क्या है ग्रीन दीवाली ग्रीन पटाखे, कैसे अलग है ये आम पटाखों से
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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कर रहा है ग्रीन दीवाली की अपील
पिछले दिनों भारत की एक बड़ी यूनिवर्सिटी ने प्रदूषण के कारण कुछ दिनों के दिए अपने कैंपस बंद कर दिए है इसी प्रकार से दिल्ली में स्कूलों को भी प्रदूषण के कारण कुछ दिनों के लिए बंद करना पड़ा और इसका प्रभाव ये हुआ की ये लोग अपने परिवारों के साथ गैस चैम्बर बन चुके इन शहरों से दूर पहाड़ों पर दीपावली का पर्व मनाने के दौड़ें जिसके कारण अब पहाड़ों पर भी प्रदूषण के बढ़ने का डर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उत्तराखंड को सता रहा है इसलिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हल्द्वानी ने लोगों से ग्रीन दीवाली मनाने की अपील की है जिससे पहाड़ों के पर्यावरण को सहेजा जा सकें बचाया जा सकें |
ग्रीन पटाखे से होगी ग्रीन दीवाली, ग्रीन पटाखों में स्पार्कल्स ,फ्लावर पॉट्स ,और पेंसिल्स जैसे छोटे पटाखों का उपयोग किया जाता है इनको बनाने में कम कच्चा माल लगता है इसलिए ये कम प्रदूषण भी करते है ग्रीन पटाखों को बनाने में पार्टिकुलेट मैटर यानि PM का विशेष ध्यान रखा जाता है ये पटाखें ज्यादा धुआँ और प्रदूषण भी नहीं करते है इनके धमाके का शोर भी साधारण पटाखों से कम होता है ये 110 डेसीबल से 125 डेसीबल तक ही आवाज करते है जबकि आम पटाखें 160 डेसीबल से अधिक शोर करते है और धुआँ भी अधिक छोड़ते है , उत्तराखंड के हल्द्वानी ,नैनीताल और देहरादून में अगले पंद्रह दिनों तक प्रदूषण को लेकर मॉनिटरिंग की जायेगी |
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