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NCERT की पुस्तकों में छात्र अब इंडिया की जगह पढ़ेंगे भारत

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आइजेक समिति ने अपनी रिपोर्ट में संस्तुति की  NCERT की पुस्तकों में परिवर्तित NCERT की पुस्तकों में अब छात्र इंडिया के स्थान पर भारत शब्द को ही पढेंगे , NCERT की उच्च स्तरीय समिति ने प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है ,समिति ने इंडिया के स्थान पर भारत शब्द के प्रयोग को स्वीकृति दे दी है, इस समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर सी आई आइजेक है |  शब्द "इंडिया" का उपयोग प्राचीन समय से भारत के लिए किया जाता आया है। इसकी उत्पत्ति यूरोपीय व्यक्तियों के द्वारा भारत के प्राचीन समय के संपर्क के दौरान हुई, जब वे भारत को "इंडिया" कहने लगे। भारत का नाम "इंडिया" कैसे पड़ा, इसका विकास भी यूरोपीय यात्री और व्यापारी समुदायों के साथ जुड़ा है। "इंडिया" शब्द का उपयोग पहले भारत के दक्षिणी भाग को चिन्हित करने के लिए किया जाता था, जिसमें केरल और तमिलनाडु जैसे क्षेत्र शामिल थे। यूरोपीय यात्री और व्यापारी इस शब्द का उपयोग किया और बाद में इसे भारत के सारे खंड को दर्शाने के लिए उपयोग किया। आइजेक समिति ने सिफारिश की है कि प्राथमिक स्कूली शिक्षा से लेकर हाईस्कूल के पाठ्यक्रम की पुस्तकों म...

देहरादून के जाम से मुक्ति के लिए अब लागू हो सकता है दिल्ली मॉडल

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देहरादून में भी होगी लागू ऑड ईवन ट्रैफिक व्यवस्था   लागू ऑड ईवन ट्रैफिक व्यवस्था आमतौर पर देहरादून के जाम से हम सभी लोग परिचित है ,  देहरादून के राजपुर रोड से अन्तराज्य बस स्टॉप(ISBT) तक का सफर सुबह के समय तीस मिनट में तय किया जा सकता है लेकिन शाम के समय यही दूरी तय करने में डेढ़ घंटे से भी ज्यादा समय लगता है और अगर आप वीकेन्ड पर शाम को जाये तो फिर दो घण्टे से ज्यादा समय मानकर चले |  उत्तराखंड ट्रैफिक पुलिस ने जाम से मुक्ति के लिए शहर की जनता से सुझाव मांगे है अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो देहरादून में भी जल्दी ही  ऑड ईवन ट्रैफिक व्यवस्था लागू की जाएगी , पुलिस के एक उच्चाधिकारी ने हाल ही में फेसबुक लाइव के माध्यम से शहर के लोगों से सीधे संवाद किया है जिसमे शहर के सबसे व्यस्तम इलाकों में हाई ट्रैफिक का समाधान निकालने के लिए सुझाव मांगे थे जिसके बाद उन्होंने वाहनों के लिए  ऑड ईवन ट्रैफिक व्यवस्था की बात रखी , इसका मतलब है कि देहरादून शहर में एक दिन   ऑड नंबर वाले वाहन ही चलेंगे ,दूसरे दिन इवन नंबर वाले वाहन ही चलेंगे , इसके लिए आम जान, व्यापारी वर्ग , अभिभावकों के...

