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पारसियों का देश पर्शिया कैसे बन गया ईरान

अपनी मातृभूमि छोड़कर कहाँ गए पारसी

पारसियों का देश पर्शिया कैसे बन गया ईरान 

पार्सी (या पारसी) समुदाय का उत्पत्ति ईरान से जुड़ा हुआ है, और इसका सम्बंध ईरान से है। इस समुदाय के लोगों को पार्सी कहा जाता है, और वे ज्यादातर भारत में निवास करते हैं।

पार्सी धर्म, जिसे जर्थुस्ट्रीयनिज्म (Zoroastrianism) भी कहा जाता है, ईरान के प्राचीन धार्मिक धार्मिक गुरु जरथुस्त्रा (Zoroaster) के उपदेशों पर आधारित है। जरथुस्त्रा के शिक्षाओं के अनुसार, बुराई और अच्छाई के बीच लड़ाई चल रही है, और लोगों को अच्छाई की ओर अग्रसर करने के लिए उनके अच्छाई के मार्ग पर चलने की सलाह दी जाती है। पारसी समुदाय की उत्पत्ति ईरान से जुड़ी हुई है, और इसका संबंध जरथुस्त्रा (Zoroaster) के द्वारा स्थापित किए गए जरथुस्त्रीयन धर्म से है। जरथुस्त्रा को जरदुश्ट्र, जरथुष्त्रा, या जरथुस्त्रा भी कहा जाता है, और उन्होंने ईरान में लगभग 6-7 सदी ईसा पूर्व में धर्म की नींव रखी थी। जरथुस्त्रीयन धर्म के अनुसार, जरथुस्त्रा ने ईरान में अपने धर्म और दार्शनिक विचारों का प्रचार किया और अपने अनुयायियों को उनके धर्म के अनुसार जीवन जीने की सलाह दी। उनके द्वारा प्रतिष्ठित धर्मीक ग्रंथ "अवेस्ता" भी लिखा गया, जो जरथुस्त्रीयन धर्म के महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है।

मुस्लिम आक्रमण ईरान या फारस पर कई बार हुआ है, और इसका इतिहास लम्बा है। एक प्रमुख आक्रमण, जिसे इस्लामिक इतिहास में महत्वपूर्ण माना जाता है, वह "इस्लामिक फतह" कहलाता है, जिसमें मुस्लिम सेनाओं ने 7वीं और 8वीं सदी के बीच ईरान और उसके प्राचीन फारसी साम्राज्य पर हमला किया।

इस्लामिक फतह के अंतर्गत, विशेष रूप से इस्लामिक उम्मा के बानी हज़रत मुहम्मद के उपासकों और उनके उत्साही आनुयायियों ने फारस क्षेत्र को अपने अधीन किया और ईरान के बड़े हिन्दु-बौद्ध प्रभाव वाले साम्राज्य को धर्मांतरित किया। इसके बाद, इस्लामी धर्म और सभ्यता ईरान में फैल गए और वहां के लोगों के बड़े हिस्से ने इस्लाम धर्म को अपनाया।इस्लामी फतह के पूर्व, फारस एक प्राचीन और शक्तिशाली संस्कृति और सांस्कृतिक धर्म का केंद्र था, लेकिन यह स्थिति इस्लामिक फतह के बाद बदल गई।

इसके बाद कई बार भी मुस्लिम आक्रमण और आक्रमणों के बाद कई राजा और वंशों ने ईरान या फारस पर अपने सवाधानीपूर्ण राज्य स्थापित किए, और उनके अधीन कई अलग-अलग इस्लामी सलतनतें आईं।

फारस से भागकर कहा गए पारसी लोग

पारसी लोग

फारस से भागकर पारसी समुदाय भारत के पश्चिमी तट पर सबसे पहले पहुंचे वहां पर उन्होंने स्थानीय राजा जादि राणा से शरण देने की पेशकश की , राजा के आतिथ्य से आभारी पारसी लोगों ने अपनी विशिष्ट धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान बनाये रखते हुए भारतीय समाज के साथ गजब का एकीकरण किया है |

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