समन्वय ,समायोजन -प्रकृति व् मानव
आज हम आपकी नजर अमेरिका मे घटी एक घटना की ओर ले जाना चाहते है कि कैसे प्रकृति की नाराजगी से उपजा कोरोना के कारण संसार के सबसे बड़े विकसित देश में आर्थिक कारणों से हो रहे प्रदर्शन से जॉर्ज नाम के एक प्रदर्शनकारी को पुलिस ने नियंत्रण करने के उद्देशय से पकड़ा लेकिन दुर्भाग्यवश उसकी मौत हो गयी ,जिसके बाद प्रदर्शनकारी उग्र हो उठे ,
मुद्दे की बात -
असली बात अब शुरू होती है , पुलिस ने समन्वय व् सदभावना दिखाते हुए जिस प्रकार से माफी मांगी व् खेद प्रकट किया वो हम सबको एक सबक दे गया कि हमे प्रकृति के साथ वैसे समन्वय बैठाना है जैसे पुलिस ने बैठाया है , गलती होना बुरा नहीं है , बुरा है उस गलती से सीख़ न लेना , आइए हम सब फिर से एक बार अपने पर्यावरण को पेड़ पौधों से आच्छादित करे और एक समन्वित समायोजित व् सेहतमंद परिवेश बनाये , जीवन का आनंद लें
समन्वय व समायोजन क्यों है जरूरी -
समृद्ध शांत व सुखी जीवन जीने के लिए आपको समन्वय को अपने जीवन में गहराई के साथ उतारना होगा , समन्वय का अर्थ है परिस्तिथितयों के साथ समायोजित हो जाना और अनुकूलन की अवस्था को आत्मसात करने की कोशिश करना , ऐसा करने से आप देखेंगे की आपका जीवन कितना सुन्दर व सुखमय बन जाता है , जीवन जीने की ये कला आपको सामाजिक और प्राकृतिक दोनों रूपों में अपनानी चाहिए, ऐसी भावना के साथ यदि मानव प्रकृति के समन्वय करना सीख लें ,तो ये पृथ्वी आपको स्वस्थ और आकर्षक वातावरण दे सकती है एक ऐसा वातावरण जहाँ प्रसिद्ध अर्थशास्त्री माल्थस के जनसंख्या अनुकूलन थ्योरी की आवश्यकयता भी नहीं पड़ेगी क्यूकि प्रकृति का अनुकूलन कही ज्यादा कठोर व अनुशासनात्मक होता है , कही ज्यादा बेहतर है की मानव स्वयं समन्वय के साथ अपने सामाजिक परिवेश का निर्माण करें और प्राकृतिक और मानवीय सीमाओं का सम्मान करना सीखें , ऐसा करने में ही हम सबका भला है ,
कहीं ज्यादा मुश्किल नहीं है ये काम , बस हमको अपनी उम्मीदों की अनावश्यकता पर अंकुश लगने की जरुरत है |
समन्वय सीखे अमेरिका से -
कुछ महीनों पहले अमेरिका में दो समुदाय के मध्य जो झड़प देखने को मिली थी जिसमे कुछ पुलिसमैन एक अश्वेत व्यक्ति जो कानून तोड़ने का अपराधी बताया गया था को नियंत्रण में करने का प्रयास करते हुए उसकी गर्दन पैर पैर रखती है है और इसी कशमश में दुर्भाग्य से उस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है |
इस घटना के बाद वहां की सामाजिक व्यवस्था ने जिस प्रकार अश्वेत समुदाय अपने साथ फिर से जिस सौहार्द के साथ समन्वित करने का प्रयास किया है वो हम सबके लिए एक उदाहरण बन गया है कि जीवन में कठिनाइयाँ कभी स्थाई नहीं होती , हमे जरुरत है कि हम परिस्थितियों के साथ समन्वय बनाने का प्रयास करें |
READ MORE-
Good information
जवाब देंहटाएं