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वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे

जानें -लक्षण और बचाव 

वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे 
हेपेटाइटिस के लक्षण -

हेपेटाइटिस के लक्षण व्यक्ति के विकास के प्रकार और वायरस के प्रकार पर आधारित होते हैं। इसके विभिन्न प्रकारों में लक्षणों में थोड़ी विभिन्नता हो सकती है, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण हैं जो अधिकांश मामूली होते हैं। हेपेटाइटिस के कुछ मुख्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:

  1. बुखार: हेपेटाइटिस में रोगी को बुखार या तापमान बढ़ सकता है। यह बुखार शुरूआती चरण में अधिक होता है और बाद में सामान्य हो जाता है।

  2. थकान और ऊब: हेपेटाइटिस में व्यक्ति को थकान महसूस हो सकती है और वे बिना ज्यादा प्रयास किए भी बहुत थक जाते हैं।

  3. पेट दर्द और उल्टी: हेपेटाइटिस में पेट में दर्द और उल्टी की समस्या हो सकती है।

  4. खांसी और सर्दी की शिकायत: हेपेटाइटिस के कुछ प्रकार में खांसी, सर्दी, और गले में खराश जैसी शिकायतें भी हो सकती हैं।

  5. पीले रंग की त्वचा और आंखें: हेपेटाइटिस ए, बी और सी में रोगी की आंखें और त्वचा पीले रंग की हो सकती हैं। इसे "जॉन्डिस" कहा जाता है।

  6. पेट की सूजन: लम्बे समय तक रहने वाले हेपेटाइटिस के कुछ प्रकार में पेट में सूजन हो सकती है।

  7. मूत्र में रंग का परिवर्तन: हेपेटाइटिस के कुछ मामूली मामूली केस में मूत्र का रंग गहरा हो जाता है और वो पीला या गहरा हो जाता है।

कृपया ध्यान दें कि हर व्यक्ति में लक्षणों की व्यावसायिकता और गंभीरता में अंतर हो सकता है, और यह उनके सामान्य स्वास्थ्य स्तर और रोग के प्रकार पर निर्भर करता है। यदि आपको इन लक्षणों का सामना हो रहा है और आपको लगता है कि आप हेपेटाइटिस से पीड़ित हो सकते हैं, तो कृपया तुरंत एक चिकित्सक से संपर्क करें और उचित जांच और निदान के लिए सलाह लें।

हेपेटाइटिस होने के क्या कारण है -

हेपेटाइटिस एक जिगर (लिवर) की संक्रामक बीमारी है, जो सबसे अधिक बरसात मौसम में होती है , जिसमें लिवर सूजन और आमतौर पर दर्द के साथ लिवर की कमी होती है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ मुख्य हैं:

  1. वायरस इन्फेक्शन: विभिन्न प्रकार के हेपेटाइटिस वायरस जैसे कि हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी, ई, और जी लिवर को संक्रमित कर सकते हैं। हेपेटाइटिस वायरस इन्फेक्शन मुख्य रूप से रक्त संचय के साथ संक्रामक प्रसार माध्यम होते हैं, जैसे कि संवेदनशील सेक्स, संवेदनशील संपर्क, संयुक्त चुंबन, विनम्र भोजन, और नक्सलने के कारण।

  2. अविराम शराब पीना: अधिक मात्रा में शराब पीने से लिवर को क्षति हो सकती है और यह हेपेटाइटिस के कारण बन सकता है।

  3. आयुर्वेदिक दवाइयां और औषधि: कुछ और अधिक मात्रा में आयुर्वेदिक दवाइयां और औषधि खाने से भी लिवर को नुकसान पहुंच सकता है और यह हेपेटाइटिस का कारण बन सकता है।

  4. उच्च रक्तचाप और शुगर: उच्च रक्तचाप और मधुमेह (शुगर) जैसी समस्याएं भी लिवर को प्रभावित कर सकती हैं और हेपेटाइटिस के रिस्क को बढ़ा सकती हैं।

  5. विषाक्त पदार्थों का सेवन: जिनमें शामिल हो सकते हैं भोजन में उच्च मात्रा में तेल, चाय, कॉफ़ी, तम्बाकू, शराब, और अन्य विषाक्त पदार्थों का सेवन लिवर को प्रभावित करते हैं।

  6. गैर सुरक्षित सेक्स: संक्रामक रोग (जैसे कि हेपेटाइटिस बी और सी) के वायरस का रक्त संचय द्वारा प्रसारण संभव होता है, इसलिए गैर सुरक्षित सेक्स भी हेपेटाइटिस के बढ़ने का कारण बन सकता है।

यह उपरोक्त कारण हो सकते हैं लेकिन हर प्रकार के हेपेटाइटिस के लिए कारण भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। हेपेटाइटिस के विषय में जागरूकता बढ़ाने और संबंधित स्वस्थ्य सेवाओं का समय पर उपयोग करने से बचाव और संचार को रोका जा सकता है |

हेपेटाइटिस के प्रकार-

हेपेटाइटिस कई प्रकार की वायरल संक्रामक बीमारियों में से एक है। विभिन्न प्रकार के हेपेटाइटिस वायरस इन्फेक्शन होते हैं, जिनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित पांच प्रकार हैं:

