता है और यहां की कोयला खानें कोयंबटूर, नीलगिरि, सालेम, और चेन्नई में स्थित हैं। यहां की कोयला उद्योगों ने देश के उद्योगों को ऊर्जा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

केरल:
केरल भी एक कोयला खनन क्षेत्र है और इसमें कोयला की खानें कोल्लम, अलाप्पुज्हा, और पथनामथिट्टा में स्थित हैं। यहां के कोयला उद्योग भी देश के ऊर्जा उत्पादन में अपनी भूमिका निभाते हैं।

टंगस्टन अयस्क -

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भारत में टंगस्टन खनन एक अहम खाद्य है जो उद्योग, विज्ञान, और उन्नत तकनीकी क्षेत्रों के लिए आवश्यक है। टंगस्टन, जिसे विशेष रूप से हार्डमेटल के रूप में जाना जाता है, उन्नत मशीनरी, टूल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, और अन्य उद्योगों में उपयोग होता है। इसका प्रमुख उत्पादक देश भारत में कई स्थानों पर टंगस्टन खनन होता है, जिनमें निम्नलिखित कुछ प्रमुख राज्यों और क्षेत्रों की शामिल हैं:

  1. राजस्थान:

    • राजस्थान भारत का एक प्रमुख टंगस्टन उत्पादक राज्य है।
    • बलोतरा, रेवां, और उदयपुर राजस्थान के टंगस्टन खदानों के प्रमुख क्षेत्रों में शामिल हैं।
  2. हिमाचल प्रदेश:

    • हिमाचल प्रदेश में भी कुछ स्थानों पर टंगस्टन खनन होता है।
    • लाहौल-स्पीति जिले में कुछ खानों में टंगस्टन उत्पादन किया जाता है।
  3. कर्नाटक:

    • कर्नाटक राज्य में भी टंगस्टन खनन क्षेत्रों का पर्याय है।
    • चित्रदुर्ग, हसन, और बेलारी इस राज्य के कुछ प्रमुख टंगस्टन उत्पादन क्षेत्रों में शामिल हैं।
  4. अरुणाचल प्रदेश:

    • अरुणाचल प्रदेश उत्तर पूर्वी भारत में स्थित है और यहां भी कुछ स्थानों पर टंगस्टन खनन होता है।
    • खेदा, सोनभद्र, और वनसुर जैसे क्षेत्र इस राज्य के टंगस्टन उत्पादन क्षेत्रों में हैं।
  5. मेघालय:

    • मेघालय उत्तर पूर्वी भारत में स्थित है और यहां भी कुछ स्थानों पर टंगस्टन खनन होता है।
    • वारेंग, मेघालय में टंगस्टन के खदानों में उत्पादन होता है।
  6. असम:

    • असम पूर्व भारत में स्थित है और टंगस्टन उत्पादन के लिए कुछ क्षेत्रों में मशहूर है।
    • हाइटीली, लौहत, और दुर्गी इस राज्य के टंगस्टन उत्पादन क्षेत्रों के उदाहरण हैं।
  7. मध्य प्रदेश:

    • मध्य प्रदेश में भी कुछ स्थानों पर टंगस्टन के खदान हैं।
    • छिंदवाड़ा, खंडवा, और हरदा इस राज्य के टंगस्टन उत्पादन क्षेत्रों में शामिल हैं।
  8. पुडुचेरी:

    • भारत के दक्षिण तट में स्थित पुडुचेरी भी टंगस्टन के खदानों का एक स्रोत है।
    • यहां कुछ स्थानों पर टंगस्टन उत्पादन होता है जो उद्योगों को उपयुक्त सामग्री प्रदान करता है।
  9. तेलंगाना:

    • तेलंगाना राज्य में भी कुछ स्थानों पर टंगस्टन खनन किया जाता है।
    • खन्ना, विकाराबाद, और महबूबाबाद इस राज्य के टंगस्टन खदानों में शामिल हैं।
  10. केरल:

    • केरल दक्षिण भारत में स्थित है और यहां कुछ स्थानों पर टंगस्टन के खदान हैं।
    • पाठानांठिता, इडुक्की, और पञ्चायतुप्रथ इस राज्य के टंगस्टन खनन क्षेत्रों में शामिल हैं।

ये स्थान भारत में टंगस्टन खनन के प्रमुख क्षेत्र हैं जो देश को इस महत्वपूर्ण धातु की आपूर्ति में सहायक हैं और उद्योगों को उच्च-तकनीकी उत्पादों के लिए आवश्यक सामग्री प्रदान करते हैं। टंगस्टन उत्पादों का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स, उद्योगी उपकरण, खाद्य और औद्योगिक उपयोगों में होता है, जिससे देश की उद्यमिता और विज्ञान में सुधार होती है।

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