विश्व पटल पर फिर उभरेगा शिक्षा के लिए विश्वविख्यात नालंदा विश्वविद्यालय

आज होगा नालंदा विश्वविद्यालय का उद्घाटन

 विश्वविख्यात नालंदा विश्वविद्यालय

भारत के प्रधानमंत्री मोदी आज बिहार के राजगीर में नालन्दा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन कर भारत की प्राचीन विरासत को पुनर्जीवित करेंगे , ये नया परिसर नालन्दा विश्वविद्यालय के प्राचीन खंडहरों के नजदीक ही है आज 815 सालों के बाद ये अपने स्वरूप में लौट रहा है | नालन्दा विश्वविद्यालय पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के सपनो का एक अंग रहा है जो आज साकार रूप ले रहा है ये नालन्दा विश्वविद्यालय  शिक्षा के प्रति भारत के दृष्टिकोण और इसकी समृद्धि को दर्शाता है इसका महत्व न केवल भारत के लिए अनमोल है बल्कि ये विश्व के लिए भी एक धरोहर है इसे विश्व का पहला आवासीय विश्वविद्यालय माना जाता है जहाँ शिक्षक और छात्र दोनों एक ही परिसर में रहते थे | 

नालन्दा विश्वविद्यालय की स्थापना 450 ई0 में गुप्त सम्राट कुमारगुप्त प्रथम ने की थी इसके बाद इसे हर्षवर्धन और पाल शासकों का संरक्षण मिला इसमें 300 कमरें ,सात बड़े कक्ष , अध्ययन के लिए 9 मंजिल ऊँचा पुस्तकालय इसकी शान था जिसको धर्म गूंज का नाम दिया गया था जिसमे 3 लाख से भी अधिक किताबें रखी गयी थी , यहाँ पर 10 हजार से भी अधिक छात्र और 2500 से अधिक शिक्षक एक साथ रहते थे जिनके लिए शिक्षा  ,आवास और भोजन निशुल्क था इस नालन्दा विश्वविद्यालय में भारत के साथ साथ कोरिया , जापान , चीन , तिब्बत , ईरान , मलेशिया , मंगोलिया और यूनान के छात्र भी अध्ययन करने को आते थे | 

मुस्लिम शासक ने किया बर्बाद नालन्दा विश्वविद्यालय  को-

1193 में बख्तियार खिलजी ने इस नालन्दा विश्वविद्यालय  पर आक्रमण किया और इसे तहस नहस कर दिया जो शिक्षा और भारत के हिन्दू धर्म के प्रति उसके पूर्वाग्रस्त और निंदनीय दृष्टिकोण को दिखाता था | खिलजी ने बौद्धधर्म और आयुर्वेद का एहसान मानने के बजाय उसने इसके परिसर में ही 1199 में आग लगा दी थी और इसके अध्ययन के लिए बनाये गए 9 मंजिल ऊँचे पुस्तकालय जो इसकी शान था जिसको धर्म गूंज का नाम दिया गया था जिसमे 3 लाख से भी अधिक किताबें रखी गयी थी उसको भी इस मुस्लिम शासक बख्तियार खिलजी ने आग लगा दी थी इस पुस्तकालय की किताबे कई सप्ताह तक जलती है जो इसमें रखी गयी किताबों की संख्या को दर्शाता है | 

मोदी सरकार ने की एक नयी शुरुआत -

नए नालंदा विश्वविद्यालय ने 2014 में 14 छात्रों के साथ अस्थाई रूप से काम आरम्भ किया लेकिन इसके निर्माण का काम 2017 में शुरू हुआ था इस में भारत के अतिरिक्त 17 अन्य देशों की भी भागीदारी है जिनमे ऑस्ट्रेलिया ,बांग्लादेश , भूटान , ब्रूनई , कम्बोडिया , चीन , इंडोनेशिया , लाओस , म्यांमार , न्यूजीलैंड , पुर्तगाल , सिंगापुर ,श्रीलंका , थाईलैंड और वियतनाम जैसे देश है | 


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