भू-राजनीति-
भारत की चाल में फंसा चीन
भारत सरकार के जाल में चीन ऐसे बुरा फंसा गया है कि चारो खाने चित्त हो गया है | संयुक्त राष्ट्र संघ में हर बार भारत की स्थाई सदस्यता दिए जाने का विरोध करने वाला चीन भारत के कूटनीतिक जाल में ऐसे उलझ गया है कि बिना भारत कह सहमति के वो अपनी मिसाइल्स और लम्बी दूरी के हथियारों को बिना भारत की अनुमति विश्व में कही भी नहीं बेच सकता है |
आइए जानते है कि पूरा मामला क्या है |
दरअसल विश्व की सबसे बड़ी 5 वी अर्थव्यवस्था होने और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सेना होने के साथ भारत ने मजबूत टेक्नोलॉजी के दम पर भारत का दावा संयुक्त राष्ट्र संघ में बेहद मजबूत है मगर चीन भारत की राह में हमेशा बाधा बन कर खड़ा हो जाता है और अपने दुमछल्ले पाकिस्तान की अप्रत्यक्ष रूप से सहायता करता रहता है |
संयुक्त राष्ट्र संघ के 5 स्थाई सदस्य है जिनमे अमेरिका फ्रांस रूस ब्रिटेन और चीन का नाम शामिल है चीन को छोड़कर अन्य कोई भी देश भारत की स्थाई सदस्य्ता के विरोध में नहीं है क्योकि भारत ने अपनी नीति और सहयोग के साथ अपनी एक ऐसी छवि विश्व के सम्मुख बनाई है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थायी सदस्यता मिलने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए लेकिन चीन इस प्रस्ताव पर हर बार वीटो पॉवर लगाकर भारत देश की उम्मीदों पर पानी फेर देता है चीन के चलते ही भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थाई सदस्य्ता नहीं मिल पा रही है संयुक्त राष्ट्र संघ के पांचो सदस्यों के पास वीटो पॉवर है यदि कोई भी एक देश किसी भी प्रस्ताव पर वीटो पावर लगा देता है तो प्रस्ताव ख़ारिज हो जाता है फिर उस पर कोई भी वोटिंग उस सत्र में नहीं होती है चीन भारत के साथ कई वर्षो से ये ही करता आ रहा है |
मिसाइल टेक्नोलॉजी नियंत्रण और हस्तांतरण संगठन (एम टी सी आर)-
मिसाइल टेक्नोलॉजी नियंत्रण और हस्तांतरण संगठन सबसे बड़ा संगठन
है जो पूरे विश्व में मिसाइल्स ड्रोन मानव रहित ड्रोन से सम्बंधित टेक्निक पर नियंत्रण और क्षमता रखता है मिसाइल टेक्नोलॉजी नियंत्रण और हस्तांतरण संगठन ही परमाणु मिसाइल के प्रसार को रोकने और उस पर नियंत्रण बनाये रखने वाला एकमात्र संगठन है इस संगठन की बिना अनुमति के कोई देश किसी भी दूसरे देश को लम्बी दुरी वाले मिसाइल और हथियारों का व्यापार नहीं कर सकता है |
वर्तमान में इसमें अमेरिका रूस इटली ब्रिटेन ब्राज़ील जापान यूक्रेन ऑस्ट्रेलिया जैसे 35 देश शामिल है वर्तमान में भारत भी इस संगठन का सदस्य है जबकि चीन इस संगठन में शामिल नहीं है |
भारत ने कैसे रोका चीन का रास्ता और संयुक्त राष्ट्र संघ में चीन के वीटो का दिया जवाब -
भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के अथक प्रयासों के फलस्वरूप भारत 27 जून 2016 को विश्व के शक्तिशाली संगठन मिसाइल टेक्नोलॉजी नियंत्रण और हस्तांतरण संगठन ( एम टी सी आर ) का सदस्य बन गया था , मोदी जी के ये प्रयास 2014 से ही आरम्भ हो गए थे जिनका परिणाम भारत को 2016 में जाकर मिला इसका फायदा भारत को अब मिलता दिख रहा है
इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि भारत अब दूसरे देशों से भी उन्नत और आधुनिक प्रक्षेपात्र जैसे मिसाइल और मानव रहित ड्रोन आदि खरीद पा रहा है और अपनी मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत बनी गन्स और ब्रम्ह्मोस मिसाइल भी को दूसरे देशो को बेच पा रहा है जबकि चीन को अपने हथियार बेचने के लिए मिसाइल टेक्नोलॉजी नियंत्रण और हस्तांतरण संगठन (एम टी सी आर ) से अनुमति लेनी पड़ रहा है जहाँ पर भारत
उसकी राह में वैसे ही रोड़ा बना हुआ है जैसे चीन भारत की राह संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थायी सदस्यता मिलने में वीटो पावर का इस्तेमाल कर बाधा बना हुआ है भारत के इस कदम से चीन का हथियार उद्योग बुरी तरह से बौखलाया हुआ है |
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