मैन्ग्रोव रोकेगें समुद्री तूफान
सरकार का फैसला- बजट 2023
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मैंग्रोव के जंगल |
जाने मैंग्रोव वनों के बारे में -
पेड़ और झाड़ियाँ जो खारे पानी में रहने के लिए अनुकूलित बन गए है मैंग्रोव वनस्पति कहलाती है ये सभी पेड़ कम ऑक्सीजन वाली मिटटी में पनपते है जहाँ धीमी गति से चलने वाली धाराओं के कारण बारीक तलछट बन जाते है मैंग्रोव वन उष्ण कटिबन्धीय और उपोष्ण कटिबन्धीय प्रदेशो में पाए जाते है इनका वैश्विक विस्तार 13780 वर्ग किलोमीटर में फैला है इनका अक्षांशीय विस्तार 25 डिग्री नार्थ से 25 डिग्री साउथ के मध्य फैला है भारत में 10 प्रकार के मैंग्रोव वन पाए जाते है जो गुजरात , गोवा,महारष्ट्र , कर्नाटक केरल ,तमिलनाडु , आंध्रप्रदेश ,ओडिशा और पश्च्मि बंगाल में पाए जाते है, पश्चिम बंगाल में भारत के 45 .45 प्रतिशत , गुजरात में 23 .66 प्रतिशत , अंडमान निकोबार में 12 .39 प्रतिशत मैंग्रोव वन जाते है मैंग्रोव के जंगल में रॉयल टाइगर प्रमुख रूप से पाया जाने वाला जानवर है , विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव जंगल सुन्दर वन है जो पश्चिम बंगाल के कोलकाता से 110 किलोमीटर दूर 24 परगना जिले के दक्षिण में है सुन्दर वन नाम इसमें प्रमुखता से पाये जाने वाले सुंदरी नाम के वृक्ष के कारण पड़ा |भारत का दूसरा सबसे बड़ा मैंग्रोव वाला प्रदेश ओडिशा है जहाँ पर ब्राह्मणी और वैतरणी नदी के डेल्टा पर बना भितरकनिका में मैंग्रोव वन है |
सरकार देगी मैंग्रोव को प्रोत्साहन-
2013 में पूर्वी भारत में आया समुद्री तूफ़ान फइलिन , 2014 में आया समुद्री तूफ़ान हुदहुद , 2017 में आया समुद्री तूफ़ान ओखी , 2018 में आया तितली तूफ़ान पिछले कुछ वर्षों में सबसे अधिक तबाही मचाने तूफ़ान थे | वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने अपना पांचवा बजट पेश करते हुए कहा कि मैंग्रोव वनों को मैंग्रोव इनिशिएटिव फॉर शोर लाइन हैबिटैट एंड टेंजिबल इनकम स्कीम (MISHTI) के तहत लगाया जायेगा मैंग्रोव वन और झाड़ियाँ समुद्र तटीय इलाको में तट के पास जमीन पर अपनी जड़ों को फैलाते है ये मिलकर एक ऐसा जाल बनाते है जो चक्रवातीय तूफानों की गति को समुद्र के तट पर ही काफी कम करने में सहायक हो जाता है और तूफान की गति तट से अंदर आते आते कम हो जाती है जिससे जानमाल के नुकसान की दर भी कम हो जाती है |
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