वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए विभागीय आय व्ययक तैयार किये जाने के सम्बन्ध में

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वित्तीय वर्ष 2025-26  के लिए विभागीय आय व्ययक  पेज 01  पेज 02  YOU MAY ALSO LIKE IT- हिममेधा ब्लॉग उत्तराखण्ड में शिक्षकों को दुर्गम की सेवाओं का दोगुना लाभ मिलना शुरू  इस पड़ौसी राज्य में अब सहायक अध्यापक भी बन सकेंगे प्रधानाचार्य  प्रोजेक्ट कार्य सामाजिक विज्ञान- यूरोप में समाजवाद और रुसी क्रांति  सीबीएसई परीक्षा में स्कूल ने गलती से छात्रा को दे दिए जीरो मार्क्स, अब कोर्ट ने लगाया 30 हजार रूपये का जुर्माना  उत्तराखण्ड बोर्ड ने घोषित की प्रैक्टिकल और बोर्ड परीक्षा की डेट

शिक्षा निदेशक के प्राइवेट स्कूलों को निर्देश-खास दुकान से किताबें खरीदने का ना बनायें दबाव

 प्राइवेट स्कूल कैंपस के अंदर भी नहीं बेच सकेंगे किताबें 

शिक्षा निदेशक

भारत में प्राइवेट स्कूलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जिसके कारण इनका मानकीकरण और समय समय पर निर्देशित करना भी शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी बनती है | उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक श्री महावीर सिंह बिष्ट जी ने सोमवार को शिक्षा निदेशालय देहरादून में निजी स्कूलों के प्रतिनिधियों की एक मीटिंग लेते समय ये निर्देश दिए है कि कोई भी स्कूल अपने स्कूल कैंपस में किताबों और कॉपी की बिक्री नहीं करेगा और न ही अभिभावकों को किसी विशेष दुकान से किताबे और कॉपी खरीदने के लिए दबाव बनाएगा यदि ऐसी कोई शिकायत आती है तो सम्बंधित स्कूल के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी , इसके साथ ही स्कूल को छात्र के प्रवेश के समय ही अभिभावकों को ये सब जानकारी देनी होगी कि फीस का ढांचा क्या होगा और किस महीने कितनी फीस छात्र को देनी होगी साथ ही यदि स्कूल इस बीच फीस में परिवर्तन भी करता है तो ये परिवर्तन किस सीमा तक होगा जिससे छात्र के अभिभावक प्रवेश के समय ही तय कर सकें और अपनी क्षमता अनुसार ही प्रवेश की प्रक्रिया को आगे बढ़ाए |

 उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक श्री महावीर सिंह बिष्ट जी ने कहा कि प्राइवेट स्कूलों की जायज समस्याओं को भी सुना जायेगा और त्वरित कार्यवाही की कोशिश की जाएगी , प्राइवेट स्कूलों के संचालकों ने बताया कि उन पर शिक्षा विभाग द्वारा RTE पंजीकरण के अंतर्गत पंजीकरण शुल्क जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है इसके उत्तर में कहा गया कि RTE पंजीकरण एक अनिवार्य प्रक्रिया है जिसके लिए हिंदी माध्यम के स्कूलों के लिए दस हजार रूपये और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों के लिए पच्चास हजार रूपये का शुल्क तय है इसके बाद प्रत्येक तीसरे और पांचवे वर्ष इस मान्यता का नवीनीकरण कराना अनिवार्य होता है | 

 

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