सिलक्यांरा सुरंग में फंसे मजदूरों की जान बची रैट होल माइनिंग तकनीक से
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क्या है रैट होल माइनिंग तकनीक
रैट होल माइनिंग तकनीक |
12 नवंबर 2023 की रात उत्तराखण्ड के उन मजदूरों के लिए जीवन की सबसे काली की रात थी जब वो सुरंग खोदते समय मलबा गिर जाने से अंदर ही फंसे रह गए थे , करीब 60 मीटर की दूरी पर सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए उत्तराखंड और केन्द्र सरकार ने जान लगा दी थी, जब भारतीय ड्रिलिंग मशीनो से बात नहीं बनी तो अमेरिका से स्पेशल ड्रिलिंग मशीन आगर ड्रिल मंगाई गयी ,सुरंग बचाव विशेषज्ञ ऑस्ट्रेलिया से हायर किये गए और पांच से भी अधिक तरीकों से सुरंग में फंसे मजदूरों तक पहुंचने का प्रयास किया गया |
तब काम आयी भारत की वो तकनीक जिसे 2014 में पर्यावरण के लिए खतरा बताते हुए NGT ने भारत में प्रतिबंधित कर दिया था रैट होल माइनिंग टेक्निक , 60 मीटर की सुरंग में से आगर ड्रिल ने 48 मीटर तक खोद दिया था लेकिन उसके बाद आ रही खुदाई की समस्या को निपटाया रैट होल माइनिंग टेक्निक ने , इस तकनीक ने 12 मीटर को खोदने में कुछ ही घंटों का समय लिया और जिंदगी की जीत हुई |
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रैट होल माइनिंग टेक्निक से उत्तरकाशी सुरंग से बाहर मजदूरों को निकालते रैट होल माइनर्स
रैट होल माइनिंग टेक्निक पार्ट -2
2014 से पहले बहुत छोटी सुरंगों मे जाने के लिए रैट होल माइनिंग का उपयोग किया जाता था विषेशतः कोयला खानों में , कोयले की खानो में गड्ढा खोदने के बाद माइनर कोयले की परतों तक पहुंचने के लिए रस्सियों और बांस का उपयोग करते है और फिर गैंती फावड़े से माइनिंग की जाती है इसे रैट होल माइनिंग कहते है | सिलक्यांरा में भी इसी तकनीक का उपयोग किया गया यहाँ पर दो टीमों को बारी बारी से खुदाई का काम दिया गया एक आदमी ड्रिलिंग करता था दूसरा मलबा हाथ से बाहर निकलता था तीसरा उसे आगे भेजने के लिए रास्ता बनाता था जबकि चौथा व्यक्ति मलबे को ट्राली में डालता था और बाहर खड़े लोग उस रैट होल पाइप से इस मलबे को बाहर खींचने का काम करते थे | इस प्रकार से इस रैट होल माइनर्स की टीम ने कुछ ही घंटे में सुरंग में चूहों की तरह खोदकर फंसे मजदूरों के लिए रास्ता तैयार कर दिया था |
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