विद्यालय समय सारिणी,अवकाशों में प्रस्तावित संशोधनों पर अध्यापकों के सुझाव आमंत्रित

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अभिभावकों , छात्रों और संस्थाध्यक्षों से भी मांगे गए सुझाव  सुझाव आमंत्रित  YOU MAY ALSO LIKE IT- हिममेधा ब्लॉग उत्तराखण्ड में शिक्षकों को दुर्गम की सेवाओं का दोगुना लाभ मिलना शुरू  इस पड़ौसी राज्य में अब सहायक अध्यापक भी बन सकेंगे प्रधानाचार्य  प्रोजेक्ट कार्य सामाजिक विज्ञान- यूरोप में समाजवाद और रुसी क्रांति  सीबीएसई परीक्षा में स्कूल ने गलती से छात्रा को दे दिए जीरो मार्क्स, अब कोर्ट ने लगाया 30 हजार रूपये का जुर्माना  उत्तराखण्ड बोर्ड ने घोषित की प्रैक्टिकल और बोर्ड परीक्षा की डेट

CBSE क्यों नहीं चाहता है देश में हो केवल एक ही शिक्षा बोर्ड

ONE NATION,ONE EDUCATION पर छिड़ी बहस 

ONE NATION ,ONE EDUCATION

शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के कुछ प्रावधानों को "मनमाना और तर्कहीन" बताते हुए एक याचिका पर अभी कोर्ट में सुनवाई हुई है ,लेकिन यदि आप भारत के केंद्रीय विद्यालयों के पाठ्यक्रम को देखेंगे तो वह पूरे देश में एक जैसा पाठ्यक्रम रखता है वैसे ही विश्व के लगभग सभी विकसित देशों के स्कूलों में एक जैसा ही पाठ्यक्रम सभी जगह पढ़ाया जाता है लेकिन भारत के अलग अलग राज्यों में स्कूल स्तर पर कई पाठ्यक्रम है, इसी संदर्भ में अभी हाल ही में एक जनहित याचिका पर सुनवाई हुई तो याचिकाकर्ता ने कोर्ट को तर्क दिया कि सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में एक समान पाठ्यक्रम होना चाहिए इसके साथ साथ पूरे देश में सभी स्कूलों में एक समान पाठ्यक्रम होना चाहिए जिससे यह सभी छात्रों को एक समान अवसर प्रदान कर सकें क्योंकि संविधान भी छात्रों को एक समान अवसर की बात करता है  , याचिका कर्ता ने आरोप लगाया कि देश की शिक्षा व्यवस्था शिक्षा माफिया के हाथों में है जो न तो ONE NATION ,ONE EDUCATION चाहता है न ही सभी स्कूलों में NCERT की पुस्तकें चाहता है और तो और कोचिंग सिंडिकेट भी एक समान शिक्षा बोर्ड नहीं चाहता है जबकि एक समान शिक्षा बॉर्ड होने से छात्र पूरे भारत में कहीं भी पढ़ सकता है कही भी परीक्षा दे सकता है | 

CBSE क्यों नहीं चाहता है ONE NATION ,ONE EDUCATION

शिक्षा भारतीय संविधान की की समवर्ती सूची में आती है और अधिकांश स्कूल भी राज्यों के अधिकार क्षैत्र में आते है इसलिए यह राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की जिम्मेदारी है कि वे अपने अधिकार क्षेत्र में पाठ्क्रम पाठ्यचर्या और परीक्षा आयोजित करें | 

सीबीएसई ने कोर्ट को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत NCERT द्वारा विकसित NCF के अनुरूप सभी स्कूलों में पाठ्यक्रम और पाठ्यचर्या विकसित करने के लिए दिशानिर्देश प्रदान करती है , NCF के अनुसार ही NCERT पाठ्यपुस्तकें या अन्य पाठ्य सामग्री विकसित करता है , इसके बाद SCERT राज्य स्तर पर या तो NCERT के पाठ्यक्रम को अपनाती है या उन्हें अपने अनुसार परिवर्तन करती है या फिर राज्य NCF के आधार पर अपना नया पाठ्यक्रम तैयार करते है | 

पूरे भारत में एक समान पाठ्यक्रम के बारे में बात करना सहज और स्वीकार्य नहीं है क्योंकि इसमें स्थानीय संदर्भ , संस्कृति, भाषा और लोकाचार के लिए कोई स्थान नहीं होता है | विद्यालय परिसर के बाहर एक छात्र के परिवेश भाषा , संस्कृति , जीवन और दिनचर्या के जुड़ा पाठ्यक्रम कहीं ज्यादा प्रभावी और लचीला होता है | 


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