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उल्का पिंड और ब्लैक होल में क्या अंतर है

"Celestial Bodies" या "Astronomical Objects" और ब्लैक होल

"Celestial Bodies" या "Astronomical Objects

"खगोलीय पिंड" या "उल्का पिंड" को अंग्रेजी में "Celestial Bodies" या "Astronomical Objects" कहा जाता है। इसमें सम्मिलित हो सकते हैं सूरज, चंद्रमा, तारे, ग्रह, कोमेट, अस्तेरॉइड्स, गैलेक्सीज़, नेबुला, ब्लैक होल्स, ड्वार्फ तारे, न्यूट्रॉन स्टार्स आदि।

इनमें सूरज सबसे बड़ा खगोलीय पिंड है जो हमारे सौरमंडल में है और अन्य ग्रहों, उसके चारों ओर घूमते हैं। सूरज का विस्तार सौरमंडल में सबसे बड़ा है। चंद्रमा, जो हमारे पृथ्वी का सैटेलाइट है, सूरज के बाद सबसे बड़ा है।

खगोलीय पिंडों की बड़ाई विभिन्न होती है और यह सूरज जैसे बहुत बड़े हो सकते हैं, जो हमारे सौरमंडल का केंद्र है, और वे छोटे उल्का पिंड जैसे अस्तेरॉइड्स हो सकते हैं, जो बहुत छोटे होते हैं।

ब्लैक होल किसे कहते है ये कैसे बनते है

सबसे बड़ा ज्ञात ब्लैक होल जिसका पता चला है, वह है "सुपरमासिव ब्लैक होल"। इसे Sagittarius A* (सैजिटेरीयस एस्ट्रिक) नाम से भी जाना जाता है।

सैजिटेरीयस A* वह ब्लैक होल है जो हमारे आसपास के गैलेक्सी, यानी द्रष्टांतरीय सूर्यमंडल के केंद्र में स्थित है। इसे सबसे बड़ा माना जाता है और यह वैज्ञानिकों का ध्यान अधिक आकर्षित करता है।

सैजिटेरीयस A* ने अपनी विशिष्टता के कारण वैज्ञानिकों का आकर्षण बढ़ाया है, क्योंकि इसके आसपास विशेष ग्रेविटेशनल गतिविधि और विशेषता देखने को मिलती है। यह ब्लैक होल ग्रेविटेशनल लेंसिंग, सितारों की चारों ओर की गतिविधि, और अन्य ग्रेविटेशनल प्रक्रियाओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है।

 ब्लैक होल 

"ब्लैक होल" एक खगोलीय वस्तु है जो बहुत अधिक भार और गुरुत्वाकर्षण बुनियादी गुणों के कारण चारों ओर से प्रकाश और किसी भी वस्तु को भी खींचने की क्षमता रखते हैं। इसका गुरुत्वाकर्षण इतना शक्तिशाली होता है कि यह चारों ओर से भी किसी भी वस्तु और भी प्रकाश को अपनी गोद में ले लेता है, जिससे कि यह ब्लैक होल के भीतर एक "घूमते क्षेत्र" बना देता है, जिसे इवेंट होराइजन कहा जाता है।

ब्लैक होल कैसे बनते हैं, यह वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य है। अक्सर, ब्लैक होल एक धमाकेदार सुपरनोवा (धमाकेदार तारा) के परिणाम से बनते हैं, जब एक बड़ा तारा बूढ़ा होकर अपनी आखिरी अवस्था में होता है और उसका केंद्र धमाकेदार रूप से फटता है ऐसी स्थिति में ब्लैक होल का निर्माण होता है।

ब्लैक होल अत्यंत गुरुत्वाकर्षण रखते हैं और इस गुरुत्वाकर्षण के कारण भूमिगत वस्तुओं को भी खींचते हैं, जिससे वे उनकी गोद में खिसक जाती हैं। ब्लैक होल का केंद्र एक बिंदु होता है, जिसे "सिंगुलैरिटी" कहा जाता है। इस बिंदु पर गुरुत्वाकर्षण इतना शक्तिशाली होता है कि इस स्थान पर वक्रता समय और अंतरिक्ष की नियमितता स्वतः ही आश्चर्य जनक रुप से समाप्त हो जाता है।

ब्लैक होल एक रोमांचक गणितीय और खगोल विद्य का विषय है, जिसका अध्ययन अभी भी जारी है और जिसमें वैज्ञानिकों का अभी भी अधिक अनुसंधान और अध्ययन हो रहा है।

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