वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए विभागीय आय व्ययक तैयार किये जाने के सम्बन्ध में

चित्र
वित्तीय वर्ष 2025-26  के लिए विभागीय आय व्ययक  पेज 01  पेज 02  YOU MAY ALSO LIKE IT- हिममेधा ब्लॉग उत्तराखण्ड में शिक्षकों को दुर्गम की सेवाओं का दोगुना लाभ मिलना शुरू  इस पड़ौसी राज्य में अब सहायक अध्यापक भी बन सकेंगे प्रधानाचार्य  प्रोजेक्ट कार्य सामाजिक विज्ञान- यूरोप में समाजवाद और रुसी क्रांति  सीबीएसई परीक्षा में स्कूल ने गलती से छात्रा को दे दिए जीरो मार्क्स, अब कोर्ट ने लगाया 30 हजार रूपये का जुर्माना  उत्तराखण्ड बोर्ड ने घोषित की प्रैक्टिकल और बोर्ड परीक्षा की डेट

हजारों शिक्षकों की पदोन्नति की फाइल हुई गायब , पदोन्नति अटकी

शिक्षा निदेशालय ने दर्ज कराया मुकदमा

हजारों शिक्षकों की पदोन्नति  की फाइल हुई गायब


उत्तराखंड राज्य में एक विचित्र मामला सामने आया है राज्य गठन के बाद राज्य लोक सेवा आयोग ना होने से कुछ शिक्षकों को 2001 और इसके बाद भी एल टी से प्रवक्ता पद पर तदर्थ पदोन्नति प्रदान की गयी थी क्योंकि उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग 2003 में बना इसलिए शासन से अनुमति लेकर इन शिक्षकों को तदर्थ आधार पर पदोन्नति दे दी गयी थी अब मामला पेचीदा इस प्रकार से हो गया है कि वह पदोन्नति की फाइल और शासनादेश ना तो शिक्षा निदेशालय में मिल रहा है और ना ही शासन स्तर पर | शिक्षा निदेशक श्री महावीर सिंह बिष्ट के अनुसार पदोन्नति की फाइल और शासनादेश गुम होने का मामला सामने आया है काफी खोजबीन के बाद भी वह पदोन्नति की फाइल और आदेश नहीं मिल रहा है जिसके कारण शिक्षा निदेशालय ने रायपुर पुलिस स्टेशन में और शासन ने पल्टन बाजार पुलिस चौकी में गुम होने का मुकदमा दर्ज कराया है | 

उत्तराखंड शिक्षा विभाग में तदर्थ पदोन्नति और सीधी भर्ती के शिक्षकों के बीच वरिष्ठता विवाद बना हुआ है 2005 में जिन प्रवक्ताओं की नियुक्ति सीधी भर्ती से हुई उसके बाद विभाग ने 2010 में कुछ शिक्षकों को प्रवक्ता पद पर मौलिक नियुक्ति दे दी थी जबकि कुछ शिक्षकों को बैक डेट से वरिष्ठता दी गयी है जिसके कारण वरिष्ठता विवाद शुरू हो गया ,इस बात को लेकर कुछ शिक्षक 2012 में कोर्ट चले गए कोर्ट में केस चल ही रहा था लेकिन अब शिक्षा निदेशालय के अनुसार पदोन्नति की वह फाइल ही कही नहीं मिल रही है और न हीं वो शासनादेश कही पर मिल रहा है जिसके कारण निदेशालय की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्न उठने शुरू हो गए है इसको लेकर शासन ने अब पुलिस में प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज कराई है | 2005 में चयनित प्रवक्ताओं का कहना है कि इस विवाद के कारण उन्हें पिछले 19 वर्षों से एक भी पदोन्नति नहीं मिली है जो सबसे दुर्भाग्य है अतः शिक्षा निदेशालय और शासन को इस संदर्भ में जल्दी कोई हल निकालना चाहिए | 


YOU MAY ALSO LIKE IT-

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

लोकसभा निर्वाचन में मतदान पार्टियों के मतदेय स्थल पर ठहराव हेतु बिस्तर व्यवस्था नया आदेश

2024 -25 मासिक परीक्षा शैक्षिक पंचाग के सम्बन्ध में

उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा कक्षा 10 ,12 का रिजल्ट होगा कल जारी, ऐसे चेक करें