कक्षा 9 इतिहास पाठ वन्य समाज और उपनिवेश
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इतिहास |
कक्षा 9 के पाठ "वन्य समाज और उपनिवेश" से जुड़े 10 महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर निम्नलिखित हैं:
प्रश्न 1: वन्य समाज किसे कहते हैं?
उत्तर:
वन्य समाज उन समूहों और समुदायों को कहा जाता है, जो मुख्यतः जंगलों में रहते हैं और अपनी आजीविका के लिए जंगलों के संसाधनों पर निर्भर रहते हैं। वे मुख्य रूप से शिकार, मछली पकड़ने, खेती और जंगल के उत्पादों के संग्रहण से जीवन यापन करते हैं। इन समाजों में पारंपरिक रीति-रिवाज, भाषा और संस्कृति होती है। उदाहरण के लिए, भारत में संथाल, गोंड, भील जैसी जनजातियाँ वन्य समाज का हिस्सा हैं।
प्रश्न 2: उपनिवेशवाद का वन्य समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
उपनिवेशवाद का वन्य समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा। इसके कुछ प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं:
- जंगलों पर नियंत्रण: उपनिवेशवादी सरकारों ने जंगलों को अपने नियंत्रण में ले लिया, जिससे वन्य समाज के लोगों का जंगलों तक पहुँच सीमित हो गई। उन्हें शिकार, लकड़ी काटने और अन्य गतिविधियों से रोक दिया गया।
- आजीविका पर संकट: जंगलों पर प्रतिबंध लगने से वन्य समाज के लोग अपनी पारंपरिक आजीविका जैसे शिकार, लकड़ी काटना, और जड़ी-बूटियों का संग्रह करने से वंचित हो गए।
- स्थायी बसावट: उपनिवेशवादियों ने वन्य समाज के लोगों को स्थायी रूप से बसने के लिए मजबूर किया, जिससे उनकी घुमंतू जीवनशैली समाप्त होने लगी।
- सांस्कृतिक प्रभाव: उपनिवेशवादियों ने वन्य समाज के रीति-रिवाजों और संस्कृतियों को दबाया और उन्हें यूरोपीय तरीकों को अपनाने के लिए बाध्य किया।
प्रश्न 3: उपनिवेशवादियों ने जंगलों का नियंत्रण क्यों अपने हाथ में लिया?
उत्तर:
उपनिवेशवादियों ने जंगलों का नियंत्रण कई कारणों से अपने हाथ में लिया:
- लकड़ी का उपयोग: ब्रिटिश शासन ने जंगलों की लकड़ी का इस्तेमाल रेलवे की पटरी, जहाज निर्माण और अन्य औद्योगिक गतिविधियों के लिए किया।
- राजस्व प्राप्त करना: जंगलों पर नियंत्रण के माध्यम से ब्रिटिश सरकार ने व्यापारिक गतिविधियों और जंगलों के संसाधनों से राजस्व प्राप्त करने की योजना बनाई।
- वाणिज्यिक खेती: उपनिवेशवादियों ने जंगलों की भूमि को साफ करके चाय, कॉफी और रबड़ जैसी वाणिज्यिक फसलों की खेती को बढ़ावा दिया।
- कानून और व्यवस्था: वन्य समाज के लोग अक्सर उपनिवेशवाद के कानूनों और प्रतिबंधों का पालन नहीं करते थे, इसलिए उपनिवेशवादियों ने जंगलों का नियंत्रण अपने हाथों में लेकर उन्हें नियंत्रित करने की कोशिश की।
प्रश्न 4: वन कानून 1865 और 1878 में क्या अंतर था?
उत्तर:
- 1865 का वन कानून: ब्रिटिश सरकार ने पहली बार 1865 में वन कानून लागू किया। इस कानून के तहत, सरकार ने जंगलों पर अधिकार जताया और कहा कि जंगलों का उपयोग सरकार की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता।
- 1878 का वन कानून: 1878 के वन कानून में और भी सख्त प्रावधान किए गए। इस कानून के तहत जंगलों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया: आरक्षित वन, संरक्षित वन, और गाँव के जंगल। आरक्षित वन में आम जनता का प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया था, जबकि संरक्षित वनों में सीमित गतिविधियों की अनुमति थी।
प्रश्न 5: आदिवासी समाज की पारंपरिक खेती के तरीके क्या थे?
