जाने ध्वजारोहण और झंडा फहराने में क्या है अंतर
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FLAG HOISTING |
भारत अपना कल अपना 78 वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी रिकॉर्ड 11 वी बार लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय ध्वज फहराते हुए देश को सम्बोधित करेंगे इससे पहले ये सौभाग्य पंडित जवाहर लाल नेहरू को प्राप्त हुआ था जब उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री के रूप में लगातार 11 बार स्वतंत्रता दिवस पर देश को सम्बोधित किया था | वर्तमान में इस अवसर पर फ्रांस के राष्ट्रपति इम्म्यूनल मेक्रो को मुख्य अतिथि बनाया गया है फ्रांस के राष्ट्रपति इम्म्यूनल मेक्रो फ्रांस के छठे राष्ट्रपति होंगे जिन्हे ये सम्मान मिला है इससे पूर्व फ्रांस के पांच राष्ट्रपति इस सम्मान को प्राप्त कर चुके है |
15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री जी ध्वजारोहण करते हैं-
15 अगस्त 1947 को भारत ब्रिटिश शासन की लंबी गुलामी के बाद आजाद हुआ था इसीलिए इस दिवस को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है दरअसल इस दिन झंडे को रस्सी के द्वारा खींचकर ऊपर ले जा जाता है और फिर रस्सी खींच कर झंडे को फहराया जाता है इसे ध्वजारोहण कहते हैं ,आजादी के समय जब 15 अगस्त को भारत आजाद हुआ तब संविधान नहीं बना था इसलिए भारत के प्रधानमंत्री जी ही देश के मुखिया होते थे और पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने पहली बार 15 अगस्त 1947 को प्रधानमंत्री होने के नाते झंडा फहराया था यही परंपरा आज भी चली आ रही है।
26 जनवरी को राष्ट्रपति जी झंडा फहराते हैं-
26 जनवरी को भारत के राष्ट्रपति जी झंडा फहराते हैं इस दिन झंडा पहले से ही ऊपर बंधा होता है जिसे रस्सी खींच कर फहराया जाता है इस प्रक्रिया को संविधान में फ्लेग अनफर्लिंग (Flag unfurling) कहते हैं देश के राष्ट्रपति को देश का प्रथम नागरिक माना जाता है इसलिए 26 जनवरी को पहली बार देश की तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद जी ने झंडा फहराया था और तब से यह परंपरा ऐसे ही चली आ रही है।
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