विद्यालय समय सारिणी,अवकाशों में प्रस्तावित संशोधनों पर अध्यापकों के सुझाव आमंत्रित

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अभिभावकों , छात्रों और संस्थाध्यक्षों से भी मांगे गए सुझाव  सुझाव आमंत्रित  YOU MAY ALSO LIKE IT- हिममेधा ब्लॉग उत्तराखण्ड में शिक्षकों को दुर्गम की सेवाओं का दोगुना लाभ मिलना शुरू  इस पड़ौसी राज्य में अब सहायक अध्यापक भी बन सकेंगे प्रधानाचार्य  प्रोजेक्ट कार्य सामाजिक विज्ञान- यूरोप में समाजवाद और रुसी क्रांति  सीबीएसई परीक्षा में स्कूल ने गलती से छात्रा को दे दिए जीरो मार्क्स, अब कोर्ट ने लगाया 30 हजार रूपये का जुर्माना  उत्तराखण्ड बोर्ड ने घोषित की प्रैक्टिकल और बोर्ड परीक्षा की डेट

स्कूल की बताई दुकान से नहीं ख़रीदे मोज़े तो कक्षा के बाहर खड़े किये छात्र

उत्तराखण्ड के प्राइवेट स्कूलों के हाल  

MONOPOLY OF PRIVATE SCHOOLS

उत्तराखंड सरकार सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए पूरा प्रयास कर रही है , इस संदर्भ में अटल उत्कृष्ट स्कूल , मॉडल स्कूल , पीएम श्री स्कूल और बालिकाओं के लिए अलग स्कूल , जनजातियों के लिए अलग स्कूल खोले गए है जिससे की छात्रों को उचित और सुलभ शिक्षा प्रदान की जा सकें और इस सम्बन्ध में प्राइवेट स्कूल भी शहर-शहर, गांव-गांव में खोले गए है , आमतौर पर प्राइवेट स्कूल छात्र कल्याण के साथ साथ निजी लाभ पर अधिक ध्यान देते है | 

 अभी हाल ही में उत्तराखंड के एक प्राइवेट विद्यालय मॉम्स प्राइड स्कूल के एक अभिभावक ने अपनी शिकायत उच्च अधिकारीयों को दर्ज कराई है कि उनके बच्चों को स्कूल टीचर और प्रबंधन ने केवल इसलिए कक्षा से बाहर खड़ा कर दिया है क्योंकि उन्होंने मॉम्स प्राइड स्कूल की सुझाई गयी दुकान से छात्रों के मोज़े न लेकर किसी दूसरी दुकान से मोज़े खरीदें थे , अभिभावक ने जिलाधिकारी को लिखी अपनी शिकायत में कहा कि उनके तीन बच्चे मॉम्स प्राइड स्कूल में पढ़ते है , मॉम्स प्राइड स्कूल की बताई दुकान पर मोज़े का भाव 90 रूपये जोड़ी है जबकि दूसरी दुकान पर उन्ही मोजों का भाव 90 रूपये में तीन जोड़ी मिला रहा है , भाव कम था इसलिए उन्होंने दूसरी दुकान से मोज़े खरीद कर बच्चों को पहना कर विद्यालय भेज दिया लेकिन इससे नाराज होकर कराटे के शिक्षक ने बच्चों को पीटा और कक्षा के बाहर खड़ा कर दिया , इससे क्षुब्ध होकर अभिभावक ने जब शिकायत करने की बात कही तो प्रधानाचार्य ने बच्चे की टीसी काट कर बाहर कर देने की बात रखी , मामला सुलझता न देखकर अभिभावक ने जिला अधिकारी को अपनी शिकायत लिखकर दी है , जबकि स्कूल प्रबंधन का कहना है कि सभी आरोप निराधार है इन बच्चों की पिछले 6 माह की फीस भी अब तक जमा नहीं हुई है और न हीं  बच्चे निर्धारित स्कूल पोशाक़ में स्कूल आते है , बच्चों को टोकने पर इनके अभिभावक ने शिक्षक के साथ अभद्रता की है | मामले को जिलाधिकारी द्वारा मुख्य शिक्षा अधिकारी को जाँच के लिए सौंपा गया है | 


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