परमाणु शक्ति का दुरूपयोग है बड़ा खतरा
एक कहावत है कि साँप का दोस्त भी साँप ही होता है , ये कहावत आज चीन पाकिस्तान के लिए सही साबित हो रही है आज के समय में पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था एशिया की सबसे कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, पाकिस्तान दुनिया का एकमात्र देश है जो परमाणु सम्पन्न राष्ट्र होते हुए भी लगातार कर्ज में डूबता जा रहा है, एक अमेरिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मुदस्सर लिखते हैं कि इससे बढ़िया मौक़ा नहीं मिलेगा भारत चाहे तो पाकिस्तान पर चढ़ाई कर दें , वर्ष 1960 में पकिस्तान की प्रति व्यक्ति आय 6797 पाकिस्तानी रूपये थी और भारत की तुलना में पाकिस्तान काफी अच्छी हालात में था लेकिन प्राकृतिक आपदाओं ,देश की आतंकनीति और भारत से दुश्मनी निभाते निभाते पाकिस्तान चीन के साथ दोस्ती के चक्कर में ऐसा फंसा कि आज तक उभर नहीं पाया है आइए विस्तार से समझते हैं कि कैसे पाकिस्तान ने कुंए से खाई तक का सफर तय किया-
1- राजनैतिक अस्थिरता बनाम तानाशाही शासन-
पाकिस्तान अब तक के अपने 75 वर्ष के जीवनकाल मे चार बार सैनिक
सरकार जनरल अयूब खान, याह्या खान, जनरल जिया उल हक और जनरल परवेज मुशर्रफ का तानाशाही शासन देख चुका है जिनमें लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के स्थान पर केवल धार्मिक कट्टरवाद, अशिक्षा,आंतकवाद, बेरोजगारी और ग़रीबी रूढ़िवादिता को ही बढ़ावा मिलता रहा है, अशिक्षा से आंतकवाद बढ़ा और आंतकवाद से धार्मिक कट्टरवाद, धार्मिक कट्टरवाद से गरीबी बढ़ी और गरीबी मिटाने के लिए पकिस्तान विश्व बैंक से कर्ज लेता गया, विश्व बैंक के बढ़ते दबाव ने पाकिस्तान को अमेरिका ,सऊदी अरब व चीन जैसे देशों से कर्ज लेने पर मजबूर कर दिया, इस कर्ज का असर ये हुआ कि पाकिस्तान चीन की सीपीसी कोरिडोर जैसे महत्वाकांक्षी योजना में फंसता चला गया जिसका असर वहां की सरकार पर भी देखने को मिलने लगा, आज के समय में पाकिस्तान पर विश्व बैंक का लगभग 51 ट्रिलियन डॉलर का क़र्ज़ है यानि प्रत्येक पाकिस्तानी व्यक्ति पर 1732 डालर का औसत कर्ज है।
2 - चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा(CPEC)- |
CPEC |
चीन पाकिस्तान गलियारा ग्वादर से काशगर तक लगभग 2442 किलोमीटर लम्बा है ये गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर ,गिलगित बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान को आपस में जोड़ता है इसके पूरा हो जाने पर चीन 19 मिलियन टन कच्चे माल को गवादर बंदरगाह से शिनजिआंग चीन तक एक साथ भेजने में सक्षम हो जायेगा इस परियोजना पर कार्य 2013 में शुरू हुआ था और इस पर लगभग 46 बिलियन डॉलर का खर्च आने की उम्मीद है इस योजना में पाकिस्तान और चीन 2030 तक इ आर्थिक साझेदार रहेंगे |
2- ओर इन्हें कश्मीर चाहिए - |
भारतीय कश्मीर |
