जाने ध्वजारोहण और झंडा फहराने में क्या है अंतर
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FLAG HOISTING |
इस साल हम 74 वां गणतंत्र दिवस मना रहे है यह दिन हमें भारत में संविधान के लागू होने की याद दिलाता है जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था इस दिन दिल्ली में एक विशाल परेड होती है और यह परेड विजय चौक से शुरू होकर दिल्ली के लाल किले तक चलती है कोविड महामारी के चलते परेड का पारंम्परिक मार्ग बदल दिया गया है ओर भारत के संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति जी झंडा फहराते है इस वर्ष भारत के 74 वे गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मिश्र के राष्ट्रपति माननीय अब्देल फतह अल सी सी को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ।
15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री जी ध्वजारोहण करते हैं-
15 अगस्त 1947 को भारत ब्रिटिश शासन की लंबी गुलामी के बाद आजाद हुआ था इसीलिए इस दिवस को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है दरअसल इस दिन झंडे को रस्सी के द्वारा खींचकर ऊपर ले जा जाता है और फिर रस्सी खींच कर झंडे को फहराया जाता है इसे ध्वजारोहण कहते हैं ,आजादी के समय जब 15 अगस्त को भारत आजाद हुआ तब संविधान नहीं बना था इसलिए भारत के प्रधानमंत्री जी ही देश के मुखिया होते थे और पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने पहली बार 15 अगस्त 1947 को प्रधानमंत्री होने के नाते झंडा फहराया था यही परंपरा आज भी चली आ रही है।
26 जनवरी को राष्ट्रपति जी झंडा फहराते हैं-
26 जनवरी को भारत के राष्ट्रपति जी झंडा फहराते हैं इस दिन झंडा पहले से ही ऊपर बंधा होता है जिसे रस्सी खींच कर फहराया जाता है इस प्रक्रिया को संविधान में फ्लेग अनफर्लिंग (Flag unfurling) कहते हैं देश के राष्ट्रपति को देश का प्रथम नागरिक माना जाता है इसलिए 26 जनवरी को पहली बार देश की तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद जी ने झंडा फहराया था और तब से यह परंपरा ऐसे ही चली आ रही है।
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