भारत सरकार दे सकती है पुरानी पेंशन योजना के स्थान पर - ये तीन विकल्प
क्या सरकार भी है सजग कर्मचारियों के हितों के प्रति-
सरकार आरम्भ से ही पुरानी पेंशन योजना में दो पक्ष रखने के लिए मन बनाये हुए थी,फिर इस बात पर तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने नई पेंशन योजना पर अपनी अंतिम मोहर लगाकर शुरुवात कर दी , नई पेंशन योजना और पुरानी पेंशन योजना में जो सबसे बड़ी समस्या है वो है सेवानिवृति के समय पेंशन धनराशि की कोई गारंटी का ना होना क्यूकि इसमें अंतिम पेंशन धनराशि शेयर मार्केट में शेयर की कीमत पर निर्भर करती है और ये ही कर्मचारियों के विरोध का सबसे बड़ा कारण है क्यूकि पिछले कुछ वर्षों में देखने में ये आ रहा है कि नई पेंशन योजना में अंतिम वेतन यदि 100000 रुपए भी है तो भी पेंशन धनराशि लगभग 1500 या 2500 रुपए तक ही बन रही है , सरकार अपने विधायकों के लिए तो पुरानी पेंशन योजना चाहती है लेकिन एक कर्मचारी जो औसतन 30 वर्षों तक विभाग में अपनी सेवा दे रहा है उसके लिए वो शेयर मार्किट आधारित नई पेंशन योजना ही चाहती है, सरकार का दोहरा मापदण्ड कर्मचारियों को बिल्कुल नहीं भा रहा है और कर्मचारियों का विरोध पंजाब , हिमाचल के चुनाव में दिखाई भी दिया है जहां उन्होंने अपने दम पर बाजी पलट कर रख दी है,ये मौजूदा सरकार के लिए खतरे की घंटी है और ये बात सरकार भी समझ रही है |
सरकार देना चाहती है तीन विकल्प -
भारत के पांच राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना लागू करने के लिए हामी भर कर केंद्र सरकार के माथे पर बल ला दिए तो प्रत्युत्तर में केंद्र सरकार और पेंशन फण्ड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट ऑथरिटी भी कर्मचारियों को तीन विकल्प देने पर विचार कर रही है जिस पर अंतिम सहमति बनना अभी शेष है -
- पहली योजना ये है कि ओल्ड पेंशन योजना की तरह नई पेंशन में भी अंतिम वेतन का आधा भाग पेंशन तो दे दिया जाये लेकिन इसके लिए कर्मचारियों से योगदान भी लिया जाए |
- दूसरी योजना ये है कि NPS में ही न्यूनतम पेंशन राशि तय कर दी जाये इसमें सरकार की और से न्यूनतम 4 से 5 प्रतिशत तक का रिटर्न तय कर दिया जाये |
- तीसरी योजना ये है कि अटल पेंशन योजना की तरह इसमें भी सबको न्यूनतम पेंशन की गारंटी दी जाये जिसमे कर्मचारियों के योगदान के आधार पर न्यूनतम 1000 रुपए से और अधिकतम पेंशन की लिमिट ख़त्म कर दी जाये लेकिन इसके लिए सरकार का योगदान आवश्यक है |
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