CPEC की सफलता की एकमात्र कुंजी बलूचिस्तान के पास स्थित गवादर बंदरगाह है और बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे अशांत इलाका है जिसमे पहले से ही पाकिस्तान से अलग होने के लिए विद्रोह होते रहते है खैबर पख्तूनवा और सिंध जैसे इलाके पहले ही चीन की नियत को लेकर शक जाहिर कर चुके है लेकिन पाकिस्तान सरकार चीन के कर्ज में इतना फंसी है कि अपने संसाधनों दुरूपयोग और नागरिकों के हितों को भी नहीं देख पा रही है बलूच विद्रोही इस बात को लेकर भी विरोध कर रहे है कि इस परियोजना में पंजाब प्रान्त को अधिक लाभ दिया जा रहा है वे चीन कामगारों और इंजीनियरों पर भी हमला करते रहते है जिससे कार्य प्रभावित होता रहता है अभी हाल ही पाकिस्तान में मॅहगाई भी बहुत बढी है एक वीडियो देखें जिसमे एक आटे के पैकेट के लिए तीन लोग लड़ रहे है वीडियो के लिए लिंक पर क्लिक करें -
बलूचिस्तान प्रान्त ,सोना ,तांबा, पेट्रोल ,प्राकृतिक गैस जैसे खनिज पदार्थ मौजूद है यहाँ की रेको दिक खान दुनिया की सबसे बड़ी सोना और ताँबा खान में से एक है यह चगाई जिले में स्थित है , पाकिस्तान सरकार बलूच प्रान्त के संसाधनों के विदोहन के लिए चीन का निवेश चाहती है जिसका बलूच लोग विरोध कर रहे है |
3 -बेहाल जनता के करोड़पति नेता - |
पाकिस्तान |
पाकिस्तान में पेट्रोल और खाने पीने के सामान की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है आमलोग जहालत में जीवन जी रहे है लेकिन यदि आप वहां के नेताओं की आय देखें तो हैरत होगी कि शाहबाज शरीफ की पहली पत्नी के पास 23 करोड़ की संपत्ति है ,पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री के पास भी 10 करोड़ अचल और लन्दन में 13 करोड़ का घर भी है इमरान खान के पत्नी बुशरा खान के पास 14 करोड़ की नेटवर्थ है बिलावल भुट्टो जरदारी के पास घोषित रूप से 160 करोड़ की संपत्ति है पाकिस्तान के होममिनिस्टर के पास पाकिस्तान में कुल 13 अचल सम्पति है जिनकी कुल कीमत 10 करोड़ रुपए से अधिक है उनके पास 75 लाख की गाड़ियां है
4- पाकिस्तान का डूबना भारत के लिए समस्या -
पाकिस्तान भारत के एक दुःस्वपन की तरह है श्रीलंका की अर्थव्यवस्था धराशाही होना पहले से ही एक खतरा बना हुआ है क्योंकि वहां पर चीन का क़र्ज़ जाल हम्बनटौटा तक फैला है और अब पाकिस्तान भी श्रीलंका की राह पर चल रहा है, पाकिस्तान यदि टूटता है तो सबसे अधिक हानी भारत को होती दिखाई देती है क्योंकि इससे परमाणु तकनीक अफगानिस्तान से लेकर उत्तर कोरिया तक फैलने का भय है उसके पास बलूचिस्तान प्रांत के रूप में संसाधन सम्पन्न प्रांत है जिसपर चीन व अफगानिस्तान दोनों की नज़र है बलूचिस्तान प्रांत में सोने व टाइटैनियम के भंडार होने की संभावना है, सीपीईसी पहले से ही भारत के लिए जी का जंजाल बना हुआ है ऐसे में पाकिस्तान की डूबती नैया को बचाने के लिए विश्व बैंक से आर्थिक सहायता ही आखिरी उम्मीद है, वह पहले से ही अमेरिका अरब देशों व चीन से भारी मात्रा में क़र्ज़ ले चुका है, ऐसे में पाकिस्तान को अपने खर्चों पर कटौती कर अपने संसाधनों के दोहन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए,आंतकवाद पर अंकुश लगाते हुए औद्योगिक विकास पर ध्यान देना चाहिए जिससे रोजगार बढ़े और प्रति व्यक्ति आय बढे ।
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