उत्तर:
आदिवासी समाज के लोग मुख्यतः झूम खेती (स्थानांतरित खेती) किया करते थे। इस खेती के तहत:
- आदिवासी लोग एक जगह के जंगल को साफ करके खेती करते थे।
- कुछ सालों तक फसल उगाने के बाद, वे उस जमीन को छोड़ देते थे और दूसरी जगह जाकर खेती शुरू कर देते थे।
- जमीन को फिर से उर्वरक बनने के लिए छोड़ दिया जाता था। यह प्रक्रिया पर्यावरण के अनुकूल होती थी और आदिवासी समाज की पारंपरिक जीवनशैली का हिस्सा थी।
प्रश्न 6: उपनिवेशवाद के दौरान वन्य समाज के लोगों ने किस प्रकार प्रतिरोध किया?
उत्तर:
वन्य समाज के लोगों ने उपनिवेशवाद के दौरान कई प्रकार से प्रतिरोध किया:
- सशस्त्र विद्रोह: कई आदिवासी समूहों ने उपनिवेशवादियों के खिलाफ हथियार उठाए। जैसे संथाल विद्रोह (1855-56), बिरसा मुंडा का आंदोलन (1899-1900)।
- जंगलों में आग लगाना: वन कानूनों के खिलाफ वन्य समाज के लोग जंगलों में आग लगाकर प्रतिरोध करते थे, ताकि उपनिवेशवादियों को नुकसान पहुँचे।
- अधिकारों की माँग: आदिवासी लोग अपने पारंपरिक अधिकारों को वापस पाने के लिए लगातार संघर्ष करते रहे। उन्होंने जंगलों में प्रवेश और अपने जीवनयापन के लिए संसाधनों पर नियंत्रण की माँग की।
प्रश्न 7: उपनिवेशवाद के दौरान जंगलों में किस प्रकार के बदलाव आए?
उत्तर:
उपनिवेशवाद के दौरान जंगलों में कई बदलाव हुए:
- जंगलों की जमीन को काटकर वाणिज्यिक फसलों जैसे चाय, कॉफी और रबड़ की खेती शुरू की गई।
- ब्रिटिश सरकार ने वनों को तीन वर्गों में बाँटा और वन्य समाज के लोगों के लिए जंगलों में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया।
- लकड़ी की मांग को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर जंगलों की कटाई हुई। विशेष रूप से रेलवे के विस्तार के लिए लाखों पेड़ काटे गए।
- स्थायी खेती और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए जंगलों को साफ कर दिया गया।
प्रश्न 8: संथाल विद्रोह क्या था?
उत्तर:
संथाल विद्रोह 1855-56 में हुआ एक प्रमुख आदिवासी विद्रोह था, जिसे संथाल जनजाति ने ब्रिटिश शासन और जमींदारों के खिलाफ किया था। संथाल जनजाति के लोग ब्रिटिश सरकार के अत्यधिक कर और जमींदारों के शोषण से परेशान थे। इस विद्रोह का नेतृत्व सिदो और कान्हू मुर्मू ने किया था।
- विद्रोह के दौरान, संथाल लोगों ने ब्रिटिश सैनिकों और सरकारी अधिकारियों पर हमला किया।
- हालांकि, ब्रिटिश सरकार ने इस विद्रोह को दबा दिया, लेकिन यह आदिवासी समाज के संघर्ष की एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है।
प्रश्न 9: उपनिवेशवाद के बाद जंगलों में वाणिज्यिक खेती कैसे शुरू हुई?
उत्तर:
उपनिवेशवादियों ने वाणिज्यिक खेती को बढ़ावा देने के लिए जंगलों की जमीन का इस्तेमाल किया। उन्होंने जंगलों को काटकर चाय, कॉफी, रबड़ और अन्य वाणिज्यिक फसलों की खेती शुरू की। इसके लिए उन्होंने कई कंपनियों को जंगलों की जमीन आवंटित की और बड़े पैमाने पर इन फसलों की खेती कराई। इससे वन्य समाज के लोगों को उनकी पारंपरिक जमीनों से बेदखल कर दिया गया और वे मजदूरी करने के लिए मजबूर हो गए।
प्रश्न 10: वन्य समाज और उपनिवेशवाद के बीच क्या संबंध था?
उत्तर:
उपनिवेशवाद और वन्य समाज के बीच संबंध संघर्ष और नियंत्रण का था। उपनिवेशवादी ताकतों ने वन्य समाज के जंगलों और संसाधनों पर अधिकार कर लिया, जिससे उनकी जीवनशैली और आजीविका प्रभावित हुई। वन्य समाज के लोग अपने पारंपरिक अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे, जबकि उपनिवेशवादियों ने उनके जंगलों पर अपना नियंत्रण बनाए रखा और वाणिज्यिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया।
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