मोटे अनाज की और लौटती दुनिया - मण्डुआ या रागी
मोटे अनाज की और लौटती दुनिया - मण्डुआ या रागी
मण्डुआ या रागी - एक परिचय -
मण्डुआ को मंडुआ या कोदा या रागी के नाम से भी जाना जाता है , सामान्यतः इसका उपयोग अनाज के रूप में किया जाता है क्योकि ये न सिर्फ खाने में मजेदार होता है बल्कि बहुत ही पौष्टिक भी होता है | मंडुआ को प्रायः गेहूं के आटे में मिलाकर खाया जाता है , भारत देश में मंडुआ से कई प्रकार के व्यंजन भी तैयार किये जाते है जैसे मंडुआ रोटी , रागी से उपमा ,श्रुआ ,बिस्किट ,डोसा,हलुआ ,मोदा ,लड्डु आदि | मंडुआ का पौधा 1 मीटर तक ऊँचा होता है ,इसके फल गोलाकार अथवा चपटे तथा झुर्रीदार और एक ओर से चपटे होते है इसका वानस्पतिक नाम Eleusine coracana में Linn,Gaertn syn-cynosurus coraanus linn है और यह पौधा Poaceae कुल का है , हिंदी में इसे मकरा ,मंडल ,रोतका भी कहा जाता है ,गढ़वाली में इसे मंडुआ या कोदा और संस्कृत में मधूलिका , नर्तक या भूचरा के नाम से जाना जाता है , अंग्रेजी में इसे Coracan millet भी कहते है | सामान्य रूप से लोग रागी या मंडुआ को मोटे अनाज के रूप में ही जानते है और उपयोग करते है पुरे भारत में इसकी खेती लगभग 2300 मीटर की उँचाई पर की जाती है विशेषतः पर्वतीय भागों में इसकी खेती अधिक की जाती है वर्तमान में आधुनिकता,समय की कमी और आराम पसंद जीवन के कारण मनुष्य प्राचीन जीवन शैली के इन सेहतमंद नुस्खे को लगभग भूल ही चुका है , प्राचीन काल में लोग ऐसे ही भोजन के कारण स्वस्थ जीवनयापन करते थे आज हम मंडुआ जैसे मुख्य अनाज को अपने आहार से दूर कर चुके है जिसके दुष्प्रभाव से मानव आज पेट की अनेक समस्याओं से जुझ रहा है , सामान्यतः स्वास्थ्य खराब होने के पीछे 50 प्रतिशत कारण पेट के विकार ही होते है यदि आप अपने पेट का सही प्रकार से ध्यान रख पाते है तो यकीन मानिये आप अपने अपनी स्वास्थ्य की आधी लड़ाई तो ऐसे ही जीत ली होती है
यदि आपको केवल मंडुआ खाने में परेशानी होती है तो आप इसे गेहू के साथ मिलाकर भी खा सकते है पहले भारत के पर्वतीय भागों में मंडुआ की खेती बहुत काम मात्रा में की जाती थी लेकिन अब पुनः लोगो ने इसके महत्व को जाना है और इसकी गुणवत्तापूर्ण खेती की तरफ प्रयास आरम्भ किये है उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल के चिन्यालीसौड़ ,जौनपुर और जौनसार में किसानो ने आजकल मंडुआ की खेती को लोगो ने अपने खेतों स्थान देना आरम्भ कर दिया है जो उनकी आमदनी का एक बड़ा स्रोत बनता जा रहा है लेकिन अभी भी मंडुआ के लिए अनुसन्धान कार्य चल रहे है हमे आशा है कि जल्दी ही मंडुवे की नई प्रजाति हमे देखने को मिलेगी जिससे पैदावर में वृद्धि संभव हो सकेगी मंडुआ एक भारतीय भोजन है, जिसके आटे का रंग हल्का भूरा या हल्का काला होता है, इस अंतर का कारण बीजों के प्रकार में अंतर होता है इस अंतर का एक और कारण जलवायु भी होती है क्यूकि पर्वतीय और मैदानी मौसम व जलवायु में बड़ा अंतर देखने को मिलता है |
मंडुआ के औषधीय गुण
1 - उल्टी रोकने में सहायक -
कई लोगो को उल्टी की समस्या होती है ऐसे में मंडुआ के चूर्ण को घी या शहद के साथ सेवन करने से आराम हो सकता है , इस लेप को नहाने से पहले सिर पर लगाए आधा घंटे में पानी से सिर को धो ले रूसी की समस्या से छुटकारा मिला जाता है |
2 -सर्दी जुकाम में लाभकारी-
सर्दी जुकाम में रागी का उपयोग बहुत तेजी से आराम करता है ,इसके लिए आपको गुग्गलु ,राल ,पतंग,प्रियंगु,मधु ,शर्करा ,मुनक्का,मुलेठी ओर मधुलिका का काढ़ा बनाकर गरररे करने है , ऐसा करने से रक्तज तथा पित्त्तज सर्दी जुकाम में लाभ होता है |
3 -श्वास रोग में मंडुआ -
मंडुआ का नियमित उपयोग आपको श्वास रोग और छाती सम्बन्धी रोगों में स्थाई रूप से आराम करता है ,मंडुआ को मधुलिका घृत के साथ नियमित रूप से ले |
4 - कब्ज में रामबाण औषधि-
कब्ज एक ऐसी बीमारी है जो कई अन्य रोगो को आमंत्रित करती है इसमें कोई व्यक्ति लगातार पेट की समस्याओं से जूझता राहत रहता है ,मंडुआ के बीजों में सेल्यूलोज की मात्रा अधिक होने से इसका निरन्तर प्रयोग कब्ज में रहत दिलाता है |
5 - कुष्ट रोगों में मंडुआ-
कुष्ठ रोगों में मड़ुआ को सफ़ेद चित्रक के साथ मिलाकर सेवन करने से कुष्टरोगी ठीक हो जाते है |
6 - माताओं में दूध की कमी होने से मंडुआ रोटी और साग खाने से आराम मिलता है इससे फोलिक एसिड , आयरन ,कैल्सियम ,प्रोटीन ,फाइबर , मिनरल्स की आपूर्ति आसानी से हो जाती है |
7 -रक्तचाप बढ़ने पर मंडुआ सबसे अच्छी औषधि मानी जाती है उच्च रक्त चाप होने पर मंडुआ की रोटी खाकर उसके कुछ देर बाद निम्बू का रस डालकर पानी का सेवन करें , ये दोनों मिलकर रक्तचाप को ठीक करने में एक कारगर औषधि का काम करती है |
8 -रागी की रोटी खाने से स्वास्थ्य बेहतर और रागी का पानी के साथ मिलाकर पेस्ट लगाने से त्वचा से दाग ,धब्बे भी धीरे धीरे काम होते जाते है |
9 -रागी मंडुआ में 80 प्रतिशत कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है इसके लगातार सेवन से हड्डियों में ऑस्टिओपोरोसिस जैसी गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है |
10 -मंडुआ या रागी डयबिटीज पीड़ितों के लिए सर्वोत्तम अनाज माना जाता है ये एक प्रकार से रिच फाइबर और शुगर फ्री अनाज है |


टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
please do not enter any spam link in the comment box.