कोटा बना मौत की मंडी
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शिक्षानगरी कोटा बना मौत की मंडी
शिक्षानगरी कोटा |
आज कोटा देश में कोचिंग का सुपर मार्किट है ,यह भारत का एक प्रसिद्ध कोचिंग संस्थान शहर है जहाँ से हर वर्ष मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा पास करने के लिए हजारों परीक्षार्थी यहाँ प्रवेश के लिए आते है ,एक अनुमान के अनुसार कोटा के कोचिंग मार्किट का सालाना चार हजार करोड़ रूपये का टर्न ओवर है ,यहाँ के कोचिंग सेंटरों के द्वारा सरकार को सालाना 200 से 300 करोड़ रूपये का टैक्स दिया जाता है |
सबसे बड़ी समस्या ये है कि प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए छात्रों पर बहुत अधिक तनाव रहता है जिससे छात्र असफलता के डर से आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे है इसके पीछे एक और कारण छात्रों पर अत्यधिक मानसिक दबाव भी है यद्यपि संस्थान इस बात से इंकार करते है लेकिन प्रतियोगिता के कारण छात्र दबाव महसूस करते ही है जो प्राकृतिक भी है ,पिछले कुछ वर्षों में कोटा में आत्महत्या करने वाले छात्रों की संख्या बेहद बढ़ी है ,अभी 27 मई को एक छात्रा ने असफलता के डर से कोटा में ही आत्महत्या कर ली है ,कोटा पुलिस के अनुसार 2014 में 45 छात्रों ने ,2015 में 31 छात्रों ने, 2016 में 18 छात्रों ने ,2018 में 19 छात्रों ने आत्महत्या कर ली थी ,इस वर्ष 2023 में अब तक 5 छात्रों ने तनाव में आकर आत्महत्या कर ली है जबकि 6 आत्महत्या के प्रयास के मामले पुलिस में दर्ज कराये गए है |
इस मुद्दे पर 24 जनवरी 2023 को राजस्थान विधानसभा में वर्तमान विधायक ने प्रश्न पूछा तो सरकार की और से बताया गया कि इस सबके पीछे उनके कोचिंग सेंटर में होने वाले टेस्ट में छात्रों के पिछड़ जाने या कम अंक आने के कारण उनमे आत्मविश्वास की कमी हो जाना, मातापिता की छात्रों से अति उच्च महत्वकांक्षा, छात्रों में शारीरिक मानसिक और पढ़ाई सम्बंधित तनाव व दबाव महसूस करना, आर्थिक परेशानी, प्रेमप्रसंग जैसे कारण उत्तरदायी है,जिसके लिए सरकार काउंसिलिंग जैसे कार्यक्रम चला रही है |
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