केंद्रीय विद्यालय व नवोदय विद्यालय एक तुलनात्मक अध्ययन
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केंद्रीय विद्यालय व नवोदय विद्यालय में क्या है अंतर
केंद्रीय विद्यालय व नवोदय विद्यालय एक तुलनात्मक अध्ययन |
केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय दोनों ही सरकार द्वारा संचालित किये जाते है और दोनों में सभी पृष्ठभूमि के छात्रों को प्रवेश दिया जाता है इन स्कूलों में गुणवत्तापरक शिक्षा पर बल दिया जाता है लेकिन दोनों स्कूलों में मूल रूप से कुछ अंतर भी है आइए विस्तार से जानते है -
क्या है केंद्रीय विद्यालय
केंद्रीय विद्यालय को केवी के नाम से भी जाना जाता है भारत में सबसे पहले केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना 1965 में सरकारी कर्मचारियों के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्यों को लेकर की गयी थी विशेष रूप से ऐसे सरकारी कर्मचारी जिन्हे अपने सेवाकाल में लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर दिया जाता है लेकिन बाद में केंद्रीय विद्यालयों में सभी प्रकार के छात्रों को भी प्रवेश दिया जाने लगा लेकिन यहाँ सरकारी कर्मचारियों के बच्चों को प्रवेश में प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ट्रांसफर किया जा सकता है अन्य छात्रों के लिए सीट सीमित होती है , इन विद्यालयों में सीबीएसई द्वारा डिजाइन किये गए पाठ्यक्रम का पालन करना होता है इस समय भारत और विदेशों में 1200 से अधिक विद्यालय है | केंद्रीय विद्यालयों का शिक्षण शुल्क काफी कम होती है लेकिन परिवहन , स्कूल ड्रेस और पाठ्यपुस्तकों को मिलाकर ये अधिक हो सकती है |
क्या है नवोदय विद्यालय -
नवोदय विद्यालय को एनवी के नाम से भी जाना जाता है भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत ये एक स्वायत संगठन है जो नवोदय विद्यालय समिति द्वारा संचालित आवासीय स्कूल होते है इन स्कूलों में सभी प्रकार के छात्र एडमिशन ले सकते है इनका उदेश्य ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचाना है | नवोदय विद्यालय समिति द्वारा यहाँ निशुल्क शिक्षा और भोजन सहित आवास की व्यवस्था की जाती है ये उन अभिभावको के बच्चों के लिए शिक्षा के उत्तम अवसर उपलब्ध कराता है जिनके अभिभावक प्राइवेट स्कूलों की महंगी फीस वहन नहीं कर सकते है लेकिन उनके बच्चे पढ़ाई में अच्छे है इन विद्यालयों में भी सीबीएसई द्वारा डिजाइन किये गए पाठ्यक्रम का पालन करना होता है | अभी भारत में लगभग 650 नवोदय विद्यालय है लेकिन ये विद्यालय केंद्रीय विद्यालयों की तरह एक्स्ट्रा करिकुलम में विविधता प्रस्तुत नहीं करता है यहाँ पर प्रवेश के लिए सीटें बहुत कम होती है इसलिए प्रतियोगी वातावरण बना रहता है |
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