वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए विभागीय आय व्ययक तैयार किये जाने के सम्बन्ध में

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उच्च शिक्षा को सुधारेगी-मल्टीपल एन्ट्री -एग्जिट सिस्टम

जाने क्या है मल्टीपल एन्ट्री -एग्जिट सिस्टम

 

मल्टीपल एन्ट्री -एग्जिट सिस्टम 

NEP 2020 के अंतर्गत सरकार उच्च शिक्षा में एक और परिवर्तन करने जा रही है जिसके लिए अमेरिका के शिक्षा मॉडल से प्रेरणा ली गयी है इसे मल्टीपल एन्ट्री -एग्जिट सिस्टम या MEES का नाम दिया गया है|इसके द्वारा छात्र को पढाई के साथ साथ कमाई करने के अवसर भी मिल सकेंगे और ड्रॉप आउट छात्रों की संख्या भी कम हो सकेगी | 

मल्टीकपल एन्ट्री -एग्जिट सिस्टम को आप इस सरल उदाहरण से समझ सकते है यदि कोई छात्र किसी चार वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रम में अपना नामांकन करता है और एक वर्ष के बाद या दो वर्ष के बाद उसे किसी कारण से अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ जाती है तो भी उसे प्रमाण पत्र या डिप्लोमा दिया जायेगा जिसके आधार पर वह बाद में भी अपनी पढ़ाई को जारी रख सकता है , अगर अंडर ग्रेजुएट छात्र एक वर्ष की पढ़ाई के बाद अपना कोर्स छोड़ता है तो उसे एक वर्ष का प्रमाण पत्र दिया जायेगा ,इसी प्रकार से दो वर्ष की पढ़ाई के बाद उसे डिप्लोमा दिया जायेगा , तीन वर्ष के बाद उसे डिग्री के दी जाएगी और चार वर्ष के बाद ऑनर्स दी जाएगी , इस प्रकार छात्र अगर दो वर्ष बाद भी पढ़ाई छोड़ता है तो उसे डिप्लोमा के साथ बाहर जाने का विकल्प मिलता है जिसके आधार पर वह बाद में अपनी पढ़ाई को जारी रख सकता है  | 

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की गाइडलाइन्स के अनुसार जो छात्र तीन साल में डिग्री प्राप्त करना चाहते है उन्हें तीन वर्ष में 120 क्रेडिट स्कोर अर्जित करना होगा, ये क्रेडिट स्कोर अकादमिक घंटों की संख्या के आधार पर मापा जाता है जबकि चार वर्ष की ऑनर्स डिग्री प्राप्त करने के लिए छात्र को 160 क्रेडिट स्कोर करना होगा यदि कोई छात्र तीन वर्ष में ही 160 का क्रेडिट स्कोर कर लेता है तो उसे तीन वर्ष में ही ऑनर्स डिग्री मिल जायगी | 

  जो छात्र पहले से ही तीन वर्षीय डिग्री के लिए नामांकित है और चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम के अनुसार तीन साल के अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रम में है वे भी इसे ऑनर्स डिग्री यानि चार वर्षीय पाठ्यक्रम में परिवर्तन के लिए पात्र होंगे लेकिन उन्हें अपने पाठ्यक्रम में परिवर्तन के लिए ब्रिज कोर्स के लिए UGC को आवेदन करना पड़ेगा | 

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