वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए विभागीय आय व्ययक तैयार किये जाने के सम्बन्ध में

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क्यों हो रही है इतनी बारिश इस साल

बारिश के बदलते पैटर्न को समझें

MANSOON IN INDIA

इस वर्ष भारी बारिश के कारण बिहार में 520  और हिमाचल प्रदेश में 330 से भी अधिक लोगों की मृत्यू  हुई है , उत्तराखण्ड ,हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित लगभग सभी पर्वर्तीय राज्यों में इस वर्ष मानसून ने  कहर बरपा रखा है , हिमाचल प्रदेश में तो भूस्खलन ने जनधन की भारी हानि पहुंचाई ही है , उत्तराखंड में भी हरिद्वार देहरादून से लेकर चमोली तक बारिश से हालात असामान्य हो चुके है ,सड़के पानी में बह गयी और कॉलोनियों में ड्रेनेज सिस्टम जाम हो गया है जिससे नाली का पानी सड़क पर बह रहा है | 

भारत में मानसून आमतौर पर 01 जून को केरल में पहुँचता है लेकिन समुद्री चक्रवातीय तूफ़ान बिपरजॉय के कारण मानसून शुरुवाती 15 दिन तक अपनी प्राकृतिक गति नहीं पकड़ पाया और आरम्भ में बारिश कमजोर रही, जून भर भी मानसून कमजोर ही रहा और 10 प्रतिशत कम बारिश दर्ज हुई लेकिन जुलाई में मानसून ने अपनी गति पकड़ी ,भारतीय मौसम विभाग के डेटाबेस के अनुसार भारत में 01 जून से 01 अगस्त तक 319 .1 मिलीमीटर बारिश हुई है , पिछले साल से अलग इस वर्ष बारिश का पैटर्न कुछ इसतरह से रहा है उत्तर पश्चिम  भारत में 13 प्रतिशत अधिक बारिश हुई जबकि पूर्वी उत्तर में पिछले वर्ष की तुलना में 19 प्रतिशत कम बारिश हुई मध्य भारत में 4 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गयी है | 

कैसे और क्यों बदल रहा है बारिश  पैटर्न-

इसका एक बड़ा श्रेय वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड की बढ़ती मात्रा और ग्लोबल वार्मिंग की भी जाता है इसलिए ये कहा जाता है कि मानसून पैटर्न में साफ़ रूप से जलवायु परिवर्तन दिखाई देता है क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग के कारण नमी अधिक है और चूँकि तापमान के साथ हवा की नमी ग्रहण करने की क्षमता भी बढ़ जाती है इसलिए बादल पानी से अधिक भरे होते है और अनुकूल परिस्तिथियाँ मिलते ही एकदम तेज़ बारिश हो जाती है, सम्पूर्ण भारत की दृष्टि से पिछले 10 वर्षों में आप देखते है कि भारी बारिश की आवृति बढ़ रही है और हल्की  मध्यम बारिश की आवृति कम हो रही है एक और कारण ये है कि पश्चिमी विक्षोभ जो आमतौर पर सर्दियों में सक्रिय होता है ने भी इस बार मानसून की गंभीरता में वृद्धि कर भारत में मुसीबत को बढ़ा दिया है | 

भारत में मानसून का सामान्य पैटर्न -

भारत में मानसूनी वर्षा का पैटर्न विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग हो सकता है, लेकिन सामान्यत: मानसूनी वर्षा जून से सितंबर तक दिखाई देती है और यह विभिन्न चरणों में विभाजित होती है:

  1. आदिमानसून (पूर्वी मानसून): यह चरण जून के पहले सप्ताह तक होता है और पूर्वी भारतीय समुद्र से आती हुई गर्मी और आदिमानसूनी तंत्र के प्रभाव में होता है। इस समय तक भारत के पश्चिमी भागों में तापमान बढ़ जाता है और हवाओं में गरमी का महसूस होता है।

  2. वर्षा की प्रारंभिक विभाग (जूलाई): इस चरण में मानसून बादल भारतीय उपमहाद्वीप पर पहुँचते हैं और वर्षा की प्रारंभिक संकेतों के रूप में पश्चिमी घाटों में बारिश होने लगती है।

  3. वर्षा का मुख्य चरण (जुलाई से सितंबर): यह सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है जिसमें पूरे उपमहाद्वीप पर मानसूनी वर्षा होती है। इस दौरान, भारत के विभिन्न हिस्सों में बारिश होती है और विभिन्न क्षेत्रों में वर्षा की मात्रा में अंतर होता है।

  4. वापसी चरण (सितंबर): सितंबर में, मानसून बादल धीरे-धीरे भारतीय उपमहाद्वीप से पूर्वी भारतीय समुद्र की ओर लौटते हैं और वर्षा का पूरा समयग्रहण समाप्त होता है।

यह मानसूनी वर्षा का पैटर्न विभिन्न चरणों में विभाजित होता है और यह भारतीय उपमहाद्वीप पर वर्षा की महत्वपूर्ण जीवनदायी प्रक्रिया है|

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