सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाओं में अब छात्र किताब कॉपी सामने रखकर उत्तर लिखेंगे
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ओपन बुक एग्जाम पर हो गया फैसला
बोर्ड परीक्षाओं में अब छात्र किताब कॉपी सामने रखकर उत्तर लिखेंगे |
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की कक्षा 9 और 11 परीक्षा हो रही हो और कल्पना कीजिये कि छात्र अपने सामने किताब कॉपी खोलकर उत्तर लिख रहे हो , सुनने में ये विचार रोचक लग सकता है लेकिन सीबीएसई कक्षा 9 व 11 की परीक्षाओं में ओपन बुक परीक्षा पर गंभीरता से विचार कर रहा है | ओपन बुक परीक्षा की धारणा पिछले वर्ष जारी किये गए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2023 में की गयी सिफारिशों पर आधारित है | इससे पहले भी दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कोविद काल में अगस्त 2020 में जब शैक्षिणिक कैलेंडर गड़बड़ा गया था तब दिल्ली यूनिवर्सिटी ने भी पहली बार ओपन बुक परीक्षा कॉसेप्ट को अपनाया था |
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने इस वर्ष के अंत तक भारत के कुछ चयनित स्कूलों को पायलट चरण के लिए टेस्टिंग मोड में ओपन बुक एग्जाम आयोजित करने की योजना बनाई है ये परीक्षण कक्षा 9 इंग्लिश , मैथमेटिक्स और विज्ञान विषयों में कक्षा 11 में इंग्लिश ,मैथमेटिक्स और बायोलॉजी जैसे विषयों में अप्लाई किया जायेगा अभी इसे कक्षा 10 और 12 में लागू नहीं किया गया है कक्षा 9 और 11 में भी कुछ चुनिंदा स्कूलों में ये ये पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किय जायेगा इस पायलट प्रोजेक्ट में 20 से 25 स्कूलों को शामिल किया जा सकता है ये परीक्षाएं अगले साल फरवरी और मार्च की परीक्षाओं होगी , इस परीक्षा में अनुसन्धान आधारित प्रश्नों को शामिल किया जाता है साथ ही छात्रों को अपने नोट्स और किताबें साथ ले जाने की अनुमति होती है , इसमें इस बात का भी परीक्षण किया जाएगा कि छात्रों को इसे पूरा करने में कितना समय लगता है और सभी हितधारकों की इसके बारे में क्या प्रतिक्रिया रहती है |
क्या है ओपन बुक एग्जाम
ओपन बुक एग्जाम के अंतर्गत बोर्ड परीक्षा कक्ष में छात्रों को अपने साथ परीक्षा के दौरान किताबे , नोट्स , कॉपियां और इंटरनेट से निकले हुए प्रिंट आउट्स भी ले जाने की अनुमति दी जाती है | सुनने में ये सब बड़ा आसान और सुविधाजनक लगता है लेकिन व्यवहारिक रूप से ये अधिक चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि ओपन बुक एग्जाम किसी छात्र की मेमोरी और रटने की क्षमता का आकलन नहीं करता है बल्कि उसकी उस विषय के प्रति समझ, रूचि ,अवधारणा और विश्लेषण करने की क्षमता का आकलन करता है ये परीक्षा इस बात पर आधारित नहीं है कि छात्र केवल किताब से देखकर उत्तर लिखें |
इस प्रोजेक्ट के अनुसार ओपन बुक परीक्षाएं कुछ चयनित स्कूलों में नवंबर से दिसंबर 2024 के बीच हो सकती है | इसके लिए सीबीएसई दिल्ली यूनिवर्सिटी से भी परामर्श लेने पर विचार कर रहा है क्योंकि DU ने ही सबसे पहले ये कांसेप्ट भारत में लागू किया था यद्यपि कुछ लोगों ने इसका भेदभाव के आधार पर विरोध भी किया था क्योंकि सभी लोगों के लिए इंटरनेट जैसी सुलभता नहीं है और कुछ छात्रों के पास तो बुनियादी सुविधाएँ भी नहीं होती है |
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