उत्तराखण्ड बोर्ड परीक्षा 2024 के लिए परिषद ने किये नए सिलेबस पर आधारित मॉडल पेपर्स

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अगले महीने होगी जारी परीक्षा की डेटशीट  उत्तराखण्ड बोर्ड परीक्षा 2024 उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद की स्थापना का अधिकारिक रूप से वर्ष 2002 में हुुई थी , उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद (Uttarakhand Vidyalayee Shiksha Parishad) का मुख्यालय रामनगर, उत्तराखंड, भारत में स्थित है। यह परिषद् उत्तराखंड राज्य में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर की शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्यों का प्रबंधन करती है। उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद (Uttarakhand Vidyalayee Shiksha Parishad) ने अपनी ऑफिसियल वेबसाइट ubse.uk.gov.in पर इण्टरमीडिएट बोर्ड परीक्षा 2024 के लिए सभी विषयों के मॉडल पेपर जारी कर दिए है इनमे प्रथम भाषा , द्वितीय भाषा , त्रित्य भाषा , गणित , भौतिकी ,कला ,विज्ञान, कॉमर्स के साथ सभी स्ट्रीम के मॉडल प्रश्नपत्र जारी कर दिए है जिनसे छात्र अपनी तैयारी की गहराई को जान सकेंगे और सही दिशा में परीक्षा की तैयारी को आगे बढ़ा सकेंगे , ये सभी प्रश्नपत्र नए सिलेबस के अनुसार बनाये गए है | इनके रिवीजन करने से छात्र को अपनी तैयारी मजबूत करने में सुविधा होगी | उत्तराखंड विद्...

पारसियों का देश पर्शिया कैसे बन गया ईरान

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अपनी मातृभूमि छोड़कर कहाँ गए पारसी पारसियों का देश पर्शिया कैसे बन गया ईरान  पार्सी (या पारसी) समुदाय का उत्पत्ति ईरान से जुड़ा हुआ है, और इसका सम्बंध ईरान से है। इस समुदाय के लोगों को पार्सी कहा जाता है, और वे ज्यादातर भारत में निवास करते हैं। पार्सी धर्म, जिसे जर्थुस्ट्रीयनिज्म (Zoroastrianism) भी कहा जाता है, ईरान के प्राचीन धार्मिक धार्मिक गुरु जरथुस्त्रा (Zoroaster) के उपदेशों पर आधारित है। जरथुस्त्रा के शिक्षाओं के अनुसार, बुराई और अच्छाई के बीच लड़ाई चल रही है, और लोगों को अच्छाई की ओर अग्रसर करने के लिए उनके अच्छाई के मार्ग पर चलने की सलाह दी जाती है। पारसी समुदाय की उत्पत्ति ईरान से जुड़ी हुई है, और इसका संबंध जरथुस्त्रा (Zoroaster) के द्वारा स्थापित किए गए जरथुस्त्रीयन धर्म से है। जरथुस्त्रा को जरदुश्ट्र, जरथुष्त्रा, या जरथुस्त्रा भी कहा जाता है, और उन्होंने ईरान में लगभग 6-7 सदी ईसा पूर्व में धर्म की नींव रखी थी। जरथुस्त्रीयन धर्म के अनुसार, जरथुस्त्रा ने ईरान में अपने धर्म और दार्शनिक विचारों का प्रचार किया और अपने अनुयायियों को उनके धर्म के अनुसार जीवन जीने की स...

CBSE स्कालरशिप 2023 - सिंगल गर्ल चाइल्ड

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CBSE स्कालरशिप 2023 - सिंगल गर्ल चाइल्ड  की अंतिम तारीख बढ़ी  CBSE स्कालरशिप 2023 - सिंगल गर्ल चाइल्ड  सीबीएसई (सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन) की स्थापना 3 नवम्बर 1962 को हुई थी। सीबीएसई भारत में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत है और इसका मुख्य उद्देश्य शिक्षा प्रक्रिया को मानकीकृत करना और सुनिश्चित करना है कि छात्रों को योग्यता और ज्ञान का एक साझा मानक प्राप्त हो। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड दे रहा है हर महीने 500 रूपये छात्रवृति पाने का एक और अवसर ,सीबीएसई ने सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कालरशिप आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तारीख में वृद्धि कर दी है , अब इस तारीख को बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2023 कर दिया गया है,सीबीएसई की इस छत्रवृत्ति योजना के अंतर्गत एक मात्र बालिका के माता पिता होने पर आप की पुत्री को सीबीएसई लगातार दो वर्ष तक 500 रूपये प्रति माह की छात्रवृत्ति प्रदान करेगी इसमें अगर कोई जुड़वाँ बहनें भी है तो उस दशा में भी इसे सिंगल गर्ल चाइल्ड ही माना जायेगा |  सीबीएसई की इस योजना के तहत आवेदित  छात्रा ने कक्षा 10 की परीक्षा सीबीएसई बोर्ड से ...

