उत्तराखण्ड में वनस्पति के प्रकार और वन्य जीव संरक्षण
उत्तराखण्ड में वनस्पति के प्रकार और वन्य जीव संरक्षण
उत्तराखण्ड एक प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर राज्य है जहां वनस्पति की विविधता देखने को मिलती है। यहां विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों का समृद्ध आवास है जो इस क्षेत्र के जीवजंतु और प्राकृतिक पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण है।
उत्तराखण्ड में प्रमुख वनस्पति प्रकारों में शामिल हैं:
बर्फीले पर्वतीय वन: यहां शीतल पर्वतीय क्षेत्रों में ऊँचे ऊँचे पर्वतों पर सदाबहार वनस्पतियाँ पाई जाती हैं। यहां चीड़, बरूँश, कैल, देवदार, ओक और रेवट जैसे पेड़ पाए जाते हैं।
सदाबहार वन: इस प्रकार के वनस्पति प्रकार में पर्यावरणीय स्थानों पर मिलने वाले वन सम्मिलित हैं। यहां साल, चीड़, सागून, धूप, सैलू, खैर, खर्सू आदि पेड़ पाए जाते हैं।
चरागाही वन: उत्तराखण्ड में इस प्रकार के वन विशेष रूप से पशुपालन के लिए मान्य हैं। यहां पहाड़ी बकरे, भारतीय हरिण, बारहसिंगा, झारन, भालू और बाघ जैसे प्राणी पाए जाते हैं।
उत्तराखंड सरकार वन्य जीव संरक्षण के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाती है। यहां कुछ प्रमुख कार्यक्रम दिए जा रहे हैं:
बाघ संरक्षण कार्यक्रम: यह कार्यक्रम उत्तराखंड में बाघों के संरक्षण को ध्यान में रखता है। इसमें बाघों के निवास स्थानों की संरक्षा, उनके आबादी के विस्तार की निगरानी, उनके जीवन शैली के अनुसार वातावरण के सुधार, जागरूकता कार्यक्रम, बाघ के घातक प्रभावों का निर्देशन आदि कार्य शामिल होते हैं।
हिरण संरक्षण कार्यक्रम: यह कार्यक्रम हिरणों के संरक्षण को ध्यान में रखता है। इसमें हिरणों के निवास स्थानों की संरक्षा, उनके प्रजनन के स्थानों का सुरक्षित रखना, बाघों और अन्य जानवरों से उनकी सुरक्षा, उनकी आबादी के प्रबंधन, जागरूकता कार्यक्रम, हरिण तथा उनके जीवन शैली के बारे में शिक्षा आदि कार्य शामिल होते हैं।
पक्षी संरक्षण कार्यक्रम: उत्तराखंड में पक्षियों के संरक्षण के लिए भी कार्यक्रम चलाए जाते हैं। इसमें पक्षियों के निवास स्थानों की संरक्षा, उनके आबादी के प्रबंधन, उनके आहार-विहार और प्रजनन के लिए उचित माध्यम की प्रदान, पक्षियों के प्रवास के लिए नगरीय संरचना के सुधार, जागरूकता कार्यक्रम आदि कार्य शामिल होते हैं।
ये कार्यक्रम वन्य जीव संरक्षण के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा चलाए गए कुछ प्रमुख कार्यक्रम हैं। इन कार्यक्रमों के माध्यम से वन्य जीवों की संरक्षा, उनके प्रबंधन, उनके निवास स्थानों की सुरक्षा और जागरूकता को सुदृढ़ किया जाता है|
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