विद्यालय समय सारिणी,अवकाशों में प्रस्तावित संशोधनों पर अध्यापकों के सुझाव आमंत्रित

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अभिभावकों , छात्रों और संस्थाध्यक्षों से भी मांगे गए सुझाव  सुझाव आमंत्रित  YOU MAY ALSO LIKE IT- हिममेधा ब्लॉग उत्तराखण्ड में शिक्षकों को दुर्गम की सेवाओं का दोगुना लाभ मिलना शुरू  इस पड़ौसी राज्य में अब सहायक अध्यापक भी बन सकेंगे प्रधानाचार्य  प्रोजेक्ट कार्य सामाजिक विज्ञान- यूरोप में समाजवाद और रुसी क्रांति  सीबीएसई परीक्षा में स्कूल ने गलती से छात्रा को दे दिए जीरो मार्क्स, अब कोर्ट ने लगाया 30 हजार रूपये का जुर्माना  उत्तराखण्ड बोर्ड ने घोषित की प्रैक्टिकल और बोर्ड परीक्षा की डेट

चूल्हे पर पकाया मिड डे मील तो प्रधानाध्यापिका को किया सस्पेंड

बेसिक शिक्षा अधिकारी ने ग्रामीणों की शिकायत पर की कार्यवाही 

मिड डे मील YOJNA

भारत के ग्रामीण अंचल में आज भी खाना पकाने के लिए चूल्हे का उपयोग किया जाता है और चूल्हे को जलाने के लिए लकड़ी और गोबर के उपलों का उपयोग किया जाता है , यहाँ तक की गावों में चूल्हे पर बने खाने को अधिक स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक भी माना जाता है लेकिन पिछले दिनों इसी कारण से कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय टिकरी बुजर्ग की प्रभारी प्रधानाध्यापिका को बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सस्पेंड कर दिया और मिड डे मील प्रभारी को सख्त चेतावनी दी गयी है | 

कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय टिकरी बुजर्ग ब्लॉक मोदहा जिला हमीरपुर उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा अधिकारी हमीरपुर ने चूल्हे पर खाना पकाने को गुणवत्ता में कमी माना है और प्रभारी प्रधानाध्यापिका को इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराते हुए सस्पेंड करने के आदेश जारी कर दिए है जिसके बाद वहां राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने इसके लिए संज्ञान लिया है , पिछले कुछ दिनों से ग्रामीणों की तरफ से बेसिक विद्यालय में मिड डे मील में गुणवत्ता की कमी को लेकर जिला स्तर पर शिकायतें की जा रही थी जिनमे ग्रामीणों ने भी चूल्हे पर बने खानें को गुणवत्ताविहीन बताया था , बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अपने निरीक्षण में पाया कि खाना चूल्हे पर पकाया जा रहा है और चूल्हे की दशा भी अच्छी नहीं है , बेसिक शिक्षा अधिकारी ने मिड डे मील को पूरी गुणवत्ता और मानकों के अनुरूप चलाने को लेकर भी सख्त निर्देश दिए है, सरकार स्कूलों में मिड डे मील को समय समय प्रति छात्र की दर से बजट देती रहती है , इस संदर्भ में प्रभारी प्रधानाध्यापिका ने कहा कि केवल पिछले दो दिन से ही चूल्हे का उपयोग किया गया है | 

यूरोप में मिड डे मील योजना का स्वरुप -

यूरोप में विद्यालयों के लिए मिड-डे मील जैसी योजनाएं देशों और क्षेत्रों के बीच भिन्न-भिन्न हो सकती हैं। यह योजनाएं आमतौर पर छात्रों को स्कूल में स्वस्थ और पौष्टिक आहार प्रदान करने का उद्देश्य रखती हैं। निम्नलिखित कुछ उदाहरण हैं:

  1. जर्मनी : जर्मनी में कई राज्य छात्रों के लिए स्कूल में मिड-डे मील प्रदान करते हैं। इसका उद्देश्य छात्रों को स्वस्थ और पौष्टिक आहार प्रदान करना होता है, ताकि वे पढ़ाई के दौरान सही से पोषण मिल सके।

  2. फ्रांस: फ्रांस में, स्कूल में "स्कूल रेस्तरां" के रूप में एक प्रकार का डाइनिंग हॉल होता है जो छात्रों को स्वस्थ भोजन प्रदान करता है।

  3. स्वीडन: स्वीडन में, स्कूल में छात्रों को मिड-डे मील के लिए आहार प्रदान किया जाता है जिसमें फल, सब्जियाँ, दूध आदि शामिल होते हैं।

  4. यूनाइटेड किंगडम (UK): यूके में स्कूल में मिड-डे मील कार्यक्रम "स्कूल मील्स" के तहत चलाया जाता है, जिसमें छात्रों को स्वस्थ और पौष्टिक भोजन प्रदान किया जाता है।

इन योजनाओं का उद्देश्य छात्रों को स्वस्थ और पौष्टिक आहार प्रदान करना होता है, ताकि वे सही से पढ़ाई कर सकें और उनकी शारीरिक सेहत भी बेहतर रहे। इन योजनाओं के अनुसार आहार की विशेषता और प्रक्रिया विद्यालयों और देशों के आधार पर भिन्न हो सकती है|

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