JEE मेन परीक्षा अब ये बोर्ड़ कराएगा

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जानियें क्या है JEE एपेक्स बोर्ड  JEE  मेन परीक्षा भारत शिक्षा मंत्रालय ने JEE मेन परीक्षा को लेकर एक नया अपडेट दिया है कि अब JEE मेन परीक्षा को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानि NTA नहीं कराएगी बल्कि इसकी जिम्मेदारी एक नए बोर्ड को दे दी गयी है अब ये नया बोर्ड ही JEE मेन परीक्षा और IIT में नामांकन को लेकर परीक्षा आयोजित करेगा | JEE मेन परीक्षा और IIT की परीक्षा कराने वाले इस बोर्ड का नाम JAB रखा गया गया है JAB का अर्थ होगा JEE एपेक्स बोर्ड , इस बोर्ड के चेयरमैन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी जो एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है जिसे बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी भी कहा जाता है के कुलपति प्रोफेसर एस के जैन साहब को बनाया गया है॥ नोटिफिकेशन के अनुसार  JEE एपेक्स बोर्ड को प्रवेश परीक्षा को आयोजित करने के लिए पालिसी नियम और रेगुलेशन को निर्धारित करने का सम्पूर्ण अधिकार होगा ,  JEE एपेक्स बोर्ड को प्रवेश परीक्षा आयोजित करने में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी प्रशासनिक और लॉजिस्टिक मदद देगी, साथ साथ NTA ही  JEE एपेक्स बोर्ड को एक स्थायी सचिवालय भी उपलब्ध कराएगी |  ज्ञात र...

जगन्नाथ पूरी मंदिर में लगभग 92 करोड़ का सोना , बीते 45 साल से नहीं खुला खजाना

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12 वी सदी के मंदिर का खजाना खुलवाने पर अड़ी कांग्रेस जगन्नाथ पूरी मंदिर देहरादून से जगन्नाथ पुरी मंदिर की दूरी लगभग 1,800 किलोमीटर (या 1,118 मील) है। यह जगन्नाथ पुरी ओडिशा राज्य के पूर्वी तट पर स्थित है।जगन्नाथ पुरी मंदिर भारत के उड़ीसा राज्य में स्थित है और यह एक प्रमुख हिन्दू धर्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ (भगवान कृष्ण के एक रूप) को समर्पित है।जगन्नाथ पुरी मंदिर का निर्माण 12वीं सदी में शुरू हुआ था और इसका पूरा निर्माण कार्य 12वीं से 13वीं सदी के बीच में सम्पन्न हुआ था। इसलिए, यह मंदिर एक प्राचीन हिन्दू मंदिर है और इसका इतिहास महत्वपूर्ण है | जगन्नाथ पुरी मंदिर का निर्माण किसी व्यक्ति द्वारा नहीं किया गया है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ की पूजा के लिए बनाया गया था और इसका निर्माण भक्तों और समुदाय के संयोजन से हुआ था। इसके निर्माण का आदान-प्रदान भगवान के भक्तों और राजा अनंगभीम द्वितीय द्वारा किया गया था।जगन्नाथ पुरी मंदिर में "लिटन दान" (यानी सोना या चांदी के आभूषणों का दान) की परंपरा बहुत प्राचीन है और यह मंदिर के महत्वपूर्ण धार्मिक अद्यात्मिक क्रियाकलाप में शामिल है। मं...