विद्यालय समय सारिणी,अवकाशों में प्रस्तावित संशोधनों पर अध्यापकों के सुझाव आमंत्रित

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अभिभावकों , छात्रों और संस्थाध्यक्षों से भी मांगे गए सुझाव  सुझाव आमंत्रित  YOU MAY ALSO LIKE IT- हिममेधा ब्लॉग उत्तराखण्ड में शिक्षकों को दुर्गम की सेवाओं का दोगुना लाभ मिलना शुरू  इस पड़ौसी राज्य में अब सहायक अध्यापक भी बन सकेंगे प्रधानाचार्य  प्रोजेक्ट कार्य सामाजिक विज्ञान- यूरोप में समाजवाद और रुसी क्रांति  सीबीएसई परीक्षा में स्कूल ने गलती से छात्रा को दे दिए जीरो मार्क्स, अब कोर्ट ने लगाया 30 हजार रूपये का जुर्माना  उत्तराखण्ड बोर्ड ने घोषित की प्रैक्टिकल और बोर्ड परीक्षा की डेट

केरल के स्कूलों में एक नयी शुरूवात

सर या मैडम नहीं - केवल टीचर कहें।  

GLI क्या है -  

GLI  का पूरा नाम GENDER LEGISLATIVE INDEX है इसकी स्थापना इस आधार पर की गयी है कानून के हर क्षेत्र में एक लैंगिक  परिप्रेष्य की आवश्यकता है  कानून समाज को बदलने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है  GLI सूचकांक महिलाओं के अधिकारों पर केंद्रित रहकर कार्य करता है यह ऐसे कानून को भी बढ़ावा देना चाहता है जो समाज को पुरुष और महिलाओं के बीच अधिक समानता की स्थिति की और ले जा सके जी एल आई इंडेक्स महिला श्रेणी का उपयोग करता है क्यूकि ये अन्तर्राष्ट्रीय कानून में मौजूद है यह अंतर्राष्ट्रीय महिला अधिकार कानून में की गयी सरकार की प्रतिबद्धता के लिए  सरकार  की जबाबदेही भी तय करता है जहा तक संभव हुआ है जी एल आई ने समावेशी होने का प्रयास किया है उदाहरण के लिए गैर शी-जेंडर महिलाओ के बहिष्कार से बचना | GENDER LEGISLATIVE INDEX का मुख्य उदेश्य विधायकों , कार्यकर्ताओं और अधिवक्ताओं को महिलाओं के लिए  बेहतर काम करने वाले  कानून बनाने में मदद करना है | 

2017  में एक निजी विधेयक  माननीय लोकसभा सदस्य श्री शशि थरूर जी  ने पेश किया था जिसमे उन्होंने भारतीय संविधान के भाग 3  में अनुच्छेद 14 से 18  तक के उपबंध समानता के अधिकार को लेकर लैंगिक भेदभाव के बारे अपनी बात रखी थी अनुच्छेद 15 में यह व्यवस्था की गयी है कि राज्य किसी नागरिक के प्रति केवल धर्म  मूल वंश जाति लिंग या जन्मस्थान को लेकर भेद नहीं करेगा | 

केरल ने कर दी है शुरूवात-

शिक्षण संस्थानों में लिंग आधार पर भेदभाव को ख़त्म करने के लिए  केरल स्टेट कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ चाइल्ड राइट्स (KSCPCR) ने केरल के सभी स्कूल्स को तत्काल रूप से निर्देश दिए है कि विद्यार्थी स्कूल में टीचर को सिर्फ टीचर ही कहेगा, मैडम या सर जैसे सम्बोधनों पर तत्काल रोक लगाई जाती है दरअसल केरल बाल अधिकार पैनल ने कोर्ट में एक याचिका दायर की थी कि किसी भी कार्यस्थल पर सर या मैडम कहना लिंगभेद को दर्शाता है जबाब में कोर्ट ने सहमति जताई और कहा कि सर मैडम कहने के स्थान पर टीचर कहने से हम समानता को बढ़ावा भी दे सकते है और इससे सभी का टीचर के प्रति लगाव भी बढेगा, 2021  में भी केरल का माथुर ग्रामपंचायत देश का पहला ग्राम पंचायत बना था जहा के स्कूल में आम सहमति से सर या मैडम कहने को प्रतिबंध लगा दिया था क्यूकि इससे लिंगभेद प्रकट होता है , भारत सरकार भी लिंगभेद के विरुद्ध अनेक कानून बना चुकी है  जैसे राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण नीति 2001 , भारतीय संविधान के अनुछेद 14 ,15 ,19 ,21 महिला उत्पीड़न से सम्बंधित कानून है| 

इसके अतिरिक्त सरकार एक भारत श्रेष्ट भारत , बेटी बचाओ बेटी पढाओ जैसे कार्यक्रमों से लैंगिक भेदभाव को दूर करने का प्रयास करती रहती है हमे उत्तराखण्ड में ग्रामपंचांयत स्तर पर ये उम्मीद करनी चाहिए कि ग्रामपंचायत अपने स्कूल्ज में केरल जैसी शुरुवात करें | 


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