शैक्षिक उन्नति का नवाचार- क्या है बुलावा टोली
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शत प्रतिशत उपस्थिति में सहायता करेगी बुलावा टोली
1948 में संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकारों की एक सूची की घोषणा की, जिसमें शिक्षा के अधिकार को भी शामिल किया गया है , 1948 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्वीकृत किया गया यह अधिकार 26 और 27 आलेखों में प्राथमिक शिक्षा के अधिकार की गारंटी प्रदान करता है। भारत एक ऐसा देश है जिसमे शिक्षा के उत्थान के लिए काफी समय से नए प्रयोग और नवाचार किये जा रहे है जिससे विद्यालय में शत प्रतिशत उपस्थिति बनाई जा सकें और प्रत्येक बच्चे को शिक्षा और विद्यालय से सीधे जोड़ा जा सकें , छात्रों की उपस्थिति की समस्या प्राथमिक विद्यालयों में विषेशतः दुर्गम श्रेणी के विद्यालय या दूरस्थ स्थित विद्यालय में सबसे अधिक देखी गयी है , हालाँकि इसके पीछे कई कारण हो सकते है लेकिन फिर भी शत प्रतिशत उपस्थिति के लिए स्कूल स्तर पर एक नया प्रयोग किया जा रहा है इसका नाम है बुलावा टोली |
शिक्षा विभाग ने मिशन उपस्थिति के अंतर्गत बुलावा टोली का गठन किया गया है इस बुलावा टोली में ग्राम प्रधान से लेकर विद्यालय के टीचिंग स्टाफ और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों व पंचायत समिति के सदस्यों को भी शामिल किया गया है , इस समिति के सदस्यों को ये दायित्व दिया गया है कि वे छात्रों के घर पर स्वयं जाकर या दूरभाष या किसी और समुचित माध्यम से छात्र के अभिभावकों से सम्पर्क करेंगे और उन्हें बच्चों को प्रतिदिन स्कूल भेजने को प्रेरित करेंगे , इसके अतिरिक्त अध्यापक ऐसे छात्रों के नाम चिन्हित करेंगे जो विद्यालय नियमित नहीं आते है और एक पंजिका में उनके नाम, पिता के नाम ,फ़ोन नंबर, पता अंकित करते हुए ये भी लिखेंगे कि उनकी उपस्थिति के लिए अपने क्या प्रयास किया , इस बुलावा टोली में अध्यापकों के अलावा शिक्षा मित्र ,अनुदेशक , भोजन माता और रसोईया को भी शामिल किया गया है |
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