  1. हेपेटाइटिस ए (Hepatitis A): यह हेपेटाइटिस वायरस का सबसे सामान्य प्रकार है और इसे "जांघ फटाफटी" भी कहा जाता है। इसका संक्रमण दूषित खाने पीने के माध्यम से होता है, जो आम तौर पर पानी के उपयोग या संक्रमित खाद्य से होता है। इसके लक्षण हो सकते हैं: बुखार, पेट दर्द, उल्टी, पीली आँखें और पीले त्वचा।

  2. हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B): हेपेटाइटिस बी वायरस संक्रमण रक्त संचय से हो सकता है, जैसे कि संवेदनशील सेक्स, संयुक्त चुंबन, शूल्डर चिप, आदि के द्वारा। यह अक्सर लंबे समय तक शांत रह सकता है और लक्षणों की भी कमी हो सकती है। इसके लक्षण हो सकते हैं: थकान, पेट दर्द, जी में भारीपन, पीले त्वचा, और पीली आँखें।

  3. हेपेटाइटिस सी (Hepatitis C): हेपेटाइटिस सी वायरस संक्रमण भी रक्त संचय से हो सकता है, जैसे कि हेपेटाइटिस बी। यह भी लंबे समय तक शांत रह सकता है और लक्षणों की कमी हो सकती है। इसके लक्षण भी हो सकते हैं: थकान, पेट दर्द, जी में भारीपन, पीले त्वचा, और पीली आँखें।

  4. हेपेटाइटिस डी (Hepatitis D): हेपेटाइटिस डी वायरस, जिसे भी "डीडी वायरस" कहा जाता है, केवल हेपेटाइटिस बी संक्रमण के साथ संक्रमित होता है। इसके लिए पेशेंट को पहले हेपेटाइटिस बी संक्रमण होना जरूरी है।

  5. हेपेटाइटिस ई (Hepatitis E): हेपेटाइटिस ई वायरस संक्रमण खाद्य पदार्थों और पानी के माध्यम से होता है। यह जांघ फटाफटी के लक्षणों के साथ होता है, लेकिन कुछ मामूली मामूली केस होते हैं, जिनमें किसी भी चिकित्सा इलाज की ज़रूरत नहीं होती है।

ये वे पांच प्रकार के हेपेटाइटिस हैं जो सामान्यतः देखे जाते हैं, लेकिन अन्य कुछ रारे प्रकार के हेपेटाइटिस भी हो सकते हैं, जो आमतौर पर अधिक विकसित देशों में देखे जा सकते हैं |

हेपेटाइटिस से बचाव के लिए टीके-

हेपेटाइटिस वायरस से बचाव के लिए कुछ टीके उपलब्ध हैं, जो रोग प्रसार को रोकने में मदद करते हैं। हेपेटाइटिस के पांच प्रकार (A, B, C, D, और E) होते हैं और उपयुक्त टीके उनमें से कुछ के लिए उपलब्ध होते हैं।

  1. हेपेटाइटिस ए (Hepatitis A) के टीके: हेपेटाइटिस ए से बचाव के लिए हेपेटाइटिस ए के खिलाफ एक वैक्सीन उपलब्ध है। इस वैक्सीन को आमतौर पर दो खुराकों में दी जाती है, जो व्यक्ति को लंबे समय तक संरक्षित रखती है।

  2. हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B) के टीके: हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए हेपेटाइटिस बी के खिलाफ वैक्सीन उपलब्ध है। यह वैक्सीन नवजात शिशु, बच्चों और वयस्कों को दी जाती है। इसे आमतौर पर तीन खुराकों में दिया जाता है।

  3. हेपेटाइटिस डी (Hepatitis D) के टीके: हेपेटाइटिस डी के खिलाफ अलग से एक वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। हेपेटाइटिस डी वायरस आमतौर पर हेपेटाइटिस बी वायरस के साथ संक्रमण होता है, इसलिए हेपेटाइटिस बी के टीके के साथ इसके प्रसार को रोका जा सकता है।

  4. हेपेटाइटिस ई (Hepatitis E) के टीके: हेपेटाइटिस ई के खिलाफ भी कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। हेपेटाइटिस ई वायरस आमतौर पर गंधी पानी या दूषित भोजन से होता है। स्वच्छ और सुरक्षित पानी और भोजन का सेवन करके इसके प्रसार को रोका जा सकता है।

  5. हेपेटाइटिस सी (Hepatitis C) के टीके: हेपेटाइटिस सी के खिलाफ एक वैक्सीन अभी तक उपलब्ध नहीं है। हेपेटाइटिस सी वायरस इन्फेक्शन को रोकने के लिए स्वच्छता, सुरक्षित सेक्स, इंजेक्शन के सुरक्षित उपयोग, और रक्त संचय में सतर्कता बरतना महत्वपूर्ण है।

यदि आप हेपेटाइटिस से संबंधित टीकों के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं, तो अपने चिकित्सक से संपर्क करें और उनसे सलाह लें। वे आपके स्वास्थ्य और पूर्व संस्करण के आधार पर सही वैक्सीन और टीके के लिए आपको मार्गदर्शन करेंगे।

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