विद्यालय समय सारिणी,अवकाशों में प्रस्तावित संशोधनों पर अध्यापकों के सुझाव आमंत्रित

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अभिभावकों , छात्रों और संस्थाध्यक्षों से भी मांगे गए सुझाव  सुझाव आमंत्रित  YOU MAY ALSO LIKE IT- हिममेधा ब्लॉग उत्तराखण्ड में शिक्षकों को दुर्गम की सेवाओं का दोगुना लाभ मिलना शुरू  इस पड़ौसी राज्य में अब सहायक अध्यापक भी बन सकेंगे प्रधानाचार्य  प्रोजेक्ट कार्य सामाजिक विज्ञान- यूरोप में समाजवाद और रुसी क्रांति  सीबीएसई परीक्षा में स्कूल ने गलती से छात्रा को दे दिए जीरो मार्क्स, अब कोर्ट ने लगाया 30 हजार रूपये का जुर्माना  उत्तराखण्ड बोर्ड ने घोषित की प्रैक्टिकल और बोर्ड परीक्षा की डेट

3 लाख से अधिक छात्रों के नाम सरकारी स्कूलों से कटे, सैकड़ों शिक्षकों पर गिरी गाज

स्कूलों में छात्रों अभिभावकों और शिक्षकों का सबसे बड़ा फर्जीवाडा 

छात्रों के नाम सरकारी स्कूलों से कटे

     अपर शिक्षा सचिव के एक आदेश के बाद इस प्रदेश में अब तक तीन लाख से अधिक छात्रों के नाम स्कूल के रजिस्टर से काटे जा चुके है और ये संख्या लगातार बढ़ रही है , ऐसे छात्रों के नाम जो लगातार तीन दिन विद्यालय में अनुपस्थित रहते है उनका नाम तुरंत रजिस्टर से पृथक करने के निर्देश अपर शिक्षा सचिव ने दिए है , इनमे से सबसे अधिक छात्र संख्या कक्षा 03 से कक्षा 08 तक के छात्रों की है ,विभाग ने ये भी निर्देश दिए है कि अभिभावक एक निर्धारित फॉर्मेट को भरने के साथ कोर्ट का शपथ पत्र भी देंगे तभी इन छात्रों के पुनः प्रवेश सरकारी विद्यालयों में लिए जायेंगे लेकिन यदि इनकी उपस्थिति 75 प्रतिशत से कम होती है तो इनका प्रवेश अगले शैक्षिणिक सत्र तक के लिए निरस्त कर दिया जायेगा | 

हम बात कर रहे है बिहार राज्य की , जहाँ शिक्षा में सबसे अनोखा फर्जीवाड़ा सामने आया है बताया गया है कि सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के उदेश्य से निजी स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों छात्रों ने भी सरकारी स्कूलों में एडमिशन ले रखा है इससे एक तरफ जहाँ सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है वही सरकारी खजाने पर भी पर अनावश्यक रूप से भार पड़ा है , ये छात्र प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई करते है लेकिन फर्जी रूप से छोटी कक्षाओं में सरकारी स्कूलों में प्रवेश ले लेते है जहाँ इनकी जन्मतिथि कम लिखाई जाती है और ये सरकारी स्कूलों में जाते भी नहीं है ,हेड मास्टर की मिलीभगत से इनकी हाजरी लगती रहती है और ये सरकारी योजनाओं का लाभ लेते रहते है , सरकारी स्कूलों से आसानी प्राप्त टी सी और जन्मतिथि कम होने के कारण ये नवोदय स्कूलों व सैनिक स्कूलों में प्रवेश के लिए पात्र बने रहते है और ऊँची कक्षा में पढने के कारण अपने साथ के अभ्यर्थियों की तुलना में इनका मानसिक स्तर ऊँचा रहता है इसलिए ये सैनिक स्कूलों की प्रवेश परीक्षा भी आसानी से उत्तीर्ण कर जाते है लेकिन अब नामांकन रद्द होने के कारण इनकी पोल खुलने लगी है तो जहाँ सरकारी स्कूलों में तेजी छात्र संख्या गिरी है वही सरकारी स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति में भी वृद्धि देखी जा रही है, उच्च अधिकारी जहाँ स्कूलों का तेजी से दौरा कर रहे है तो अनुपस्थित शिक्षकों के विरुद्ध भी सख्त कार्यवाही की जा रही है स्कूलों से प्रतिदिन छात्र संख्या और नामांकन पर रिपोर्ट मांगी जा रही है  | 

इस सम्भावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि देश के अन्य राज्यों में भी ये फर्जीवाड़ा चल रहा हों , सभी राज्यों को इस प्रकार की कृतित्वों को लेकर सजग रहना चाहिए जिससे सभी छात्रों को आगे बढने के एक समान अवसर प्राप्त हो सकें | 


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